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  • Create Date October 10, 2023
  • Last Updated July 29, 2024

गायत्री अष्टकम् या गायत्री स्तोत्रम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो देवी गायत्री की स्तुति करता है। यह स्तोत्र 8 श्लोकों में विभाजित है, और प्रत्येक श्लोक में देवी गायत्री के विभिन्न गुणों और विशेषताओं का वर्णन किया गया है।

गायत्री अष्टकम् की रचना किसने की, यह निश्चित रूप से नहीं पता है, लेकिन माना जाता है कि यह एक प्राचीन स्तोत्र है। यह स्तोत्र हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है, और इसे अक्सर पूजा और अनुष्ठानों में गाया जाता है।

गायत्री अष्टकम् के कुछ प्रमुख श्लोक इस प्रकार हैं:

  • पहला श्लोक: इस श्लोक में, देवी गायत्री को "विशुद्धां सत्त्वस्थामखिल दुरवस्थादिहरणीं" कहा गया है, जिसका अर्थ है "जो विशुद्ध, सत्त्वमय हैं और सभी दुखों को दूर करती हैं।"
  • दूसरा श्लोक: इस श्लोक में, देवी गायत्री को "तपो निष्ठाभीष्टांस्वजनमनसन्तापशमनीं" कहा गया है, जिसका अर्थ है "जो तप और निष्ठा के साथ भक्तों के मन की पीड़ा को दूर करती हैं।"
  • तीसरा श्लोक: इस श्लोक में, देवी गायत्री को "दयामूर्तिं स्फूर्तिं यतितति प्रसादैकसुलभाम्" कहा गया है, जिसका अर्थ है "जो दया की मूर्ति हैं, जो प्रेरणा देती हैं और जो एक बार अनुग्रह करने के लिए तैयार हैं।"
  • चौथा श्लोक: इस श्लोक में, देवी गायत्री को "सदाराध्यां साध्यां सुमति मति विस्तारकरणीं" कहा गया है, जिसका अर्थ है "जो हमेशा पूजनीय हैं, जो साध्वी हैं और जो बुद्धि को बढ़ाती हैं।"
  • पांचवाँ श्लोक: इस श्लोक में, देवी गायत्री को "विशोकामालोकां हृदयगत मोहान्धहरणीम्" कहा गया है, जिसका अर्थ है "जो चिंता और दुःख को दूर करती हैं और जो हृदय में छिपी हुई अज्ञानता को दूर करती हैं।"
  • छठा श्लोक: इस श्लोक में, देवी गायत्री को "अजां द्वैतां त्रैतां विविधगुणरूपां सुविमलां" कहा गया है, जिसका अर्थ है "जो अजन्मा हैं, जो द्वैत और त्रिता में नहीं हैं, जो विभिन्न गुणों और रूपों में हैं और जो बहुत ही पवित्र हैं।"
  • सातवाँ श्लोक: इस श्लोक में, देवी गायत्री को "तमो हन्त्रीं-तन्त्रीं श्रुति मधुरनादां रसमयीम्" कहा गया है, जिसका अर्थ है "जो अंधकार को दूर करती हैं, जो मंत्रों में हैं, जो मधुर ध्वनि वाली हैं और जो रस से भरपूर हैं।"
  • आठवाँ श्लोक: इस श्लोक में, देवी गायत्री को "जगद्धात्रीं पात्रीं सकल भव संहारकरणीं" कहा गया है, जिसका अर्थ है "जो जगत को जन्म देती हैं, जो धारण करती हैं और जो सभी भवों को समाप्त करती हैं।"

गायत्री अष्टकम् एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो देवी गायत्री की आराधना करने का एक प्रभावी तरीका है। यह स्तोत्र भक्तों को ज्ञान, आध्यात्मिकता और प्रकाश प्राप्त करने में मदद कर सकता है।


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