
नवग्रह शनि मंदिर में शनि देव सौम्य और प्रसन्ना मुद्रा में विराजमान है।
नवग्रह शनि मंदिर शनि देव का नाम सुनते ही आम जन के मन में सबसे पहले डर बैठ जाता है। लेकिन शनि को एक न्याय प्रिय देवता माना गया है। शनि जातक को उसके कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं। बुरे कुकर्म करने वालों को शनि दंडित करते हैं। अच्छे कर्म करने वालों पर शनि अपनी कृपा बरसाते हैं। नवग्रह शनि मंदिर में शनि देव सौम्य और प्रसन्ना मुद्रा में विराजमान है। सोने-चांदी के आभूषणों से शनि देव को सुसज्जित किया जाता है। जैसे राजाधिराज होते है वैसे ही उनका पूजन-अर्चन किया जाता है।
शनि देव के इस स्वरूप को देख भक्तों को भय नहीं लगता है बल्कि भक्तों को प्रेम की अनुभूति होती है। शनि देव के दर्शन मात्र से ही भक्तों की मनोकामना पूर्ण हो जाती है। माना जाता है कि मंदिर में पहुंचकर नवग्रह की आराधना करने से कुंडली दोष, शनि दोष, राहु की दशा, साढ़ेसाती, ढैय्या और कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। इसी वजह से बड़ी संख्या में लोग नवग्रह शनि मंदिर में पहुंचकर शनिदेव और नवग्रह की की विशेष आराधना एक साथ करते हैं और अपने ग्रहों को शांत करते हैं।
नवग्रह शनि मंदिर का इतिहास
Navagraha Shani Temple:नवग्रह शनि मंदिर करीब 450 साल से भी ज्यादा पुराना है। यहं भगवान की प्रतिमा स्वयंभू है। यह भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां भगवान शनिदेव का 16 श्रृंगार किया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि शनि देव का नाम सुनकर लोगों के मन में भगवान की काले पाषण की प्रतिमा उत्पन्न होती है। वहीं भारत के मध्य प्रदेश के इंदौर में स्थित नवग्रह शनि मंदिर इसी भक्ति का उदाहरण हैं जिससे लोगों की भारी आस्था जुड़ी हुई है। यही कारण है कि बड़ी संख्या में लोग इस मंदिर में पहुंचकर नवग्रह की पूजा करते हैं।
मंदिर का महत्व
शनिदेव की प्रतिमा के साथ इस मंदिर में होने वाली पूजा विधि भी अनोखी है। यहां तेल से नहीं बल्कि दूध और जल से शनिदेव के प्रसन्न होने की मान्यता है। मंदिर में शनि देव को फूलों और शाही पोशाकों से सजाया जाता है। शनिदेव के शृंगार में करीब छह घंटों का समय लगता है। इस शनि मंदिर में आरती से ठीक पहले शहनाई बजाई जाती है, जो आरती पूरी होने तक लगातार बजती रहती है। नवग्रह शनि मंदिर में श्रद्धालु स्नान के बाद पनोती के रूप में अपने जूते चप्पल वही छोड़कर चले जाते है।
मंदिर की वास्तुकला
नवग्रह शनि मंदिर के निर्माण में मराठा और आधुनिक वास्तुकला की झलक देखने को मिलती है। मंदिर को मजबूत स्तंभों पर बनाया गया है। नवग्रह शनि मंदिर में विशाल परिसर बना है जहां भक्त आकर नवग्रहों की शांति के लिए पूजा अर्चना करते हैं। मंदिर के गर्भ गृह में शनि देव की प्रसन्न मुद्रा में प्रतिमा स्थापित है। मंदिर में एक प्रवेश द्वार है। नवग्रह शनि मंदिर में नवग्रहों की प्रतिमाओं के साथ शिव जी और हनुमान जी की प्रतिमा भी स्थापित की गई है।
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मंदिर का समय
सुबह मंदिर खुलने का समय
05:30 AM – 12:00 PM
सायंकाल आरती का समय
Invalid date – 08:00 PM
सायंकाल मंदिर खुलने का समय
04:00 PM – 10:00 PM
मंदिर का प्रसाद
नवग्रह शनि मंदिर में शनि देव को फल, फूल, तेल, तिल और गुड चढ़ाया जाता है। साथ ही शनि देव का दूध का भी भोग चढ़ाया जाता है।