
Kokila Vrat 2025 date: व्रत और त्यौहार की श्रेणी में प्रत्येक दिन और समय किसी न किसी तिथि नक्षत्र योग इत्यादि के कारण अपनी महत्ता रखता है. इसी के मध्य में आषाढ़ मास की पूर्णिमा के दिन कोकिला व्रत भी मनाया जाता है. अषाढ़ मास में आने वाले अंतिम दिन के समय पूर्णिमा तिथि पर कोकिला व्रत के साथ ही आषाढ़ मास की समाप्ति भी होती है.
Kokila Vrat 2025 date: 10 जुलाई 2025 गुरुवार के दिन रखा जाएगा कोकिला व्रत
कोकिला व्रत उन व्रतों कि श्रेणी में स्थान पाता जिसमें प्रकृति प्रेम को मुख्य आधार के रुप में मनाया जाता है. इस व्रत का प्रभाव से जीवन ओर सृष्टि के संबंध और हमारे जीवन की शुभता नेचर के साथ जुड़ कर अधिक बढ़ जाती है. आषाढ़ माह होता ही प्रकृति के भीतर नए बदलावों को दिखाने वाला माह. धर्म ग्रंथों के अनुसार आषाढ़ माह की पूर्णिमा को Kokila Vrat 2025 date कोकिला व्रत करने की परंपरा रही है.
कोकिला व्रत Kokila Vrat 2025 date आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि कोकिला व्रत उन वर्षों में किया जाना चाहिए, जब आषाढ़ अधिक मास होता है। दूसरे शब्दों में, कोकिला व्रत तभी रखा जाना चाहिए, जब आषाढ़ मास दो माह के लिए आता है। इस मान्यता के अनुसार जब भी आषाढ़ का दोमास होता है, तो कोकिला व्रत सामान्य मास के दौरान करना चाहिए, न कि अधिक मास के दौरान। इस मान्यता का विशेष रूप से उत्तर भारतीय राज्यों में समर्थन किया जाता है। हालांकि, कुछ क्षेत्रों में, विशेष रूप से भारत के दक्षिणी और पश्चिमी भागों में आषाढ़ पूर्णिमा को कोकिला व्रत प्रति वर्ष किया जाता है।
Kokila Vrat 2025 date:परंपराओं से जुड़ा कोकिला व्रत
कोकिला व्रत Kokila Vrat 2025 date एक लोक जीवन से जुड़ा और सांस्कृतिक महत्व से संबंध रखने वाला व्रत है. इस व्रत को विशेष रुप से ग्रामीण जीवन में जुड़ी लोक कथाओं के साथ पौराणिक महत्व के साथ जुड़ कर आगे बढ़ता है. प्रत्येक जातियां प्रकृति के अमूल्य गुणों को पहचानते हुए उनके साथ अपने जीवन का तालमेल बिठाते हुए कई प्रकार के धार्मिक व आध्यात्मिक कृत्य करते हैं. इसी में जब भारतीय परंपराओं की बात आती है तो यहां भी ऎसे व्रत और पर्व हैं जो पशु पक्षिओं और पेड़ पौधों के साथ मनुष्य प्रेम को दर्शाते हैं.
कोकिला व्रत मुख्य रुप से स्त्रियां रखती हैं. इस व्रत का मूल प्रयोजन सौभाग्य में वृद्धि पाने ओर दांपत्य जीवन के सुख को पाने के लिए किया जाता है. विवाहित स्त्रियां और कुवांरियाँ कन्याएं भी इस व्रत को करती हैं. Kokila Vrat 2025 date कोकिला व्रत करने से योग्य पति की प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है. विवाह जल्द होने का आशीर्वाद मिलता है. इस व्रत को भी अन्य सभी प्रकार के व्रतों की ही भांति नियमों द्वारा रखा जाता है.
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कोकिला व्रत पूजा नियम-विधान
Kokila Vrat 2025 date कोकिला व्रत में नियम पूर्वक विधि विधान से किया गया पूजन बहुत ही शुभ फल देने वाला होता है. जो भी इस व्रत का पालन नियम अनुसार और श्राद्ध भाव के साथ करते हैं, उन्हें इसका संपूर्ण फल प्राप्त होता है. कोकिला व्रत को पूर्णिमा के दिन किया जाता है पर इसका आरंभ एक दिन पहले से ही आरंभ कर दिया जाता है. हिन्दू धर्म में कोकिला व्रत का विशेष महत्व है यह व्रत दांपत्यु सुख और अविवाहितों के लिए विवाह जल्द होने का वरदान देता है.
