Saraswati Chalisa: बसंत पंचमी के दिन ज्ञान और कला की देवी मां सरस्वती की पूजा -अर्चना की जाती है. मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से पूजा करने के साथ मां सरस्वती की इस खास चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को ज्ञान और धन की प्राप्ति होती है.
बसंत पंचमी हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो खासकर देवी सरस्वती की पूजा अर्चना के लिए प्रसिद्ध है। यह पर्व माघ मास की शुक्ल पंचमी तिथि को मनाया जाता है और इस वर्ष 2025 में यह 2 फरवरी को मनाया जाएगा। इस दिन को बसंत ऋतु के आगमन के रूप में भी जाना जाता है, जो न केवल प्राकृतिक सुंदरता को बढ़ाता है, बल्कि जीवन में नयापन और समृद्धि का संचार भी करता है।
बसंत पंचमी का पर्व विशेष रूप से ज्ञान, विद्या, कला और संगीत की देवी सरस्वती की पूजा का पर्व है। इस दिन को विद्यार्थी अपने किताबों और लेखन सामग्री को पूजा करते हैं, ताकि उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हो। इसके अलावा, यह दिन व्यापारियों, गृहस्थों और साधकों के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इसे धन की प्राप्ति और समृद्धि का दिन माना जाता है।
बसंत पंचमी के दिन यदि हम विशेष रूप से देवी सरस्वती के चालीसा का पाठ करते हैं, तो इससे न केवल ज्ञान की प्राप्ति होती है, बल्कि धन और समृद्धि भी मिलती है। खासकर यह चालीसा उन लोगों के लिए बेहद लाभकारी है जो शिक्षा, कला, साहित्य या किसी भी प्रकार के व्यवसाय में सफलता की कामना करते हैं।
बसंत पचंमी कब है? Saraswati Panchami Kab hai
हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि की शुरुआत 2 फरवरी को सुबह 9 बजकर 14 मिनट पर होगी. वहीं तिथि का समापन अगले दिन यानी 3 फरवरी को सुबह 6 बजकर 52 मिनट पर होगा. उदया तिथि के अनुसार, बसंत पंचमी का पर्व 2 फरवरी को मनाया जाएगा.
बसंत पंचमी पर सरस्वती चालीसा का पाठ करने के लाभ Saraswati Panchami per saraswati chalisa ka path karne ke labh
ज्ञान की प्राप्ति: सरस्वती देवी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए चालीसा का पाठ करना विद्यार्थियों और ज्ञान की खोज करने वालों के लिए अत्यंत फलदायक होता है।
समृद्धि और धन: सरस्वती देवी धन की देवी भी मानी जाती हैं। इस दिन उनका ध्यान करके और चालीसा का पाठ करके आर्थिक समृद्धि और व्यापार में उन्नति की कामना की जा सकती है।
मन की शांति: चालीसा का नियमित पाठ मानसिक शांति और संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। यह तनाव को कम करने में भी सहायक है।
सकारात्मकता का संचार: यह पाठ जीवन में सकारात्मकता लाता है और बुरी शक्तियों से बचाव करता है।
बसंत पंचमी पर यदि आप अपनी श्रद्धा और विश्वास के साथ सरस्वती चालीसा का पाठ करते हैं, तो निश्चित रूप से आपकी शिक्षा, करियर और व्यवसाय में प्रगति होगी। साथ ही, जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का आगमन होगा।
॥ श्री सरस्वती चालीसा ॥
॥ दोहा ॥
जनक जननि पद्मरज, निज मस्तक पर धरि।
बन्दौं मातु सरस्वती, बुद्धि बल दे दातारि॥
