छठ पूजा 2024
Chhath Puja 2024 Date: छठ पूजा प्रकृति को समर्पित पर्व है जिसमें सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा होती है। यह पर्व चार दिनों तक चलता है जिसका आरंभ चतुर्थी तिथि से हो जाता है और समापन सप्तमी तिथि पर होता है। Chhath Puja 2024 छठ पर्व पर व्रती कमर तक जल में प्रवेश कर सूर्यदेव को अर्घ्य देते है। आइए जानते हैं छठ पर्व की हर छोटी बड़ी बातें और मान्यताएं। क्यों, कब और कैसे मनाते हैं छठ पर्व।
छठ महापर्व षष्ठी तिथि को मनाया जाने वाला पर्व है जो बेहद कठिन है। यह पर्व नियम संयम और तपस्या का पर्व है जो चारों दिनों तक चलता है, लेकिन इसकी तैयारी हफ्ते पहले से ही शुरू हो जाती है। आपको बता दें कि, छठ पर्व मूल रूप से बिहार और पूर्वांचल से शुरू हुआ माना जाता है। लेकिन अब यह भारत के अलग अलग राज्यों में और विदेशों में भी मनाया जाने लगा है और बिहार और पूर्वांचलवासी ही नहीं अन्य क्षेत्रों में रहन वाले लोग भी अब Chhath Puja 2024 छठ पर्व के प्रति आस्थावान होकर छठ व्रत करने लगे हैं।
छठ पर्व और छठ मैया की मान्यता
छठ पर्व मुख्य रूप कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि को मनाते हैं लेकिन इसके अलावा चैत्र शुक्ल षष्ठी तिथि का छठ पर्व जिसे चैती छठ कहते हैं यह भी काफी प्रचलित है। इस तरह दो छठ व्रत विशेष रूप से महत्व है।Chhath Puja 2024 दोनों ही छठ पर्व भगवान सूर्य को और षष्ठी माता को समर्पित है। इसलिए छठ पर्व में भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और छठ मैया की पूजा कथा की जाती है।
छठ पूजा की मान्यता
छठ मैया के बारे में कथा है कि यह ब्रह्माजी की मानस पुत्री हैं और सूर्यदेव की बहन हैं। छठ मैया को संतान की रक्षा करने वाली और संतान सुख देने वाली देवी के रूप में शास्त्रों में बताया गया है जबकि सूर्यदेव अन्न और संपन्नता के देवता है। Chhath Puja 2024 इसलिए जब रवि और खरीफ की फसल कटकर आ जाती है तो छठ का पर्व सूर्य देव का आभार प्रकट करने के लिए चैत्र और कार्तिक के महीने में किया जाता है।
Chhath Puja 2024:छठ पर्व के चार दिनों का खास महत्व
छठ पर्व मुख्य रूप से षष्ठी तिथि को किया जाता है। लेकिन इसका आरंभ नहाय खाय से हो जाता है यानी Chhath Puja 2024 छठ पर्व शुरुआत में पहले दिन व्रती नदियों में स्नान करके भात,कद्दू की सब्जी और सरसों का साग एक समय खाती है।Chhath Puja 2024 दूसरे दिन खरना किया जाता है जिसमें शाम के समय व्रती गुड़ की खीर बनाकर छठ मैय्या को भोग लगाती हैं और पूरा परिवार इस प्रसाद को खाता है। तीसरे दिन छठ का पर्व मनाया जाता है जिसमें अस्त होते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और चौथे दिन सप्तमी तिथि को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पर्व को समापन किया जाता है।
छठ पूजा की तिथियाँ (Chhath Puja 2024 Date)
नहाय खाय (5 नवंबर 2024): छठ पूजा के पहले दिन, श्रद्धालु नदी या तालाब में स्नान करते हैं और केवल शुद्ध और सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं।
खरना (6 नवंबर 2024): दूसरे दिन, व्रती दिन भर निर्जला उपवास रखते हैं। शाम को पूजा के बाद प्रसाद के रूप में खीर, रोटी और फल खाए जाते हैं।
संध्या अर्घ्य (7 नवंबर 2024): तीसरे दिन, व्रती सूर्यास्त के समय नदी या तालाब के किनारे जाकर सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं। यह छठ पूजा का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है।
