Om Jai Jagdish Hare Aarti:दुनियाँ में सबसे ज्यादा लोकप्रिय आरती ओम जय जगदीश हरे पं. श्रद्धाराम फिल्लौरी द्वारा सन् १८७० में लिखी गई थी। यह आरती मूलतः भगवान विष्णु को समर्पित है फिर भी इस आरती को किसी भी पूजा, उत्सव पर गाया / सुनाया जाता हैं। कुछ भक्तों का मानना है कि इस आरती का मनन करने से सभी देवी-देवताओं की आरती का पुण्य मिल जाता है।
Om Jai Jagdish Hare Aarti:ॐ जय जगदीश हरे आरती के लाभ
Om Jai Jagdish Hare Aarti:”ॐ जय जगदीश हरे” यह आरती भगवान विष्णु को समर्पित एक अत्यंत प्रसिद्ध और भक्तिमय स्तोत्र है। इस आरती का नियमित पाठ करने से भक्तों को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं।
Om Jai Jagdish Hare Aarti:ॐ जय जगदीश हरे आरती के कुछ प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं:
- मन की शांति: इस आरती का पाठ करने से मन शांत होता है और तनाव कम होता है।
- संकट निवारण: भगवान विष्णु को संकटमोचन कहा जाता है। इस आरती के जाप से भक्तों के संकट दूर होते हैं।
- सुख-समृद्धि: यह आरती घर में सुख-समृद्धि लाती है।
- रोग निवारण: भगवान विष्णु को स्वास्थ्य के देवता भी माना जाता है। इस आरती के जाप से रोगों से मुक्ति मिलती है।
- आध्यात्मिक उन्नति: यह आरती भक्तों को आध्यात्मिक मार्ग पर आगे बढ़ने में मदद करती है।
- मनोकामना पूर्ण: भगवान विष्णु की कृपा से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
Om Jai Jagdish Hare Aarti:ॐ जय जगदीश हरे आरती का महत्व
- सर्वव्यापी भगवान की भक्ति: यह आरती भगवान विष्णु की सर्वव्यापकता और उनकी भक्तों के प्रति प्रेम को दर्शाती है।
- सकारात्मक ऊर्जा का संचार: इस आरती का पाठ करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- धार्मिक आस्था को मजबूत बनाना: यह आरती धार्मिक आस्था को मजबूत बनाती है और भगवान के प्रति श्रद्धा बढ़ाती है।
कब करें आरती
Om Jai Jagdish Hare Aarti:आप इस आरती को किसी भी समय कर सकते हैं। लेकिन विशेष रूप से सुबह और शाम के समय इसका पाठ करना अधिक लाभकारी होता है।
Om Jai Jagdish Hare Aarti:कैसे करें आरती
- दीपक जलाएं: आरती करते समय घी का दीपक जलाएं।
- धूपबत्ती जलाएं: शुद्धता के लिए धूपबत्ती जलाएं।
- फूल चढ़ाएं: भगवान विष्णु को पीले रंग के फूल चढ़ाएं।
- आरती उतारें: आरती की थाली लेकर भगवान के चित्र या मूर्ति के सामने घुमाएं और आरती गाएं।
निष्कर्ष
Om Jai Jagdish Hare Aarti:ॐ जय जगदीश हरे आरती एक अत्यंत शक्तिशाली और पवित्र मंत्र है। इसका नियमित जाप करने से जीवन में कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं।
Om Jai Jagdish Hare Aarti:ॐ जय जगदीश हरे आरती
ॐ जय जगदीश हरे,
स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
जो ध्यावे फल पावे,
दुःख बिनसे मन का,
स्वामी दुःख बिनसे मन का ।
सुख सम्पति घर आवे,
सुख सम्पति घर आवे,
कष्ट मिटे तन का ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
मात पिता तुम मेरे,
शरण गहूं किसकी,
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी ।
तुम बिन और न दूजा,
तुम बिन और न दूजा,
आस करूं मैं जिसकी ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
तुम पूरण परमात्मा,
तुम अन्तर्यामी,
स्वामी तुम अन्तर्यामी ।
पारब्रह्म परमेश्वर,
पारब्रह्म परमेश्वर,
तुम सब के स्वामी ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
तुम करुणा के सागर,
तुम पालनकर्ता,
स्वामी तुम पालनकर्ता ।
मैं मूरख फलकामी,
मैं सेवक तुम स्वामी,
कृपा करो भर्ता॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
तुम हो एक अगोचर,
सबके प्राणपति,
स्वामी सबके प्राणपति ।
किस विधि मिलूं दयामय,
किस विधि मिलूं दयामय,
तुमको मैं कुमति ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
दीन-बन्धु दुःख-हर्ता,
ठाकुर तुम मेरे,
स्वामी रक्षक तुम मेरे ।
अपने हाथ उठाओ,
अपने शरण लगाओ,
द्वार पड़ा तेरे ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
विषय-विकार मिटाओ,
पाप हरो देवा,
स्वमी पाप(कष्ट) हरो देवा ।
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
सन्तन की सेवा ॥
ॐ जय जगदीश हरे,
स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे ॥
आरती ओम जय जगदीश हरे के रचयिता पं. श्रद्धाराम शर्मा या श्रद्धाराम फिल्लौरी सनातन धर्म प्रचारक, ज्योतिषी, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, संगीतज्ञ तथा हिन्दी और पंजाबी के प्रसिद्ध साहित्यकार थे। पंडित जी को हिन्दी साहित्य का पहला उपन्यासकार भी माना जाता है।