
हर साल कार्तिक मास में आने वाला दीपों का त्योहार दिवाली बहुत खास होता है। दिवाली से ठीक एक दिन पहले मनाया जाने वाला पर्व नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) जिसे छोटी दिवाली (Chhoti Diwali) भी कहा जाता है, शास्त्रों में विशेष महत्व रखता है। Narak Chaturdashi इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा करने का विधान है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह त्योहार कब मनाया जाता है, इसका महत्व क्या है और Narak Chaturdashi इस दिन यमराज की नाराजगी से बचने के लिए कौन से काम नहीं करने चाहिए? आइए, उज्जैन के आचार्यों से प्राप्त जानकारी के आधार पर जानते हैं सबकुछ…
1. कब मनाई जाएगी नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi 2025 Date)
हिंदू धर्म में, नरक चतुर्दशी हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है।
तिथि और समय 2025:
• चतुर्दशी तिथि की शुरुआत: 19 अक्टूबर को दोपहर 1 बजकर 51 मिनट पर होगी।
• चतुर्दशी तिथि का समापन: 20 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 44 मिनट पर होगा।
• उत्सव की तारीख: इस साल 19 अक्टूबर को नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली मनाई जाएगी।
2. नरक चतुर्दशी का महत्व और पौराणिक कथा (Religious Significance)
सनातन धर्म में इस त्योहार का खास महत्व है। नरक चतुर्दशी मनाए जाने के पीछे दो प्रमुख कारण और धार्मिक मान्यताएं हैं:
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भगवान कृष्ण ने किया था नरकासुर का संहार
धार्मिक मान्यता के अनुसार, छोटी दिवाली के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का संहार किया था। चिरकाल में नरकासुर का आतंक बहुत बढ़ गया था और उसने बलपूर्वक सोलह हजार स्त्रियों को बंदी बना लिया था। भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर से भीषण युद्ध किया था और कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि तक चले इस युद्ध में उन्हें विजयश्री मिली। उन्होंने नरकासुर का वध कर सोलह हजार स्त्रियों को मुक्त कराया था। इसलिए इस दिन लोग राक्षस पर भगवान कृष्ण की जीत का जश्न मनाते हैं, और इसी कारण इसे नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है।
यमराज की पूजा और मोक्ष की प्राप्ति
इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा का विशेष विधान है। Narak Chaturdashi शास्त्र भी इस दिन यम दीप जलाने की आज्ञा देते हैं।
यम दीया का महत्व:
1. अकाल मृत्यु का भय खत्म: मान्यता के अनुसार, नरक चतुर्दशी के दिन यम के नाम का दीपक जलाने से व्यक्ति का अकाल मृत्यु का भय खत्म होता है।
2. नरक द्वार बंद: दीपक जलाकर यमराज से यह प्रार्थना की जाती है कि वे नरक के द्वार सदा हमारे लिए बंद रखें, ताकि हमें मोक्ष की प्राप्ति हो सके।
3. सकारात्मकता का स्वागत: इस दिन बुराई के अंधेरे को दूर करने और जीवन में सकारात्मकता का स्वागत करने के लिए भी दीपक जलाए जाते हैं।
3. नरक चतुर्दशी पर क्या करें और कैसे करें स्नान?
यह पर्व भगवान कृष्ण को समर्पित होता है। इस दिन घरों की साफ-सफाई की जाती है और उन्हें फूलों या लाइटों से सजाया जाता है।
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स्नान और पूजा विधि:
• साधक प्रातः काल में सूर्योदय से पहले उठकर घर की साफ-सफाई करते हैं।
• नित्य कर्मों से निवृत्त होने के बाद स्नान-ध्यान करते हैं।
• इस दिन गंगाजल युक्त पानी से स्नान करना शुभ माना जाता है।
• सुविधा होने पर अपामार्ग युक्त पानी से स्नान करने की सलाह दी जाती है। कहते हैं कि इससे व्यक्ति को जाने-अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है।
• इसके बाद भक्ति भाव से भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं, जिससे हर मनोकामना पूरी होती है।
4. भूल से भी न करें ये 4 काम, यमराज होंगे नाराज!
चूँकि इस दिन यमलोक के देवता यमराज की पूजा की जाती है, Narak Chaturdashi इसलिए कुछ कार्यों को वर्जित माना गया है। यमराज की नाराजगी से बचने के लिए, नरक चतुर्दशी के दिन भूल से भी ये काम न करें:
1. जीव हत्या: इस दिन किसी भी जीव की हत्या न करें।
2. दक्षिण दिशा की सफाई: यम की दिशा दक्षिण मानी गई है, इसलिए इस दिन घर की दक्षिण दिशा को भूल से भी गंदा न रखें।
3. तेल का दान: शास्त्रों में तेल का दान विशेष महत्व रखता है, लेकिन इस दिन तेल का दान नहीं करना चाहिए। Narak Chaturdashi मान्यता है कि ऐसा करने से देवी लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं।
4. तामसिक भोजन: इस दिन तामसिक भोजन नहीं खाना चाहिए।
Narak Chaturdashi नरक चतुर्दशी के दिन भगवान कृष्ण की पूजा करने से व्यक्ति को जीवन में सभी प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है और जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है।