KARMASU

 AShTapadI: अष्टपदी

AShTapadI: अष्टपदी

AShTapadI: अष्टपदी (राग भैरव)जयति निजघोषभुवि गोपमणिभूषणम् ।युवतिकलधौतरतिजटितमविदूषणम् ॥ ध्रुवपदम् ॥विकचशरदम्बुरुहरुचिरमुखतोऽनिशम् ।जिघ्रतादमलमधुमदशालिनी भृशम् ॥ १॥तरलदलसापाङ्गविभ्रमभ्रामितम् ।निःस्थिरीभवितुमिच्छतु हृदितकामितम् ॥ २॥मधुरमृदुहासकलिताधरच्युतरसम् ।पिबतु रसनाऽपि मुहुरुदितरतिलालसम् ॥ ३॥अमृतमयशिशिरवचनेषु नवसूत्सुकम् ।श्रवणपुटयुगलमनुभवतु चिरसूत्सुकम् ॥ ४॥विपुलवक्षस्थले स्पर्शरसपूरितम् ।तुङ्गकुचकलशयुगमस्तु मदनेरितम् ॥ ५॥मृदिततमकायदेवद्रुमालम्बिता ।हर्षमतिशयितमुपयातु तनुलता ६॥पुष्परसपुष्टपरपुष्टभृङ्गीमये ।वसतिरपि भवतु मम निभृतकुञ्जालये…

 Shri Anuragavallih:श्रीअनुरागवल्लिः

Shri Anuragavallih:श्रीअनुरागवल्लिः

Shri Anuragavallih:श्रीअनुरागवल्लिः Shri Anuragavallih:देहार्बुदानि भगवान्! युगपत्प्रयच्छ वक्त्रार्बुदानि च पुनः प्रतिदेहमेव ।जिह्वार्बुदानि कृपया प्रतिवक्त्रमेव नृत्यन्तु तेषु तव नाथ! गुणार्बुदानि ॥ १॥किमात्मना? यत्र न देहकोट्यो देहेन किं? यत्र न वक्त्रकोट्यः ।वक्त्रेण किं? यत्र न कोटिजिह्वाः किं जिह्वया? यत्र न नामकोट्यः ॥ २॥आत्मास्तु…

 श्री अनन्तकृष्णवरदराजाष्टकम्: ShrI Anantakrishnavaradaraja Ashtakam

श्री अनन्तकृष्णवरदराजाष्टकम्: ShrI Anantakrishnavaradaraja Ashtakam

श्री अनन्तकृष्णवरदराजाष्टकम्: ShrI Anantakrishnavaradaraja Ashtakam श्री-भूमि-नीला-परिसेव्यमान- मनन्तकृष्णं वरदाख्य-विष्णुम् ।अघौघविध्वंसकरं जनानां अघंहरेशं प्रभजे सदाऽहम् ॥ १॥तिष्ठन् स्वधिष्ण्ये परितो विपश्यन् आनन्दयन् स्वानभिराममूर्त्या ।योऽघंहरग्रामजनान् पुनीते ह्यनन्तकृष्णं वरदेशमीडे ॥ २॥भक्तान् जनान् पालनदक्षमेकं विभुं श्रियाऽऽश्लिष्यतनुं महान्तम् ।सुपर्णपक्षोपरिरोचमान- मनन्तकृष्णं वरदेशमीडे ॥ ३॥सूर्यस्य कान्त्या सदृशैर्विराजद्- रत्नैः समालङ्कृतवेषभूषम्…

 अद्वैताष्टकम्:Advaitashtakam

अद्वैताष्टकम्:Advaitashtakam

अद्वैताष्टकम्:Advaitashtakam Advaitashtakam: हुहुङ्कारगर्जनादि अहोरात्रसद्गुणं हा कृष्ण राधिकानाथ प्रार्थनादिभावनम् ।धूपदीपकस्तुरी च चन्द्रनादिलेपनं सीतानाथाद्वैतचरणारविन्दभावनम् ॥ १॥गङ्गावारि मनोहारि तुलस्यादि मञ्जरी कृष्णज्ञानसदाध्यान प्रेमवारिझर्झरी ।कृपाब्धिः करुणानाथ भविष्यति प्रार्थनं सीतानाथाद्वैतचरणारविन्दभावनम् ॥ २॥मुहुर्मुहुः कृष्ण कृष्ण उच्चैः स्वरे गायतं अहे नाथ जगत्त्रातः मम दृष्टिगोचरम् ।द्विभुज करुणानाथ दीयतां सुदर्शनं…

