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Hartalika Teej

Hartalika Teej 2025: हरतालिका तीज का पर्व विशेष महत्व माना जाता है जो माता गौरी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए एक उत्तम तिथि है। यह व्रत मुख्य रूप से सुहागिन महिलाओं द्वारा किया जाता है। पूजा के दौरान महिलाएं मां पार्वती को 16 शृंगार की सामग्री अर्पित करती हैं जिससे उन्हें अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है।

Hartalika Teej 2025: हिंदू धर्म में हरतालिका तीज का विशेष महत्व है। साल में कुल 3 तीज पड़ती है, जिसे हरियाली, कजरी और हरतालिका तीज कहा जाता है। हरियाली तीज श्रावण मास में पड़ती है, तो कजरी और हरतालिका तीज का व्रत भाद्रपद मास को रखा जाता है। हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत रखा जाता है।

इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए निर्जला व्रत रखती है। Hartalika Teej 2025 Date इसके साथ ही अविवाहित  महिलाएं अच्छा जीवनसाथी पाने के लिए इस व्रत को रखने की विधान है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधिवत पूजा करने का विधान है। आइए जानते हैं हरतालिका तीज की सही तिथि, शुभ मुहूर्त, मंत्र और धार्मिक महत्व…

Hartalika Teej 2025 Date: 25 या 26 अगस्त, कब है हरतालिका तीज

हरतालिका तीज मुहूर्त (Hartalika Teej shubh muhurat)

भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि का प्रारम्भ 25 अगस्त को दोपहर 12 बजकर 34 मिनट पर हो रहा है। साथ ही इस तिथि का समापन 26 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 54 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, हरतालिका तीज का पर्व मंगलवार, 26 अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन गौरी-शंकर की पूजा का मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहने वाला है –

हरितालिका पूजा मुहूर्त – प्रातः 5 बजकर 56 मिनट से सुबह 8 बजकर 31 मिनट तक

गौरी-शंकर पूजा विधि (Shiv-Parvati Puja)

हरतालिका तीज Hartalika Teej के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि के पश्चात् साफ-सुथरे विशेषकर हरे या लाल रंग के वस्त्र पहनें। शुभ मुहूर्त में पूजा स्थान पर चौकी पर साफ कपड़ा बिछाएं और स्वयं द्वारा बनाई गई माता पर्वती, भगवान शिव और गणेश जी की मिट्टी की मूर्ति स्थापित करें।

सबसे पहले गणेश जी का विधिवत पूजन करें और इसके बाद गौरी-शंकर की विधि-विधान से पूजन करें। पूजा में मां गौरी को 16 शृंगार की सामग्री अर्पित करें और हरतालिका तीज व्रत कथा जरूर सुनें। आप पूजा में इन मंत्रों का जप भी कर सकते हैं –

हरतालिका तीज पर बन रहे शुभ योग (Hartalika Teej 2025 Shubh Yog)

इस साल हरतालिका तीज Hartalika Teej पर काफी शुभ योगों का निर्माण हो रहा है। इस दिन चंद्रमा मंगल के साथ कन्या राशि में होंगे, जिससे महालक्ष्मी राजयोग बन रहा है। इसके अलावा इस दिन  हस्त नक्षत्र के साथ साध्य, शुभ योग बन रहा है। इसके साथ ही इस दिन सूर्य अपनी स्वराशि सिंह राशि में विराजमान रहेंगे।

रतालिका तीज 2025 पर करें इन मंत्रों का जाप (Hartalika Teej 2025 Mantra)

देवी पार्वती का मंत्र
ऊं उमयेए पर्वतयेए जग्दयेए जगत्प्रथिस्थयेए स्हन्तिरुपयेए स्हिवयेए ब्रह्म रुप्नियेए”

शिव मंत्र
ऊं ह्रयेए महेस्ह्अरयेए स्हम्भवे स्हुल् पद्येए पिनक्ध्रस्हे स्हिवये पस्हुपतये महदेवयअ नमह्”

Hartalika Teej 2025 Date: 25 या 26 अगस्त, कब है हरतालिका तीज, जानिए शुभ मुहूर्त और जरूरी बातें Hartalika Teej

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हरतालिका तीज व्रत विधि एवं नियम: Hartalika Teej Vrat Vidhi and Niyam

हरतालिका पूजन प्रदोष काल में किया जाता हैं। प्रदोष काल अर्थात दिन रात के मिलने का समय। सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त को प्रदोषकाल कहा जाता है। हरतालिका पूजन के लिए शिव, पार्वती, गणेश एव रिद्धि सिद्धि जी की प्रतिमा बालू रेत अथवा काली मिट्टी से बनाई जाती हैं।

