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  • Create Date November 7, 2023
  • Last Updated November 7, 2023

Mahamrityunjayaashtakam

महामृत्युंजयष्टकम् भगवान शिव की स्तुति में लिखा गया एक संस्कृत स्तोत्र है। इसे 10वीं शताब्दी के कवि देवकीनंदन ठाकुर ने लिखा था। स्तोत्र में 8 छंद हैं, प्रत्येक छंद में 8 पंक्तियाँ हैं।

स्तोत्र भगवान शिव को मृत्यु पर विजय पाने वाला देवता के रूप में चित्रित करता है। यह शिव को भक्तों के लिए एक दयालु और क्षमाशील देवता के रूप में भी चित्रित करता है।

स्तोत्र की कुछ प्रमुख पंक्तियाँ निम्नलिखित हैं:

  • ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
  • नमस्ते रुद्राय नमस्ते शम्भवे नमस्ते महेश्वराय नमस्ते नीलकंठाय।
  • नमस्ते पञ्चवक्त्रे नमस्ते त्रिनयनाय नमस्ते वरदाय नमस्ते अनन्ताय।

    महामृत्युंजयष्टकम् एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो मृत्यु के भय को दूर करने में मदद कर सकता है। यह स्तोत्र अक्सर भगवान शिव की आराधना के लिए जप की जाती है।

    यहां महामृत्युंजयष्टकम् का एक अनुवाद दिया गया है:

    • छंद 1

    हम त्रिनेत्रधारी, सुगन्धित, और कल्याणकारी भगवान शिव की पूजा करते हैं। जैसे एक नारियल पानी से जुड़ा होता है, हम मृत्यु के बंधनों से मुक्त होने के लिए प्रार्थना करते हैं।

    • छंद 2

    हे रुद्र, हे शम्भु, हे महेश्वर, हे नीलकंठ, मैं आपको प्रणाम करता हूं। हे पांच मुख वाले, हे तीन नेत्र वाले, हे वरदायी, हे अनंत,

    मैं आपको प्रणाम करता हूं।

    • छंद 3

    आप सभी देवताओं का स्वामी हैं, आप सभी जीवों के रक्षक हैं, आप मृत्यु पर विजय प्राप्त करने वाले हैं,

    मैं आपको प्रणाम करता हूं।

    • छंद 4

    Mahamrityunjayaashtakam

    आप भक्तों के दुखों को दूर करते हैं, आप उन्हें सुख और समृद्धि प्रदान करते हैं, आप उन्हें मोक्ष की प्राप्ति में मदद करते हैं,

    मैं आपको प्रणाम करता हूं।

    • छंद 5

    आप एक दयालु और क्षमाशील देवता हैं, आप हमेशा अपने भक्तों की मदद करते हैं, आप उन्हें मार्गदर्शन और सुरक्षा प्रदान करते हैं,

    मैं आपको प्रणाम करता हूं।

    • छंद 6

    आप ज्ञान और प्रकाश के अवतार हैं, आप सभी के मार्गदर्शक हैं, आप सभी को मुक्ति के मार्ग पर ले जाते हैं,

    मैं आपको प्रणाम करता हूं।

    • छंद 7

    आप सभी के लिए एक आशा हैं, आप सभी के लिए एक आश्रय हैं, आप सभी के लिए एक वरदान हैं,

    मैं आपको प्रणाम करता हूं।

    • छंद 8

    मैं आपकी कृपा प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करता हूं, मैं आपकी शरण में आता हूं, मैं आपकी आज्ञा का पालन करता हूं,

    मैं आपको प्रणाम करता हूं।

    श्रीराधाकृष्णप्रादुर्भावः shreeraadhaakrshnapraadurbhaavah


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