 अर्जुनकृतम् श्रीकृष्णस्तोत्रम्: Arjunakritam Shri Krishna Stotram

अर्जुनकृतम् श्रीकृष्णस्तोत्रम्: Arjunakritam Shri Krishna Stotram

Arjunakritam Shri Krishna Stotram Arjunakritam Shri Krishna Stotram:पुलस्त्य उवाच -एवमुक्तोऽर्जुनः सम्यक् प्रणिपत्य जनार्दनम् ।तुष्टाव वाग्भिरिष्टाभिरुद्भूतपुलकस्ततः ॥ १९॥अर्जुन उवाच -नमोऽस्तु ते चक्रधरोग्ररूप नमोऽस्तु ते शार्ङ्गधरारुणाक्ष ।नमोऽस्तु तेऽभ्युद्यतखड्ग रौद्र नमोऽस्तु विभ्रान्तगदान्तकारिन् ॥ २०॥भयेन सन्नोऽस्मि सवेपथेन नाङ्गानि मे देव वशं प्रयान्ति ।वाचः समुच्चारयतः…

Shiva Mantra: शिव के 5 दिव्य मंत्रों का करें नियमित जाप, जीवन में आएगा सुख-शांति

Shiv Mantra: भोलेनाथ अपने अनुयायियों पर अपनी कृपा बरसाते हैं, जिससे वे अत्यंत प्रसन्न होते हैं. महादेव को अत्यधिक दयालु माना जाता है, इसलिए वे केवल एक लोटा जल से ही संतुष्ट हो जाते हैं. ज्योतिष शास्त्र में महादेव के…

Lord Shiva Mantra: महादेव के इस महामंत्र को जपते ही कटते हैं सारे कष्ट, पूरी होती है हर मनोकामना

Lord Shiva Mantra: सनातन परंपरा में भगवान शिव (Lord Shiva) को कल्याण का देवता माना गया है, जिनकी साधना-आराधना से साधक सुख-संपत्ति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. शिव की पूजा में जप-तप और व्रत का बहुत महत्व है, ऐसे…

Powerful Shiva Mantra:शिव के इन शक्तिशाली मंत्रों का जाप, रोग-कष्ट और परेशानियों को दूर करता है

Powerful Shiva Mantra: सोमवार का दिन भोलेनाथ को समर्पित होता है. इस दिन उनकी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. कहा जाता है कि भोलेनाथ बहुत भोले हैं और भक्तों से शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं. भगवान शिव की पूजा में तरह-तरह…

दामोदर अष्टकम (Damodarastakam)

Damodarastakam:दामोदर अष्टकम: श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का मधुर वर्णन Damodarastakam:दामोदर अष्टकम भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का एक अत्यंत सुंदर और भावपूर्ण स्तुति है। यह अष्टकम कार्तिक मास में विशेष रूप से गाया जाता है और इसे सत्यव्रत मुनि द्वारा…

श्री विश्वकर्मा 108 नाम (Vishwakarma 108 Naam)

श्री विश्वकर्मा के 108 नाम: एक पवित्र मंत्र श्री विश्वकर्मा, हिंदू धर्म में कर्मकारों और शिल्पकारों के देवता हैं। वे सभी प्रकार के निर्माण कार्य के देवता माने जाते हैं। मान्यता है कि उनके 108 नामों का जाप करने से…

गणनायकाय गणदेवताय गणाध्यक्षाय धीमहि (Gananaykay Gandevatay Ganadhyakshay Dheemahi)

अर्थ: यह संस्कृत मंत्र भगवान गणेश को समर्पित है, जिन्हें बाधाओं को दूर करने वाले हिंदू देवता के रूप में जाना जाता है। यहाँ शब्दों का विवरण दिया गया है: समग्र अर्थ: मंत्र का अर्थ है, “हम भगवान गणेश, गणों…