
ISKCON Temple:इस्कॉन को एक और नाम से जाना जाता है, हरे कृष्णा आंदोलन।
ISKCON Temple: Bhopal, Madhya Pradesh, India:मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल को वैसे तो झीलों का शहर कहा जाता है, लेकिन इस शहर में कई ऐसे मंदिर हैं, जोकि आस्था का केंद्र बनते जा रहे हैं। इन्हीं मंदिरों में से एक है पटेल नगर स्थित इस्कॉन मंदिर। इस्कॉन को एक और नाम से जाना जाता है, हरे कृष्णा आंदोलन। पूरा आंदोलन श्रीमद्भगवद्गीता पर आधारित है। मंदिर से हरे कृष्णा मंत्र का प्रचार प्रसार किया जाता है। मंदिर में आध्यात्म की शिक्षा दी जाती है।
यह मंदिर आधुनिक सभ्यता के लोगों के लिए एक मॉडल की तरह भी है कि कैसे बिना सुख सुविधाओं के वैदिक सभ्यता में रहा जाता है। मंदिर में बिजली का प्रयोग न के बराबर होता है। पूरे परिसर में कहीं भी कूलर, पंखा या एसी नहीं लगा है। मंदिर आने वाले भक्तों को श्रीमद्भगवद्गीता, शास्त्रों व भगवान के बारें में ज्ञान मिलता है। आध्यात्मिक शांति के लिए यहां दूर-दूर से लोग आते हैं।
Iskcon Temple:मंदिर का इतिहास
इस्कॉन को पूरा नाम है इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस, यानी अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ। परम पूज्य ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने साल 1966 में न्यूयॉर्क शहर में पहले इस्कॉन मंदिर की स्थापना की थी, जिसके बाद इस मंदिर की श्रृंखला बढ़ती चली गई। उन्होंने 11 साल में ही पूरे विश्व में 108 इस्कॉन मंदिर स्थापित कर दिए थे। वर्तमान समय में विश्व में 500 से अधिक इस्कॉन मंदिर हैं। भोपाल में इस्कॉन मंदिर की स्थापना 2018 में की गई। हालांकि, कम समय में ही इस मंदिर से बड़ी संख्या में भक्त जुड़ गए हैं। पुरी की तर्ज पर भोपाल में इस साल इस्कॉन मंदिर द्वारा भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा भी निकाली गई थी।
मंदिर का महत्व
माना जाता है कि हरे कृष्णा मंत्र से कलयुग के कलमस से बचा जा सकता है। इस्कॉन मंदिर से जुड़े लोगों को 4 नियमों का पालन करना पड़ता है। जैसे- अवैध स्त्री संग संबंध न रखना, मांसाहार न करना, नशा से दूर रहना व जुआ न खेलना। ऐसा माना जाता है कि यह 4 पाप के स्तंभ होते हैं। इन कार्यों को करने से मनुष्य भगवान से दूर होता है। माना जाता है कि मंदिर के जरिए भगवान से जुड़ने का रास्ता मिलता है, इसी वजह से देश ही नहीं विदेशों में भी बड़ी संख्या में इस्कॉन के भक्त मिलते हैं। इस्कॉन मंदिर के भक्त सिर्फ चीजों को अपना धर्म मानते हैं- दया, तपस्या, सत्य और शुद्ध मन।
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मंदिर की वास्तुकला
3 एकड़ भूमि पर इस्कॉन मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। इसका प्रथम भाग बनकर तैयार हो चुका है। इसे बनाने में सबसे ज्यादा लकड़ी का प्रयोग किया गया है। मंदिर में रहने वाले शिष्यों के लिए साथ ही अन्य कमरे लकड़ी से बनाए गए हैं। भगवान के प्रसाद व भोजन तैयार करने के लिए मिट्टी के चूल्हे का प्रयोग किया जाता है। मंदिर में मुख्य रूप से राधा-कृष्ण की भक्ति की जाती है। मंदिर में प्रवेश करते ही एक बड़ा हॉल है, जहां भगवान राधा-कृष्ण की प्रतिमा विराजमान है। हॉल की छत भी लकड़ी की बनाई गई है।
मंदिर परिसर में रसोई घर व शिष्यों व धर्मगुरुओं के रहने के लिए कमरे बनाए गए हैं। इस्कॉन गौड़ीय-वैष्णव संप्रदाय से संबंधित है, जोकि वैदिक या हिंदू संस्कृति में एक एकेश्वरवादी परंपरा है। हर जीव की वास्तविक चेतना को जागृत करना, मनुष्यों को श्रीमद्भगवद्गीता की शिक्षा देना, भक्ति क्या है? भगवान कौन हैं? हम कौन हैं? हमारे जीवन का लक्ष्य क्या है? हमारा भगवान का संबंध क्या है? भगवान श्रीकृष्ण से कैसे संबंध को स्थापित किया जाए, यह इस्कॉन मंदिर का मुख्य उद्देश्य है।
मंदिर का समय
सुबह मंदिर खुलने का समय
04:00 AM – 01:00 PM
शाम को मंदिर खुलने का समय
04:00 PM – 08:30 PM
मंगल आरती का समय
04:30 AM – 05:00 AM
तुलसी आरती का समय
05:00 AM – 05:30 AM
उत्थापन आरती का समय
04:00 PM – 04:30 PM
संध्या आरती का समय
07:00 PM – 07:30 PM
मंदिर का प्रसाद
इस्कॉन मंदिर में भगवान राधा कृष्ण को लगने वाला भोग मंदिर में ही तैयार किया जाता है। भक्त अपनी श्रृद्धा अनुसार दानपात्र में राशि दान करते हैं।