पूर्ण जगत में व्याप्त तव, महिमा अमित अनंतु।
दुष्जनों के पाप को, मातु तु ही अब हन्तु॥
सरस्वती चालीसा चौपाई
जय श्री सकल बुद्धि बलरासी।
जय सर्वज्ञ अमर अविनासी॥
जय जय जय वीणाकर धारी.करती सदा सुहंस सवारी॥
रूप चतुर्भुजधारी माता.सकल विश्व अंदर विख्याता॥
जग में पाप बुद्धि जब होती.जबहि धर्म की फीकी ज्योती॥
तबहि मातु ले निज अवतारा.पाप हीन करती महि तारा॥
वाल्मीकिजी थे हत्यारा.तव प्रसाद जानै संसारा॥
रामायण जो रचे बनाई.आदि कवी की पदवी पाई॥
कालिदास जो भये विख्याता.तेरी कृपा दृष्टि से माता॥
तुलसी सूर आदि विद्धाना.भये और जो ज्ञानी नाना॥
तिन्हहिं न और रहेउ अवलम्बा.केवल कृपा आपकी अम्बा॥
करहु कृपा सोइ मातु भवानी.दुखित दीन निज दासहि जानी॥
पुत्र करै अपराध बहुता.तेहि न धरइ चित्त सुंदर माता॥
राखु लाज जननी अब मेरी.विनय करूं बहु भांति घनेरी॥
मैं अनाथ तेरी अवलंबा.कृपा करउ जय जय जगदंबा॥
मधु कैटभ जो अति बलवाना.बाहुयुद्ध विष्णू ते ठाना॥
समर हजार पांच में घोरा.फिर भी मुख उनसे नहिं मोरा॥
मातु सहाय भई तेहि काला.बुद्धि विपरीत करी खलहाला॥
तेहि ते मृत्यु भई खल केरी.पुरवहु मातु मनोरथ मेरी॥
चंड मुण्ड जो थे विख्याता.छण महुं संहारेउ तेहि माता॥
रक्तबीज से समरथ पापी.सुर-मुनि हृदय धरा सब कांपी॥
काटेउ सिर जिम कदली खम्बा.बार बार बिनवउं जगदंबा॥
जग प्रसिद्ध जो शुंभ निशुंभा.छिन में बधे ताहि तू अम्बा॥
भरत-मातु बुधि फेरेउ जाई.रामचन्द्र बनवास कराई॥
एहि विधि रावन वध तुम कीन्हा.सुर नर मुनि सब कहुं सुख दीन्हा॥
को समरथ तव यश गुन गाना.निगम अनादि अनंत बखाना॥
विष्णु रूद्र अज सकहिं न मारी.जिनकी हो तुम रक्षाकारी॥
रक्त दन्तिका और शताक्षी.नाम अपार है दानव भक्षी॥
दुर्गम काज धरा पर कीन्हा.दुर्गा नाम सकल जग लीन्हा॥
दुर्ग आदि हरनी तू माता.कृपा करहु जब जब सुखदाता॥
नृप कोपित जो मारन चाहै.कानन में घेरे मृग नाहै॥
सागर मध्य पोत के भंगे.अति तूफान नहिं कोऊ संगे॥
भूत प्रेत बाधा या दुःख में.हो दरिद्र अथवा संकट में॥
नाम जपे मंगल सब होई.संशय इसमें करइ न कोई॥
पुत्रहीन जो आतुर भाई.सबै छांड़ि पूजें एहि माई॥
करै पाठ नित यह चालीसा.होय पुत्र सुन्दर गुण ईसा॥
धूपादिक नैवेद्य चढावै.संकट रहित अवश्य हो जावै॥
भक्ति मातु की करै हमेशा.निकट न आवै ताहि कलेशा॥
बंदी पाठ करें शत बारा.बंदी पाश दूर हो सारा॥
मोहे जान अज्ञनी भवानी.कीजै कृपा दास निज जानी ॥
॥ दोहा ॥
माता सूरज कांति तव, अंधकार मम रूप.डूबन ते रक्षा करहु, परूं न मैं भव-कूप॥
बल बुद्धि विद्या देहुं मोहि, सुनहु सरस्वति मातु.मुझ अज्ञानी अधम को, आश्रय तू ही दे दातु ॥॥
सरस्वती चालीसा के लाभ Saraswati chalisa ke labh
मान्यता है कि सरस्वती चालीसा का पाठ करने से ज्ञान के मार्ग खुलते हैं. इससे मन शांत एवं एकाग्रचित्त रहता है. विद्यार्थियों को इसका पाठ जरूर करना चाहिए. सरस्वती चालीसा के पाठ से कुंडली में बुध ग्रह मजबूत होता है.बुध ग्रह बुद्धि , वाणी , संगीत, व्यापार को प्रदर्शित करते हैं. सरस्वती चालीसा का पाठ करने वाले व्यक्ति का तेज बढ़ता है. उसे हर क्षेत्र में यश और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. KARMASU.IN इसकी पुष्टि नहीं करता है.