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- Create Date November 17, 2023
- Last Updated July 29, 2024
Shreeshivpanchamarstotram
श्रीशिवपंचामर्स्तोत्रम एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान शिव की स्तुति करता है। यह स्तोत्र केवल पाँच श्लोकों में रचित है, लेकिन इसमें भगवान शिव के सभी महत्वपूर्ण रूपों और गुणों का वर्णन किया गया है।
श्रीशिवपंचामर्स्तोत्रम की रचना का श्रेय आमतौर पर आदि गुरु शंकराचार्य को दिया जाता है। शंकराचार्य एक महान दार्शनिक और धर्मगुरु थे। उन्होंने हिंदू धर्म के दर्शन और सिद्धांतों को दुनिया भर में प्रचारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
श्रीशिवपंचामर्स्तोत्रम को हिंदू धर्म में एक पवित्र स्तोत्र माना जाता है। इसे अक्सर पूजा और अनुष्ठानों में पढ़ा जाता है।
श्रीशिवपंचामर्स्तोत्रम के कुछ प्रसिद्ध श्लोक:
Shreeshivpanchamarstotram
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अर्थ: हे शिव, आप कल्याणस्वरूप हैं। आप पार्वतीजी के मुखकमल को प्रसन्न करने के लिए सूर्यस्वरूप हैं। आप दक्ष के यज्ञ का नाश करनेवाले हैं। जिनकी ध्वजा में वृषभ (बैल) का चिह्न शोभायमान है, ऐसे नीलकण्ठ शिव को नमस्कार है॥
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अर्थ: हे शिव, आपके कण्ठ में सर्पों का हार है। आपके तीन नेत्र हैं। भस्म ही जिनका अंगराग है और दिशाएँ ही जिनका वस्त्र हैं अर्थात् जो दिगम्बर (निर्वस्त्र) हैं ऐसे शुद्ध अविनाशी महेश्वर को नमस्कार है॥
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अर्थ: हे शिव, गङ्गाजल और चन्दन से जिनकी अर्चना हुई है, मन्दार-पुष्प तथा अन्य पुष्पों से जिनकी भलिभाँति पूजा हुई है। नन्दी के अधिपति, शिवगणों के स्वामी महेश्वर को नमस्कार है॥
अर्थ: हे शिव, आप समस्त प्राणियों के स्वामी हैं। आप समस्त ज्ञान के स्रोत हैं। आप समस्त आनंद के स्रोत हैं। हे शिव, आप मुझे ज्ञान, आनंद और मोक्ष प्रदान करें॥
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श्रीशिवपंचामर्स्तोत्रम एक शक्तिशाली और अर्थपूर्ण स्तोत्र है जो भगवान शिव की महिमा का वर्णन करता है। यह स्तोत्र हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
श्रीशिवस्तोत्रम् - स्वामी विवेकानन्दविरचितम् Sri Shivastotram - Swami Vivekananda Virchitam
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