Annapurna Aarti:अन्नपूर्णा देवी की आरती के लाभ
Annapurna Aarti:अन्नपूर्णा देवी को समृद्धि और खाद्य की देवी माना जाता है। Annapurna Aarti उनकी पूजा करने से भक्तों को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। अन्नपूर्णा देवी की आरती करने से निम्नलिखित लाभ मिलते हैं
- धन और समृद्धि: अन्नपूर्णा देवी की कृपा से भक्तों के घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती। वे धनवान और समृद्ध होते हैं।
- सुख और शांति: माता की कृपा से भक्तों के घर में सुख-शांति का वातावरण बना रहता है।
- रोगों से मुक्ति: माता अन्नपूर्णा की कृपा से भक्त सभी प्रकार के रोगों से मुक्त हो जाते हैं।
- मनोकामनाओं की पूर्ति: जो भक्त सच्चे मन से माता की आराधना करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
- आत्मविश्वास में वृद्धि: माता की कृपा से भक्तों का आत्मविश्वास बढ़ता है और वे जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं।
- कलह का निवारण: माता की कृपा से घर में कलह का निवारण होता है और परिवार में प्रेम और सौहार्द बढ़ता है।
Annapurna Aarti:अन्नपूर्णा देवी की आरती का जाप कैसे करें
- शांत वातावरण: आरती के समय शांत और एकांत जगह चुनें।
- शुद्ध मन: भक्ति भाव से और शुद्ध मन से आरती का जाप करें।
- दीपक: आरती के समय दीपक जलाना शुभ माना जाता है।
- माला: आप माला का भी उपयोग कर सकते हैं।
- नियमितता: नियमित रूप से आरती का जाप करने से अधिक लाभ मिलता है।
Annapurna Aarti:अन्नपूर्णा देवी की आरती के बोल
आप अन्नपूर्णा देवी की आरती के बोल आसानी से इंटरनेट पर या किसी भजन संग्रह में पा सकते हैं।
ध्यान रखें
- यह जानकारी सामान्य जानकारी के लिए है और किसी भी तरह से चिकित्सा या पेशेवर सलाह नहीं है।
- किसी भी धार्मिक अनुष्ठान को करने से पहले अपने गुरु या पंडित से सलाह लेना उचित होगा।
अन्नपूर्णा देवी के बारे में कुछ और
- अन्नपूर्णा देवी को पार्वती का ही एक रूप माना जाता है।
- अन्नपूर्णा देवी का मंदिर काशी में स्थित है।
- अन्नपूर्णा देवी को अन्न की देवी के रूप में पूजा जाता है।
क्या आप अन्नपूर्णा देवी के बारे में और जानना चाहते हैं?
अन्नपूर्णा आरती (Annapurna Aarti)
बारम्बार प्रणाम,
मैया बारम्बार प्रणाम ।
जो नहीं ध्यावे तुम्हें अम्बिके,
कहां उसे विश्राम ।
अन्नपूर्णा देवी नाम तिहारो,
लेत होत सब काम ॥
बारम्बार प्रणाम,
मैया बारम्बार प्रणाम ।
प्रलय युगान्तर और जन्मान्तर,
कालान्तर तक नाम ।
सुर सुरों की रचना करती,
कहाँ कृष्ण कहाँ राम ॥
बारम्बार प्रणाम,
मैया बारम्बार प्रणाम ।
चूमहि चरण चतुर चतुरानन,
चारु चक्रधर श्याम ।
चंद्रचूड़ चन्द्रानन चाकर,
शोभा लखहि ललाम ॥
बारम्बार प्रणाम,
मैया बारम्बार प्रणाम ।
देवि देव! दयनीय दशा में,
दया-दया तब नाम ।
त्राहि-त्राहि शरणागत वत्सल,
शरण रूप तब धाम ॥
बारम्बार प्रणाम,
मैया बारम्बार प्रणाम ।
श्रीं, ह्रीं श्रद्धा श्री ऐ विद्या,
श्री क्लीं कमला काम ।
कांति, भ्रांतिमयी, कांति शांतिमयी,
वर दे तू निष्काम ॥
बारम्बार प्रणाम,
मैया बारम्बार प्रणाम ।
॥ माता अन्नपूर्णा की जय ॥