राधा रमण मंदिर

इस मंदिर में श्री कृष्ण के राधा रमण रूप की पूजा की जाती है।

राधा रमण मंदिर उत्तर प्रदेश मथुरा के वृंदावन धाम में स्थित है राधा रमण मंदिर। यह हिन्दू मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है। इस मंदिर में श्री कृष्ण के राधा रमण रूप की पूजा की जाती है। यह मंदिर सप्त देवालय में शामिल है जिसमे राधा वल्लभ मंदिर, राधा मदनमोहन मंदिर, राधा दामोदर मंदिर, राधा श्यामसुंदर मंदिर, राधा गोकुलनंदन मंदिर और राधा गोविंदजी मंदिर भी शामिल है।

यह मंदिर 500 साल पूर्व का है। इसकी स्थापना गोपाल भट्ट स्वामी ने की थी। गोपाल भट्ट स्वामी जब 30 वर्ष के थे तब वह वृन्दावन आये। चैतन्य महाप्रभु के अचानक चले जाने के बाद उन्होंने सपने में देखा कि भगवान उन्हें उनके दर्शन प्राप्त करने हेतु नेपाल जाने का निर्देश दे रहे है। इस लिए गोपाल भट्ट स्वामी नेपाल चले गए और वहां उन्होंने काली गंडकी नदी में स्नान किया।

इस नदी में उन्होंने अपने पानी के बर्तन को डुबोया परन्तु उन्होंने देखा कि कई शालिग्राम उनके बर्तन आ गए है। उन्हें वापस नदी में गिराने की कोशिश भी की लेकिन वह बर्तन में ही रहे। उन्हें 12 शालिग्राम शिलाएँ मिलीं और वे उन्हें अपने साथ वृंदावन ले आये। वही शालिग्राम वृंदावन में स्थापित है। वर्तमान राधा रमन मंदिर का निर्माण 1826 में लखनऊ के शाह बिहारी लालजी के करवाया था।

इस मंदिर में आज भी भगवान कृष्ण के असली सालिग्राम उपस्थित है जो राधारानी के साथ है। राधा रमण मंदिर में राधा जी का विग्रह नहीं है। क्योंकि राधा-रमण का यह विग्रह स्वयंभू है। इस मंदिर में त्योहारों को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। जिसे देखने के लिए लोग दूर दूर से आते है। पौराणिक कथा के मुताबिक चैतन्य महाप्रभु के शिष्य गोपाल भट्ट गोस्वामी हुआ करते थे उन्होंने अपनी भक्ति और तप द्वारा राधा रमण जी के विग्रह रूप को प्रकट किया।

ऐसा भी बताया जाता है कि जब भगवान प्रकट हुए तो गोपाल भट्ट जी ने उनके लिए भोग बनाया। भोग बनाने के लिए उन्होंने हवन की लकड़ियों को रख कर मंत्रोच्चार से ही अग्नि प्रज्वलित की। तब से लेकर आज तक यह अग्नि ऐसे ही प्रज्जवलित हो रही है। राधा रमण मंदिर किसी भी प्रकार से इस अग्नि को बुझाया नहीं जा सका है। आज भी इस मंदिर में राधा रमन जी के लिए भोग इसी अग्नि पर पकाया जाता है। इस मंदिर में माचिस का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।

राधा रमण मंदिर की वास्तुकला आधुनिक हिंदू शैली में बनायीं गयी है। इस मंदिर के अंदर सालिग्राम पत्थर की एक मूल स्वयं-प्रकट मूर्ति है। यह विशाल मंदिर नदी किनारे स्थित है जो इसकी प्राकृतिक सुंदरता को बढ़ाता है। परिसर के भीतर गोपाल भट्ट गोस्वामी की समाधि भी है जो इस मंदिर के निर्माता है। कहा जाता है कि राधा रमण मंदिर में गुरु चैतन्य द्वारा उपयोग किए गए कपड़े भी है।

गर्मियों में राधारमण जी मन्दिर वृन्दावन खुलने का समय

05:00 AM – 12:15 PM

गर्मियों में सुबह मंगला आरती का समय

05:00 AM – 05:30 AM

गर्मियों में शाम को राधारमण जी मंदिर खुलने का समय

06:00 PM – 09:00 PM

सर्दियों में राधारमण जी मन्दिर वृन्दावन खुलने का समय

05:30 AM – 12:15 PM

सर्दियों में शाम को राधारमण जी मंदिर खुलने का समय

06:00 PM – 09:00 PM

मंदिर का प्रसाद

राधा रमण मंदिर में खिचड़ी का भोग लगाया जाता है। साथ ही पुष्प भी चढ़ाये जाते है।

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