
इस मंदिर में होलकर काल से चली आ रही परंपरा आज भी देखने को मिलती है।
भारत के मध्य प्रदेश के इंदौर शहर के हृदय स्थल राजवाड़ा में महालक्ष्मी मंदिर स्थित है। यह इंदौर के प्राचीन मंदिरों में से एक है। भक्त मंदिर में जो चावल चढ़ाते हैं, उनमें से कुछ चावल मन्नत के रूप में अपने साथ ले जाते हैं और फिर उसे घर की तिजोरी और दुकान के गल्ले में रखते हैं ताकि वर्षभर बरकत बनी रहे। बताया जाता है कि यह सिलसिला मंदिर की स्थापना के बाद से लगातार जारी है।
महालक्ष्मी मंदिर का इतिहास
महालक्ष्मी मंदिर करीब 188 साल प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर होलकर कालीन मंदिर की स्थापना 1833 में इंदौर के राजा हरि राव होलकर ने की थी। उस दौर में यहां मंदिर नहीं था, प्रतिमा की स्थापना एक पुराने मकान में की गई थी। होलकर वंश के लोग उस समय नवरात्र और दिवाली पर माता के दर्शन करने आते थे। इसके साथ ही खजाना खोलने से पूर्व भी होलकर राजवंश मां महालक्ष्मी का आशीष लेता था। इस मंदिर में होलकर काल से चली आ रही परंपरा आज भी देखने को मिलती है।
Mahalakshmi Temple:मंदिर का महत्व
दिवाली के मौके पर भक्त मंदिर पहुंचकर माता लक्ष्मी को पीले चावल देकर अपने घर आने का आमंत्रण देते हैं। भक्त मां लक्ष्मी से प्रार्थना करते हैं कि हमारे घर पधारें और सुख-समृद्धि का आशीष दें। दिवाली के दिन मंदिर के पट सुबह तीन बजे खोल दिए जाते हैं। 11 पंडित मां लक्ष्मी का विशेष अभिषेक करते हैं और फिर श्रृंगार के बाद माता की महाआरती की जाती है।
हर साल दीपावली के मौके पर मंदिर में 5 दिवसीय महोत्सव होता है। धनतेरस से शुरू होकर ये महोत्सव भाईदूज पर पूरा होता है। इस मौके पर यहां लाखों दर्शनार्थी मंदिर पहुंचते हैं। होलकर रियासत के दफ्तर में काम करने वाले कर्मचारी और क्षेत्र के व्यापारी अपने दिन की शुरुआत मंदिर में मां लक्ष्मी के दर्शन के साथ करते हैं।
मंदिर की वास्तुकला
होलकर कालीन महालक्ष्मी मंदिर का निर्माण पूरी तरह से लकड़ी से हुआ था। 1933 में ये मंदिर तीन मंजिला था, लेकिन बाद में जर्जर होने के कारण ये गिर गया। 1942 में मंदिर जीर्णोद्धार कराया गया, जिसके बाद 2011 में मंदिर का पुन: जीर्णोद्धार कराया गया। इस मंदिर में माता की 21 इंच की प्राचीन मूर्ति प्रतिष्ठित है।
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गर्भ गृह में बड़े चबूतरे पर माता महालक्ष्मी की भव्य प्रतिमा स्थापित है, जिसके चारों ओर संगमरमर के आठ स्तम्भ लगे हुए हैं। साथ ही भगवान गणेश रिद्धि सिद्धि की काले पत्थरों से बनी मूर्ति है। मुंबई के महालक्ष्मी मंदिर के तर्ज पर इस मंदिर का विकास किया जा रहा है। मंदिर को मराठा शैली में बनाया गया है। मंदिर के दीवारों पर नक्काशी की गई, जिसे देख कर मन प्रसन्न हो जाता है।
मंदिर का समय
सुबह मंदिर खुलने का समय
07:00 AM – 12:00 PM
सायंकाल मंदिर खुलने का समय
05:00 PM – 10:00 PM
सुबह की आरती
07:00 AM – 07:30 AM
सायंकाल आरती
07:00 PM – 07:30 PM
मंदिर का प्रसाद
महालक्ष्मी मंदिर में भक्त मां को फल, ड्राई फ्रूट्स, लड्डू का भोग लगाते हैं। कुछ श्रद्धालु मां को हलवा, चना और पूड़ी का भोग भी लगाते हैं।