Govardhan Puja:गोवर्धन पूजा का पर्व भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत को समर्पित है। यह पर्व हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि (Govardhan Puja Date 2024) को मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा-अर्चना और 56 भोग अर्पित करने से साधक को समस्त दुख और संताप से छुटकारा मिलता है।
Govardhan puja 2024: हिंदू धर्म में दीपावली (Diwali) का त्योहार 5 दिन तक मनाया जाता है, जिसकी शुरुआत धनतेरस के साथ होती है. इसके बाद रूप चौदस, दीपावली, गोवर्धन और भाई दूज का पावन त्योहार मनाया जाता है, लेकिन इस बार दीपावली की डेट को लेकर बहुत असमंजस चल रहा है.
जिसके कारण आगे और पीछे के त्योहारों को लेकर भी कंफ्यूजन है, तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा (Govardhan puja) कब की जाएगी. बता दें कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण (Lord Shri Krishna) की पूजा अर्चना की जाती है, साथ ही गोवर्धन पर्वत बनाकर उसकी भी आराधना होती है. आइए जानें इसकी सही तारीख क्या है और इस दिन आप किस तरीके से पूजा अर्चना कर सकते हैं.
Govardhan Puja:गोवर्धन पूजा 2024 Date
हिन्दू धर्म में गोवर्धन पूजा का विशेष महत्व होता है, जो हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है. कहते हैं कि इस दिन गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर भगवान श्री कृष्ण की पूजा अर्चना की जाए तो सभी दुख और संताप दूर हो जाते हैं. इस बार गोवर्धन पूजा का पावन त्योहार 2 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा, हालांकि इसकी तिथि 1 नवंबर 2024 को शाम 6:16 को शुरू हो जाएगी और इसका समापन 2 नवंबर को रात 8:21 पर होगा, ऐसे में उदिया तिथि के अनुसार गोवर्धन पूजा का त्योहार 2 नवंबर को ही मनाया जाएगा.
Govardhan Puja Subh Muhurat:गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त
ज्योतिषों के अनुसार, गोवर्धन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 2 नवंबर 2024 को सुबह 6 बजे से लेकर 8:00 तक रहेगा. इसके बाद दोपहर में 3:23 से लेकर 5:35 के बीच में भी पूजा अर्चना की जा सकती है. गोवर्धन पूजा के लिए सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गोबर से गोवर्धन पर्वत और भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति बनाई जाती है, मूर्ति को फूलों और रंगों से सजाया जाता है. इसके बाद गोवर्धन पर्वत और भगवान श्री कृष्ण की पूजा अर्चना की जाती है,
भगवान को फल, फूल, मिष्ठान आदि अर्पित किए जाते हैं. इस दौरान कढ़ी और अन्नकूट, चावल का भोग जरूर लगाया जाता है. इसके बाद इस दिन गाय, बैल और भगवान विश्वकर्मा की पूजा भी की जाती है, पूजा करने के बाद घर में बनाए गए गोवर्धन पर्वत की सात परिक्रमा की जाती है और आखिर में आरती करके पूजा को संपन्न किया जाता है.
Govardhan Puja:गोवर्धन पूजा विधि
- गोवर्धन पर्वत का प्रतीक बनाएं: मिट्टी या गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की छोटी आकृति बनाएं। इसे फूलों, पत्तों और दीपों से सजाएं।
- अन्नकूट का भोग: विभिन्न प्रकार के भोजन जैसे सब्जियाँ, मिठाई, अनाज, और दही तैयार कर भगवान कृष्ण को अर्पित करें। इस भोग को अन्नकूट कहा जाता है, जो कृष्ण को अर्पण करने के लिए होता है।
- गौ पूजा: गायों को सजाएं, उन्हें भोजन दें और पूजा करें। यह प्रकृति और जीवों के प्रति आदर को दर्शाता है।
- पारंपरिक पूजा और आरती: कृष्ण मंत्रों का जाप करें और दीप जलाकर भगवान की आरती करें। अंत में प्रसाद बांटें और परिवार के साथ पर्व मनाएं
Govardhan Puja ka mahetwa:गोवर्धन पूजा का महत्व
गोवर्धन पूजा के दिन को हिंदू धर्म में बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इसी दिन भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपने उंगली पर उठाकर इंद्र देव की घमंड को चूर-चूर किया था। इस दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा तो की ही जाती है, साथ ही यह त्योहार मानव और प्रकृति के बीच के संबंध को भी दर्शाता है। इस दिन दान-पुण्य करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है और आपके जीवन में सकारात्मकता आती है। गोवर्धन महाराज की पूजा के साथ ही इस दिन भगवान कृष्ण की पूजा आराधना करने से भी आपको लाभ मिलता है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है.KARMASU.IN इसकी पुष्टि नहीं करता है.)