कोकिला व्रत को विशेष कर कुमारी कन्या सुयोग्य पति की कामना के लिए करती है जैसे तीज का व्रत भी जीवन साथी की लम्बी आयु का वरदान देता है उसी प्रकार कोकिला व्रत एक योग्य जीवन साथी की प्राप्ति का आशीर्वाद देता है. Kokila Vrat 2025 date इस व्रत को विधि विधान से करने पर व्यक्ति को मनोवांछित कामनाओं की प्राप्ति होती है.
- व्रत वाले दिन व्यक्ति को ब्रह्ममुहूर्त में उठना चाहिए.
- भगवान का नाम स्मरण करते हुए अपने सभी दैनिक नित्य कर्म करते हुए स्नान करना चाहिए.
- इस दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्व होता है.
- धर्म स्थलों की यात्रा और पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए.
- स्नान के पश्चात सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए.
- भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन आरंभ करना चाहिए.
- पूजा स्थल पर भगवान का चित्र या फिर प्रतिमा को स्थापित करना चाहिए.
- शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए.
- भगवान का पंचामृत से अभिषेक करके गंगाजल अर्पित करना चाहिए.
- पूजा में सफेद व लाल रंग के पुष्प, बेलपत्र, दूर्वा, गंध, धुप, दीप आदि का उपयोग करना चाहिए.
इस दिन निराहार रहकर व्रत का संकल्प करना चाहिए. प्रात:काल समय पूजा के उपरांत सारा दिन व्रत का पालन करते हुए भगवान के मंत्रों का जाप करना चाहिए. संध्या समय सूर्यास्त के पश्चात एक बार फिर से भगवान की आरती पूजा करनी चाहिए. Kokila Vrat 2025 date व्रत के दिन कथा को पढ़ना और सुनना चाहिए. शाम की पूजा पश्चात फलाहार करना चाहिए.
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Kokila Vrat Vrat Katha: कोकिला व्रत कथा
कोकिला व्रत की कथा का संबंध भगवान शिव और देवी सती से बताया गया है. इस कथा अनुसार माता सती भगवान को पाने के लिए एक लम्बे समय तक कठोर तपस्या को करके उन्हें फिर से जीवन में पाती हैं.
कोकिला व्रत Kokila Vrat 2025 date कथा शिव पुराण में भी वर्णित बतायी जाती है. इस कथा के अनुसार देवी सती ने भगवान को अपने जीवन साथी के रुप में पाया. इस व्रत का प्रारम्भ माता पार्वती के पूर्व जन्म के सती रुप से है. देवी सती का जन्म राजा दक्ष की बेटी के रुप में होता है. राजा दक्ष को भगवान शिव से बहुत नफरत करते थे. परंतु देवी सती अपने पिता के अनुमति के बिना भगवान शिव से विवाह करती हैं.
दक्ष सती को अपने मन से निकाल देते हैं ओर उसे अपने सभी अधिकारों से वंचित कर देते हैं. राजा दक्ष अपनी पुत्री सती से इतने क्रोधित होते हैं कि उन्हें अपने घर से सदैव के लिए निकाल देते हैं.
राजा दक्ष एक बार यज्ञ का आयोजन करते हैं. इस यज्ञ में वह सभी लोगों को आमंत्रित करते हैं ब्रह्मा, विष्णु, व सभी देवी देवताओं को आमंत्रण मिलता है किंतु भगवान शिव को नहीं बुलाया जाता है. ऎसे में जब सती को इस बात का पता चलता है कि उनके पिता दक्ष ने सभी को बुलाया लेकिन अपनी पुत्री को नही.
तब सती से यह बात सहन न हो पाई. सती ने शिव से आज्ञा मांगी की वे भी अपने पिता के यज्ञ में जाना चाहतीं है. शिव ने सती से कहा कि बिना बुलाए जाना उचित नहीं होगा, फिर चाहें वह उनके पिता का घर ही क्यों न हो. सती शिव की बात से सहमत नहीं होती हैं और जिद्द करके अपने पिता के यज्ञ में चली जाती हैं.