विविध पुष्पों से सजाकर उसके भीतर रंगोली डालकर उस पर चौकी रखी जाती हैं। चौकी पर एक अष्टदल बनाकर उस पर थाल रखते हैं। उस थाल में केले के पत्ते को रखते हैं। सभी प्रतिमाओ को केले के पत्ते पर रखा जाता हैं। सर्वप्रथम शुद्ध घी का दीपक जलाएं। तत्पश्चात सीधे (दाहिने) हाथ में अक्षत रोली बेलपत्र, मूंग, फूल और पानी लेकर इस मंत्र से संकल्प करें:
उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रत महं करिष्ये।

इसके बाद कलश के ऊपर नारियल रखकर लाल कलावा बाँध कर पूजन किया जाता हैं कुमकुम, हल्दी, चावल, पुष्प चढ़ाकर विधिवत पूजन होता हैं। कलश के बाद गणेश जी की पूजा की जाती हैं।

उसके बाद शिव जी की पूजा जी जाती हैं। तत्पश्चात माता गौरी की पूजा की जाती हैं। उन्हें सम्पूर्ण श्रृंगार चढ़ाया जाता हैं। इसके बाद अन्य देवताओं का आह्वान कर षोडशोपचार पूजन किया जाता है।

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इसके बाद हरतालिका व्रत Hartalika Teej की कथा पढ़ी जाती हैं। इसके पश्चात आरती की जाती हैं जिसमे सर्वप्रथम गणेश जी की पुनः शिव जी की फिर माता गौरी की आरती की जाती हैं। इस दिन महिलाएं रात्रि जागरण भी करती हैं और कथा-पूजन के साथ कीर्तन करती हैं। प्रत्येक प्रहर में भगवान शिव को सभी प्रकार की वनस्पतियां जैसे बिल्व-पत्र, आम के पत्ते, चंपक के पत्ते एवं केवड़ा अर्पण किया जाता है। आरती और स्तोत्र द्वारा आराधना की जाती है। हरतालिका व्रत का नियम हैं कि इसे एक बार प्रारंभ करने के बाद छोड़ा नहीं जा सकता।

प्रातः अन्तिम पूजा के बाद माता गौरी को जो सिंदूर चढ़ाया जाता हैं उस सिंदूर से सुहागन स्त्री सुहाग लेती हैं। ककड़ी एवं हलवे का भोग लगाया जाता हैं। उसी ककड़ी को खाकर उपवास तोडा जाता हैं। अंत में सभी सामग्री को एकत्र कर पवित्र नदी एवं कुण्ड में विसर्जित किया जाता हैं।

भगवती-उमा की पूजा के लिए ये मंत्र बोलना चाहिए:
ॐ उमायै नम:
ॐ पार्वत्यै नम:
ॐ जगद्धात्र्यै नम:
ॐ जगत्प्रतिष्ठयै नम:
ॐ शांतिरूपिण्यै नम:
ॐ शिवायै नम:

भगवान शिव की आराधना इन मंत्रों से करनी चाहिए:
ॐ हराय नम:
ॐ महेश्वराय नम:
ॐ शम्भवे नम:
ॐ शूलपाणये नम:
ॐ पिनाकवृषे नम:
ॐ शिवाय नम:
ॐ पशुपतये नम:
ॐ महादेवाय नम:

हरतालिका व्रत पूजन की सामग्री: Hartalika Vrat Pujan Ki Samgri

फुलेरा विशेष प्रकार से फूलों से सजा होता है।
गीली काली मिट्टी अथवा बालू रेत।
केले का पत्ता।
विविध प्रकार के फल एवं फूल पत्ते।
बेल पत्र, शमी पत्र, धतूरे का फल एवं फूल, तुलसी मंजरी।
जनेऊ, नाडा, वस्त्र,।
माता गौरी के लिए पूरा सुहाग का सामग्री, जिसमे चूड़ी, बिछिया, काजल, बिंदी, कुमकुम, सिंदूर, कंघी, महावर, मेहँदी आदि एकत्र की जाती हैं। इसके अलावा बाजारों में सुहाग पूड़ा मिलता हैं जिसमे सभी सामग्री होती हैं।
घी, तेल, दीपक, कपूर, कुमकुम, सिंदूर, अबीर, चन्दन, नारियल, कलश।
पंचामृत: घी, दही, शक्कर, दूध, शहद।

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