प्रातःकालीन अर्घ्य (8 नवंबर 2024): चौथे दिन, उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, Chhath Puja 2024 जिसके बाद व्रती अपना व्रत तोड़ते हैं और प्रसाद वितरण करते हैं।
छठ पूजा की महिमा
छठ पूजा को सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है, क्योंकि इस दौरान श्रद्धालुओं को कठोर नियमों का पालन करना पड़ता है। यह व्रत परिवार की सुख-समृद्धि, संतान की दीर्घायु और रोगमुक्त जीवन के लिए किया जाता है। इस त्योहार के दौरान सूर्य की आराधना से हमें ऊर्जा और शक्ति मिलती है, जो जीवन में सकारात्मकता का संचार करती है।
Chhath Puja 2024:छठ पूजा का प्रसाद
Chhath Puja 2024 छठ पूजा के दौरान प्रसाद के रूप में ठेकुआ, मालपुआ, चावल के लड्डू, फलों और नारियल का प्रयोग किया जाता है। ये सभी प्रसाद शुद्ध सामग्री से बनाए जाते हैं और सूर्य देवता को अर्पित किए जाते हैं।
छठ पूजा के पारंपरिक गीत (Chhath Puja Geet)
“कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाये…”
कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाये
बहंगी लचकत जाये, हमार सुगवा धनुष भइलन
सुगवा धनुष भइलन, अस मनवा काहे डोले
कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाये।
“उग हो सूरज देव, भइल अर्घ के बेर…”
उग हो सूरज देव, भइल अर्घ के बेर
बहंगी के पिटारा, सजल डोलिया
उग हो सूरज देव, भइल अर्घ के बेर।
“केलवा के पात पर उगेलन सूरज देव…”
केलवा के पात पर उगेलन सूरज देव
मोरा मनवा में आनंद भईल
उगेलन सूरज देव।
“पटना के घाट पर, भोर के बेला…”
पटना के घाट पर, भोर के बेला
उग हो सूरज देव, छठी मैया की महिमा।
“हे छठी मैया, हम बानी तोहार पुजारी…”
हे छठी मैया, हम बानी तोहार पुजारी
अर्घ के दिनवा हम तोहके देहब
हे छठी मैया, हम बानी तोहार पुजारी।
छठ पूजा के आधुनिक गीत
“पार करो हे गंगा मइया…”
पार करो हे गंगा मइया, हमके पार करो
उगेला सुरज देव, हे माई, हमके तार दियो।
“छठी मईया आओ, अर्घ ले लो…”
छठी मईया आओ, अर्घ ले लो
हमार विनती सुन लो, हे मैया, जीवन धन्य करो।
“सूरज देव जी हे, आशीष दीजिये…”
सूरज देव जी हे, आशीष दीजिये
भक्त जनों का जीवन सुखमय कर दीजिये
छठ पूजा पर शुभकामनाएँ (Chhath Puja Wishes in Hindi)
- “छठ पूजा की हार्दिक शुभकामनाएँ! सूरज की कृपा से आपका जीवन उज्ज्वल और समृद्ध हो।”
- “सूर्यदेव की कृपा से आपके परिवार में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहे। छठ पर्व की मंगलमयी शुभकामनाएँ!”
- “छठी मइया की कृपा से आपकी हर मनोकामना पूरी हो और आपके जीवन में खुशियों की बारिश हो। छठ पूजा की ढेरों शुभकामनाएँ!”
- “छठ पूजा के पावन अवसर पर सूर्य देव से यही कामना है कि आपके जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का संचार हो। शुभ छठ पर्व!”
छठ पूजा के कुछ सामान्य प्रश्न उत्तर
- छठ पर्व कब मनाते हैं?
छठ पर्व कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि और चैत्र शुक्ल षष्ठी तिथि को मनाते हैं। - छठ पर्व में किनकी पूजा होती है?
छठ पर्व में छठ मैया और सूर्य देव की पूजा होती है - छठ मैय्या कौन हैं?
छठ मैया सूर्यदेव की बहन और ब्रह्माजी की मानस पुत्री हैं। - सबसे पहले छठ पर्व किसने किया था?
सबसे पहले छठ पर्व सतयुग में राजा प्रियव्रत ने किया था - छठ पर्व क्यों किया जाता है?
छठ पर्व संतान और सुख समृद्धि के लिए किया जाता है। - छठ पर्व कितने दिनों का पर्व है?
छठ पर्व 4 दिनों का महापर्व है जिसका आरंभ चतुर्थी तिथि को होता है और समापन सप्तमी को होता है।