गोवर्धनशरणदासकम् (रघुनाथदासगोस्वामीविरचितम्) एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान कृष्ण के द्वारा गोवर्धन पर्वत को उठाने की लीला की स्तुति करता है। यह स्तोत्र 17वीं शताब्दी के वैष्णव संत और कवि रघुनाथदास गोस्वामी द्वारा रचित था। Govardhanashrayadasakam (Raghunathdasgoswamivirachitam) स्तोत्र के 10…
गोवर्धनष्टकम् (विश्वनाथचक्रवर्तिन ठाकुरविरचितम्) एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान कृष्ण के द्वारा गोवर्धन पर्वत को उठाने की लीला की स्तुति करता है। यह स्तोत्र 17वीं शताब्दी के वैष्णव संत और विद्वान विश्वनाथ चक्रवर्ती ठाकुर द्वारा रचित था। Govardhanashtakam (Vishwanathchakravartin Thakkurvirchitam)…
गोवर्धनष्टकम् 1 (रूपगोस्वामीविरचितम्) एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान कृष्ण के द्वारा गोवर्धन पर्वत को उठाने की लीला की स्तुति करता है। यह स्तोत्र 16वीं शताब्दी के वैष्णव संत और कवि रूपगोस्वामी द्वारा रचित था। स्तोत्र के आठ श्लोक हैं,…
गोवर्धनष्टकम् 2 (रूपगोस्वामीविरचितम्) एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान कृष्ण के द्वारा गोवर्धन पर्वत को उठाने की लीला की स्तुति करता है। यह स्तोत्र 16वीं शताब्दी के वैष्णव संत और कवि रूपगोस्वामी द्वारा रचित था। स्तोत्र के आठ श्लोक हैं,…
गोवर्धनधारणम् (रूपगोस्वामीविरचितम्) एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान कृष्ण के द्वारा गोवर्धन पर्वत को उठाने की लीला की स्तुति करता है। यह स्तोत्र 16वीं शताब्दी के वैष्णव संत और कवि रूपगोस्वामी द्वारा रचित था। स्तोत्र के 10 श्लोक हैं, प्रत्येक…
गोविंदादमोदरस्तोत्रम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान कृष्ण के अवतार गोविंदादमोदर की स्तुति करता है। यह स्तोत्र 17वीं शताब्दी के वैष्णव संत और विद्वान विश्वनाथ चक्रवर्ती ठाकुर द्वारा रचित था। स्तोत्र के पांच श्लोक हैं, प्रत्येक श्लोक में कृष्ण के…
Govindadevashtakam, एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान कृष्ण के अवतार गोविंददेव की स्तुति करता है। यह स्तोत्र 17वीं शताब्दी के वैष्णव संत और विद्वान विश्वनाथ चक्रवर्ती ठाकुर द्वारा रचित था। स्तोत्र में, ठाकुर कृष्ण के रूप, गुणों और लीलाओं का…
गोविन्दविरुद्धावली (रुद्रगोस्वामीविरचित) एक संस्कृत ग्रन्थ है जो भगवान कृष्ण और राधा की लीलाओं का वर्णन करता है। यह ग्रन्थ 16वीं शताब्दी के वैष्णव संत और दार्शनिक रुद्रगोस्वामी द्वारा लिखा गया था। ग्रन्थ का नाम विरुद्धावली इसलिए है क्योंकि इसमें भगवान…
गोविन्दराजप्रपत्ति एक वैष्णव आध्यात्मिक अवधारणा है जो भगवान कृष्ण की शरण में जाने की प्रक्रिया को संदर्भित करती है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें भक्त भगवान कृष्ण को अपना सर्वस्व मानते हैं और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए…
Govindarajstuti (Sudarshanvaradnarayandaskrita) गोविन्दराजस्तुति (सुदर्शनवरदनारायणदृष्टा) एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान कृष्ण की स्तुति करता है। यह स्तोत्र 17वीं शताब्दी के वैष्णव संत और दार्शनिक सुदर्शनवरदनारायण द्वारा लिखा गया था। स्तोत्र का प्रारंभ भगवान कृष्ण के रूप और गुणों के वर्णन…
Govindavirudavali (Rupagoswamivirchita) गोविन्दविरुद्धावली (रुद्रगोस्वामीविरचित) एक संस्कृत ग्रन्थ है जो भगवान कृष्ण और राधा की लीलाओं का वर्णन करता है। यह ग्रन्थ 16वीं शताब्दी के वैष्णव संत और दार्शनिक रुद्रगोस्वामी द्वारा लिखा गया था। ग्रन्थ का नाम विरुद्धावली इसलिए है क्योंकि…
Govindastotram गोविन्दस्तोत्रम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान कृष्ण की स्तुति करता है। यह स्तोत्र 10 श्लोकों में रचित है और इसमें भगवान कृष्ण के रूप, गुण और लीलाओं का वर्णन किया गया है। स्तोत्र का प्रारंभ भगवान कृष्ण के…