KARMASU

Santan Saptami

Santan Saptami;प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को संतान सप्तमी का व्रत रखा जाता है। यह व्रत विशेष रूप से संतान की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और सुरक्षा के लिए किया जाता है।Santan Saptami 2025 माताएं अपने बच्चों के कल्याण के लिए भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं।सनातन धर्म में संतान सप्तमी व्रत का खास महत्व है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने बच्चों की भलाई और सुरक्षा के लिए व्रत रखती हैं। इसके साथ ही शिव-पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं। वैदिक पंचांग के अनुसार, संतान सप्तमी का व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को रखा जाता है। इस बार यह व्रत (Santan Saptami 2025 ) कब रखा जाएगा?

इस वर्ष 2025 में, Santan Saptami 2025 संतान सप्तमी की तिथि को लेकर कुछ भ्रम की स्थिति है। कई लोग जानना चाहते हैं कि संतान सप्तमी का व्रत 29 अगस्त को रखा जाएगा या 30 अगस्त को। आइए, इस भ्रम को दूर करते हैं और जानते हैं सही तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि।

संतान सप्तमी डेट और पूजा मुहूर्त (Santan Saptami 2025 Date And Puja Time)

Santan Saptami 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, सप्तमी तिथि का आरंभ 29 अगस्त को रात 08 बजकर 21 मिनट पर होगा। वहीं, इसका अंत 30 अगस्त को रात 10 बजकर 46 मिनट पर होगा। ऐसे में 30 अगस्त को संतान सप्तमी का उपवास रखा जाएगा। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 05 मिनट से दोपहर 12 बजकर 47 मिनट तक रहेगा।

चूंकि उदय तिथि के अनुसार व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं, इसलिए Santan Saptami 2025 संतान सप्तमी का व्रत 30 अगस्त 2025, शनिवार को रखा जाएगा। इस दिन सूर्योदय के समय सप्तमी तिथि रहेगी, जो व्रत के लिए सर्वाधिक मान्य है।

संतान सप्तमी व्रत का महत्व:Importance of Santan Saptami fast

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, संतान सप्तमी का व्रत अपार पुण्य फलदायी होता है। इस व्रत को करने से:

  • संतान को दीर्घायु और उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
  • बच्चों को जीवन में सफलता और सुख मिलता है।
  • माता-पिता और संतान के बीच का संबंध और मजबूत होता है।
  • यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती के आशीर्वाद से वंश वृद्धि में भी सहायक माना जाता है।

अनंत चतुर्दशी से पहले इन दिनों में कर सकते हैं बप्पा को विदा, जानें गणेश जी के विसर्जन की तिथियां…

संतान सप्तमी 2025: पूजा विधि: Santan Saptami 2025: Puja method

संतान सप्तमी के दिन व्रत और पूजा करने की विधि इस प्रकार है:

  1. व्रत का संकल्प: संतान सप्तमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद “मम भाविनी संतान सुख-समृद्धि हेतु श्री शिव-पार्वती पूजनं करिष्ये” का संकल्प लें।
  2. पूजा की तैयारी: पूजा के लिए भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर कलश स्थापित करें। कलश के ऊपर एक नारियल रखें और आम के पत्ते लगाएं।
  3. पूजा सामग्री: पूजा में खीर-पूरी, गुड़ के 7 पुए (पूड़ी), चावल, कलावा, धूप, दीप, रोली, अक्षत, और मौसमी फल शामिल करें।
  4. पूजन: भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें। उन्हें रोली, अक्षत, फूल और मिठाई अर्पित करें। उन्हें 7 पुए और खीर का भोग लगाएं।
  5. व्रत कथा: व्रत की कथा पढ़ें या सुनें। संतान सप्तमी की कथा को सुनने से व्रत का पूर्ण फल मिलता है।
  6. आरती: कथा के बाद भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें।
  7. व्रत पारण: शाम को पूजा के बाद व्रत का पारण करें। व्रत का पारण खीर और पूरी से ही किया जाता है।
Kojagari Puja 2025 Date And Time: कोजागरी पूजा कब है? धरती पर पधारेंगी मां लक्ष्मी, नोट करें शुभ मुहूर्त और महत्व Kojagari Puja 2025

Kojagari Puja 2025 Date And Time: कोजागरी पूजा कब है? धरती पर पधारेंगी मां लक्ष्मी, नोट करें शुभ मुहूर्त और महत्व

Kojagari Puja 2025: कोजागरी पूर्णिमा (Kojagari Purnima) हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण पर्वों में से एक है, जिसे कोजागरी लक्ष्मी पूजा…

Padmanabha Dwadashi 2025 Date: पद्मनाभ द्वादशी तिथि, महत्व, और भगवान विष्णु के पद्मनाभ स्वरूप की पूजा विधि Padmanabha Dwadashi 2025

Padmanabha Dwadashi 2025 Date: पद्मनाभ द्वादशी तिथि, महत्व, और भगवान विष्णु के पद्मनाभ स्वरूप की पूजा विधि

Padmanabha Dwadashi 2025 Mein Kab Hai: हिंदू धर्म में द्वादशी तिथि का अत्यंत आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व है। द्वादशी चंद्र…

Devi Skandmata: मंत्र, प्रार्थना, स्तुति, ध्यान, स्तोत्र, कवच और आरती Devi Skandmata

Devi Skandmata: मंत्र, प्रार्थना, स्तुति, ध्यान, स्तोत्र, कवच और आरती

Devi Skandmata मां दुर्गा का दूसरा रूप हैं और माना जाता है कि वे अपने भक्तों की रक्षा करती हैं,…

निष्कर्ष

संतान सप्तमी का व्रत माता-पिता के लिए उनकी संतान के प्रति प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। इस वर्ष 30 अगस्त 2025 को श्रद्धा और भक्ति के साथ इस व्रत को रखें और भगवान शिव और माता पार्वती से अपनी संतान के उज्ज्वल भविष्य के लिए प्रार्थना करें।

यह ब्लॉग पोस्ट आपकी वेबसाइट ‘कर्मसु’ के लिए बहुत उपयुक्त है, क्योंकि यह धार्मिक जानकारी को स्पष्ट और व्यवस्थित तरीके से प्रस्तुत करती है, जो पाठकों के लिए उपयोगी है।

profile picture

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *