Krishna Janmashtami 2024: वैदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन कृष्ण जन्माष्टमी पर्व हर्षोल्लाह के साथ मनाया जाता है. यह दिन भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है
Krishna Janmashtami 2024 कृष्ण जन्माष्टमी 2024
Krishna Janmashtami 2024 वैदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 26 अगस्त सुबह 03:40 पर शुरू होगी और इस तिथि का समापन 27 अगस्त सुबह 02:19 पर होगा. ऐसे में कृष्ण जन्माष्टमी व्रत का पालन 26 अगस्त 2024, सोमवार के दिन किया जाएगा. इस विशेष दिन पर मध्य रात्रि का क्षण 27 अगस्त रात्रि 12:25 पर है और पूजा के लिए शुभ मुहूर्त मध्य रात्रि 12:02 से रात्रि 12:45 के बीच रहेगा. वही व्रत का पारण 27 अगस्त सुबह 05:55 के बाद किया जा सकेगा.
जन्माष्टमी पूजा में क्या करें:
- शुद्धता का ध्यान रखें: पूजा करने से पहले स्नान करके साफ कपड़े पहन लें।
- भगवान कृष्ण की मूर्ति को स्नान कराएं: भगवान कृष्ण की मूर्ति को गंगाजल से स्नान कराएं और फिर उन्हें साफ कपड़े से पोंछ लें।
- शृंगार करें: भगवान कृष्ण को पीले वस्त्र पहनाएं और उन्हें फूल, माला और चंदन आदि अर्पित करें।
- भोग लगाएं: भगवान कृष्ण को उनके प्रिय भोग अर्पित करें जैसे कि मक्खन, मिश्री, फल आदि।
- मंत्रों का जाप करें: पूजा के दौरान श्री कृष्ण के मंत्रों का जाप करें।
- कथा सुनें: जन्माष्टमी की कथा सुनें।
Krishna Janmashtami 2024 जन्माष्टमी पर क्या करें
के बाद व्रत का संकल्प लें. इस दिन कुछ लोग पूरे दिन फलाहार या एक समय भोजन करते हैं. इसलिए व्रत का संकल्प अपनी क्षमता अनुसार ही लें और उसे पूरा करें.
ऐसे सजाएं झांकी- श्रीकृष्ण को शंख के माध्यम से ही जल या दूध से स्नान कराएं. इस दिन पूजा से पहले सुगंधित फूलों से भगवान कान्हा की झांकी सजाएं. कान्हा को झूले में विराजमान करें. पालने के पास बांसुरी, मोरपंख अवश्य रखें.
कान्हा का श्रृंगार – श्रीकृष्ण के अभिषेक के बाद उन्हें स्वच्छ कपड़े, आभूषण, मुकुट, पहलनाएं. श्रृंगार करें, काजल जरुर लगाएं, क्योंकि यशोदा मैय्या कान्हा को तैयार करने के बाद उन्हें बुरी नजर से बचाने के लिए काजल लगाती थीं.
खीरा जरुर काटें – रात में 12 बजे खीरा काटकर कान्हा का जन्म कराएं. जन्माष्टमी के दिन खीरे को उसके तने से काटकर अलग किया जाता है। इसे श्री कृष्ण का माता देवकी से अलग होने का प्रतीक माना गया है.
भोग – पूजा में बाल गोपाल को माखन, मिश्री, धनिए की पंजीरी, मखाने की खीर, मिठाई का भोग लगाएं. इसके बिना कान्हा की पूजा अधूरी है. भोग में तुलसी दल जरुर डालें, इसके बिना कान्हा भोग स्वीकार नहीं करते
व्रत पारण – जन्माष्टमी व्रत में पूजा के बाद ही व्रत खोलने चाहिए, कुछ लोग रात्रि में ही व्रत पारण कर लेते हैं तो कुछ अगले दिन सूर्योदय के बाद या फिर अष्टमी तिथि के समापन के पश्चात व्रत खोलते हैं. ध्यान रहें आपने जैसा व्रत का संकल्प लिया है Krishna Janmashtami 2024 उसी के अनुसार व्रत का पारण करें.
- श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पावन पर्व पर भूलकर भी काले वस्त्र पहनकर पूजा न करें. ये अशुभ है. इसकी बजाय पीले रंग के कपड़े पहनना शुभ माना गया है.
- कान्हा को भूलकर भी बासी या मुरझाए फूल न चढ़ाएं. श्रीकृष्ण को अगस्त्य के फूल अर्पित न करें.
- बाल गोपाल का गाय से गहरा संबंध हैं, ऐसे में जन्माष्टमी भूल से भी गोवंश को सताए नहीं अन्यथा पूजा और व्रत व्यर्थ चली जाएगी.
- इस दिन तुलसी दल न तोड़े, पूजा के लिए एक दिन पहले ही तुलसी का पत्ते तोड़ लेना चाहिए.
- जन्माष्टमी के व्रत को रखने वाले को भूलकर भी तामसिक चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए. लहसुन, प्याज, मांसहार, शराब जैसी चीजों का त्याग करें. ब्रह्मचर्य का पालन करें. तन-मन से शुद्धता बनाए रखें, बुरे विचार मन में न लाएं, किसी का अपमान न करें.
जन्माष्टमी का महत्व:
जन्माष्टमी का त्योहार हमें भगवान श्री कृष्ण के जीवन से प्रेरणा लेने का अवसर देता है। भगवान कृष्ण ने हमें सत्य, अहिंसा और धर्म का मार्ग दिखाया। Krishna Janmashtami 2024 जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण की पूजा करने से मन शांत होता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
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