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- Create Date October 4, 2023
- Last Updated July 29, 2024
श्री अंजनेय द्वादशनाम स्तोत्रम एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान हनुमान की स्तुति में लिखा गया है। यह स्तोत्र 12 श्लोकों का है, और प्रत्येक श्लोक भगवान हनुमान के एक अलग नाम की स्तुति करता है।
श्लोक का प्रारंभिक भाग भगवान हनुमान को "अंजनेय" कहकर उनकी पहचान करता है, जो "अंजना के पुत्र" का अर्थ है। फिर, श्लोक भगवान हनुमान के 12 नामों की स्तुति करता है, जो हैं:
- रामेष्ट
- फल्गुणसख
- पिंगाक्ष
- अमितविक्रम
- उदधिक्रमण
- सीताशोकविनाशक
- लक्ष्मणप्राणदाता
- दशग्रीवस्य दर्पहा
- द्वादशैतानि नामानि कपींद्रस्य महात्मनः।
- स्वापकाले पठेन्नित्यं यात्राकाले विशेषतः।
- तस्यमृत्युभयंनास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्॥
श्लोक का अंत भगवान हनुमान से प्रार्थना के साथ होता है कि वे भक्तों को सभी प्रकार के संकटों से बचाएं।
श्री अंजनेय द्वादशनाम स्तोत्रम एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भक्तों को भगवान हनुमान की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद करता है। यह स्तोत्र भक्तों को सभी प्रकार के संकटों से बचाता है और उन्हें जीवन में सफलता और उन्नति प्राप्त करने में मदद करता है।
श्री अंजनेय द्वादशनाम स्तोत्रम का हिंदी अनुवाद
1.
अंजनेय, वायुपुत्र, रामभक्त, बलवान, शत्रुओं के नाशकर्ता, सभी को सुख देने वाले।
2.
फल्गुण, सुग्रीव के मित्र, लाल आंखों वाले, असीमित शक्ति वाले, समुद्र को लांघने वाले।
3.
सीता की शोक को दूर करने वाले, लक्ष्मण को प्राण देने वाले, रावण के दशग्रीव को मारने वाले, भक्तों के रक्षक।
4.
इन 12 नामों को प्रतिदिन प्रातःकाल और यात्रा के समय पढने से, भक्तों को सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है और वे जीवन में सफल होते हैं।
श्री अंजनेय द्वादशनाम स्तोत्रम के लाभ
श्री अंजनेय द्वादशनाम स्तोत्रम का पाठ करने से भक्तों को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:
- भगवान हनुमान की कृपा प्राप्त होती है।
- जीवन में सुख और समृद्धि आती है।
- कष्टों से मुक्ति मिलती है।
- सफलता और उन्नति प्राप्त होती है।
यदि आप भगवान हनुमान की भक्ति करना चाहते हैं, तो आप श्री अंजनेय द्वादशनाम स्तोत्रम का पाठ कर सकते हैं। यह एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकती है।
श्री अंजनेय द्वादशनाम स्तोत्रम का पाठ करने का तरीका
- एक साफ और शांत स्थान पर बैठें।
- अपने सामने एक भगवान हनुमान की तस्वीर या प्रतिमा रखें।
- अपने हाथों को जोड़ें और भगवान हनुमान से प्रार्थना करें।
- स्तोत्र का पाठ करें, ध्यान से प्रत्येक शब्द का उच्चारण करें।
- स्तोत्र को कम से कम एक बार करें।
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