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Vat Savitri Vrat Katha Hindi

Vat Savitri Vrat Katha in Hindi: वट सावित्री व्रत कथा में बरगद के पेड़ का विशेषतौर पर उल्लेख मिलता है। सुहागिनें वट सावित्री व्रत कथा वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ के नीचे सुनती हैं। इसके अलावा वट वृक्ष की पूजा भी की जाती है। आइए, जानते हैं वट सावित्री व्रत कथा में बरगद का महत्व क्या है। वट सावित्री पर सुहागिनें अपने पति की लम्बी आयु के लिए व्रत रखती हैं।

वट सावित्री पर वट सावित्री के वृक्ष के साथ सत्यवान और सावित्री की पूजा भी की जाती है। साथ ही ही विधि-विधान के साथ पूजा करके वट सावित्री व्रत वट वृक्ष के नीचे कथा सुनी और सुनाई जाती है। जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि Vat Savitri Vrat Katha Hindi वट सावित्री व्रत में वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ का बहुत महत्व होता है। आइए, जानते हैं वट सावित्री व्रत कथा में वट वृक्ष का क्या महत्व होता है।

Vat savitri vrat katha in hindi

Vat Savitri Vrat Katha Hindi पुराणों में वर्णित सावित्री की कथा इस प्रकार है- राजा अश्वपति की अकेली संतान का नाम था सावित्री। सावित्री ने राजा द्युमत्सेन के बेटे सत्यवान को से विवाह किया। विवाह से पहले उन्हें नारद जी ने बताया कि सत्यवान के आयु कम है, तो भी सावित्री अपने फैसले से डिगी नहीं। वह सत्यवान के प्रेम में सभी राजसी वैभव त्याग कर  उनके परिवार की सेवा करते हुए वन में रहने लगीं। Vat Savitri Vrat Katha Hindi जिस दिन सत्यवान के महाप्रयाण का दिन था, उस दिन वह लकड़ियां काटने जंगल गए।  वहां मू्च्छिछत होकर गिर पड़े। उसी समय यमराज सत्यवान के प्राण लेने आए।

तीन दिन से उपवास में रह रही सावित्री उस घड़ी को जानती थीं, अत: बिना परेशान हुए  यमराज से सत्यवान के प्राण वापस देने की प्रार्थना करती रही, लेकिन यमराज नहीं माने। तब सावित्री उनके पीछे-पीछे ही जाने लगीं। Vat Savitri Vrat Katha Hindi कई बार मना करने पर भी वह नहीं मानीं, तो सावित्री के साहस और त्याग से यमराज प्रसन्न हुए और कोई तीन वरदान मांगने को कहा।

Vat Savitri Vrat Katha Hindi सावित्री ने सत्यवान के दृष्टिहीन  माता-पिता के नेत्रों की ज्योति मांगी, उनका छिना हुआ राज्य मांगा और अपने लिए 100 पुत्रों का वरदान मांगा। तथास्तु कहने के बाद यमराज समझ गए कि सावित्री के पति को साथ ले जाना अब संभव नहीं। इसलिए उन्होंने सावित्री को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद दिया और सत्यवान को छोड़कर वहां से अंतर्धान हो गए। Vat Savitri Vrat Katha Hindi उस समय सावित्री अपने पति को लेकर वट वृक्ष के नीचे ही बैठी थीं।
इसीलिए इस दिन महिलाएं अपने परिवार और जीवनसाथी की दीर्घायु की कामना करते हुए वट वृक्ष को भोग अर्पण करती हैं, उस पर धागा लपेट कर पूजा करती हैं।  

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वट वृक्ष की पूजा करने से यमराज और त्रिदेवों की मिलती है कृपा (By worshiping banyan tree one gets blessings of Yamraj and Trinity.)

वट सावित्री व्रत कथा बरगद के पेड़ के नीचे की जाती है। इसका कारण यह है मान्यतानुसार वट सावित्री के दिन बरगद के पेड़ पर यमराज निवास करते हैं। इससे विवाहित स्त्रियां अपने पति की लम्बी आयु के लिए यमराज से प्रार्थना करती है। साथ ही बरगद के पेड़ पर त्रिदेव भी निवास करते हैं। ऐसे में माना जाता है कि जिस व्यक्ति के सिर पर त्रिदेव का हाथ होता है, उसका मृत्यु भी कुछ नहीं बिगाड़ सकती है। बरगद पेड़ की छाल में भगवान विष्णु, जड़ में ब्रह्मा और इसकी शाखाओं में भगवान शिव वास करते हैं।

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​यमराज ने वटवृक्ष के नीचे लौटाए थे सत्यवान के प्राण (Yamraj had returned Satyavan’s life under the banyan tree)

जब सावित्री के पति सत्यवान के प्राण यमराज ने हर लिए थे, तो सावित्री ने यमराज से अपने पति के प्राण लौटाने के लिए प्रार्थना की थी। पौराणिक मान्यता है कि तब यमराज ने वट वृक्ष के नीचे ही सत्यवान के प्राण लौटाकर सत्यवती को पुत्रवती होने का आशीर्वाद दिया था। यमराज ने बरगद की जड़ों में सत्यवान के प्राण को जकड़कर रखा हुआ था। यमराज के प्राण लौटाए जाने के बाद से सुहाग की दीर्घायु के लिए वट वृक्ष के नीचे प्रार्थना की जाती है।

​वट वृक्ष में कलावा बांधने से टल जाती है अकाल मृत्यु (​Untimely death is averted by tying Kalawa to the banyan tree)

वट सावित्री व्रत कथा के बाद वट वृक्ष में 7 बार कलावा लपेटकर बांधा जाता है। वट वृक्ष की 7 परिक्रमा करने को पति-पत्नी के सात जन्मों के सम्बधों से जोड़कर देखा जाता है। पौराणिक मान्यता है कि बरगद के पेड़ में कलावा बांधने से अकाल मृत्यु भी टल जाती है।

​वट वृक्ष की पूजा करने से शनि की पीड़ा से मिलती है मुक्ति (By worshiping banyan tree one gets relief from the pain of Saturn)

वट सावित्री के दिन शनि जयंती भी है। Vat Savitri Vrat Katha Hindi ऐसे में वट सावित्री का महत्व और भी बढ़ जाता है। वट सावित्री व्रत कथा के अनुसार शनि की साढ़े साती की वजह से ही सत्यवान के प्राण शनिदेव के भाई यमराज ले गए थे, इसलिए वट सावित्री के दिन वट वृक्ष की पूजा करने से शनिदेव की वक्री दृष्टि से भी मुक्ति मिलती है। शनिदेव की कृपा पाने के लिए भी वट सावित्री पर बरगद की पूजा की जाती है।

​बरगद का पेड़ औषधीय गुणों से भरपूर होता है(Banyan tree is full of medicinal properties)

Vat Savitri Vrat Katha Hindi बरगद के पेड़ का धार्मिक महत्व ही नहीं बल्कि बरगद का पेड़ औषधीय गुणों से भी भरपूर है। इसके पत्तों से निकलने वाले दूध को चोट, मोच या सूजन पर दिन में दो से तीन बार लगाकर मालिश करने से चोट पूरी तरह से ठीक हो जाती है। आयुर्वेद में भी बरगद के पेड़ के औषधीय गुण बताए गए हैं।

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