वह शिव से हठ करके दक्ष के यज्ञ पर जाकर पाती हैं, कि उनके पिता उन्हें पूर्ण रुप से तिरस्कृत किया जाता है. Kokila Vrat 2025 date दक्ष केवल सती का ही नही अपितु भगवान शिव का भी अनादर करते हैं उन्हें अपश्ब्द कहते हैं. सती अपने पति के इस अपमान को सह नही पाति हैं और उसी यज्ञ की अग्नि में कूद जाती हैं. सती अपनी देह का त्याग कर देती हैं. भगवान शिव को जब सती के बारे में पता चलता है तो वह उस यक्ष को नष्ट कर देते हैं और दक्ष के अहंकार का नाश होता है.
सती की जिद्द के कारण प्रजपति के यज्ञ में शामिल होने के कारण वह सती भी श्राप देते हैं कि हजारों सालों तक कोयल बनकर नंदन वन में निवास करेंगी. इस कारण से इस व्रत को कोकिला व्रत का नाम प्राप्त होता है Kokila Vrat 2025 date क्योंकि देवी सती ने कोयल बनकर हजारों वर्षों तक भगवान शिव को पुन: पति रुप में पाने के लिए किया. उन्हें इस व्रत के प्रभाव से भगवान शिव फिर से प्राप्त होते हैं.
कोकिला व्रत के विषय में मान्यता: Beliefs about Kokila fast
Kokila Vrat 2025 date कोकिला व्रत के विषय में मान्यता है स्त्रियां इस व्रत का पालन करती हैं उन्हें जीवन सभी सुख प्राप्त होते हैं. उनके भीतर उस शक्ति का आगमन होता है जो उन्हें अपने परिवार को जोड़े रखने और हर सुख दुख को सहते हुए आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है. इस व्रत को करने से सौन्दर्य और रुप की प्राप्ति होती है. इस दिन जड़ी-बूटियों से स्नान करना उत्तम होता है. कुछ स्थानों पर कोयल का चित्र अथवा मूर्ति स्वरुप को मंदिर अथवा ब्राह्मण को भेंट भी किया जाता है
कोकिला व्रत 2025 के लिए अनुष्ठान: Rituals for Kokila Vrat 2025
Kokila Vrat 2025 date हिंदू पौराणिक कथाओं में, पूजा की परंपरा देवताओं और मूर्तियों तक ही सीमित नहीं है; इसमें पेड़, पक्षी और जानवर भी शामिल हैं। गाय, विशेष रूप से, एक ऐसा जानवर है जिसे पवित्र माना जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि उसके अंदर तीनों लोकों सहित संपूर्ण ब्रह्मांड का वास है। इसलिए, कोकिला व्रत के दौरान गाय की पूजा करना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
जिस दिन व्रत शुरू होता है, उस दिन कोकिला व्रत का पालन करने वाली महिलाओं को ब्रह्म मुहूर्त में, यानी सूर्योदय से पहले उठना चाहिए और जितनी जल्दी हो सके सभी नियमित कामों को पूरा करना चाहिए। उसे आंवला के गूदे और पानी के मिश्रण से स्नान करना चाहिए। यह अनुष्ठान अगले आठ से दस दिनों तक चलता है।
व्रत की शुरुआत चने के आटे के गाढ़े पेस्ट से भगवान सूर्य की पूजा के साथ होती है और उसके बाद दिन की पहली रोटी गाय को अर्पित की जाती है। फिर, हल्दी, चंदन, रोली, चावल और गंगाजल का उपयोग करके अगले आठ दिनों तक कोयल पक्षी की मूर्ति की पूजा की जाती है। यहां कोयल पक्षी देवी पार्वती का प्रतीक है। Kokila Vrat 2025 date भक्त को सूर्यास्त तक उपवास जारी रखना चाहिए और कोकिला व्रत कथा को सुनकर और यदि संभव हो तो कोयल पक्षी को देखकर या आवाज सुनकर समाप्त करना चाहिए।
स्त्री को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए, मन की शांत स्थिति बनाए रखनी चाहिए और इस पूरे समय किसी के लिए नकारात्मक या दुर्भावनापूर्ण विचार नहीं रखना चाहिए।