Durga Maa Kali Aarti:जगदम्बे काली आरती के लाभ
Durga Maa Kali Aarti:जगदम्बे काली की आरती करना एक पवित्र अनुष्ठान है जो भक्तों को अनेक लाभ प्रदान करता है। माँ काली, शक्ति की देवी हैं और उनका स्वरूप अत्यंत उग्र और दिव्य है। उनकी आराधना करने से भक्तों को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:
- भय का नाश: माँ काली की कृपा से भक्तों के मन से सभी प्रकार का भय दूर हो जाता है।
- शत्रुओं का नाश: माँ काली अपने भक्तों की रक्षा करती हैं और उनके शत्रुओं का नाश करती हैं।
- रोगों से मुक्ति: माँ काली के आशीर्वाद से भक्त सभी प्रकार के रोगों से मुक्त हो जाते हैं।
- मनोकामनाओं की पूर्ति: जो भक्त सच्चे मन से माता की आराधना करते हैं, Durga Maa Kali Aarti उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
- आत्मविश्वास में वृद्धि: माता की कृपा से भक्तों का आत्मविश्वास बढ़ता है और वे जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं।
- अज्ञान का नाश: माँ काली के आशीर्वाद से भक्तों का अज्ञान दूर होता है और उन्हें ज्ञान की प्राप्ति होती है।
- मोक्ष की प्राप्ति: माँ काली की भक्ति करने से भक्त को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
Durga Maa Kali Aarti:जगदम्बे काली आरती का जाप कैसे करें
- शांत वातावरण: आरती के समय शांत और एकांत जगह चुनें।
- शुद्ध मन: भक्ति भाव से और शुद्ध मन से आरती का जाप करें।
- दीपक: आरती के समय दीपक जलाना शुभ माना जाता है।
- माला: आप माला का भी उपयोग कर सकते हैं।
- नियमितता: नियमित रूप से आरती का जाप करने से अधिक लाभ मिलता है।
Durga Maa Kali Aarti:जगदम्बे काली आरती के बोल
Durga Maa Kali Aarti:आप जगदम्बे काली आरती के बोल आसानी से इंटरनेट पर या किसी भजन संग्रह में पा सकते हैं।
ध्यान रखें
- यह जानकारी सामान्य जानकारी के लिए है और किसी भी तरह से चिकित्सा या पेशेवर सलाह नहीं है।
- किसी भी धार्मिक अनुष्ठान को करने से पहले अपने गुरु या पंडित से सलाह लेना उचित होगा।
क्या आप जगदम्बे काली के बारे में और जानना चाहते हैं?
Durga Maa Kali Aarti:जगदम्बे काली आरती
माँ दुर्गे का साप्ताहिक दिन शुक्रवार, दोनों नवरात्रि, अष्टमी, माता की चौकी एवं जगराते में सबसे अधिक गाई जाने वाली आरती।
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली ।
तेरे ही गुण गाये भारती,
ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥
तेरे भक्त जनो पर,
भीर पडी है भारी माँ ।
दानव दल पर टूट पडो,
माँ करके सिंह सवारी ।
सौ-सौ सिंहो से बलशाली,
अष्ट भुजाओ वाली,
दुष्टो को पलमे संहारती ।
ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली ।
तेरे ही गुण गाये भारती,
ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥
माँ बेटे का है इस जग मे,
बडा ही निर्मल नाता ।
पूत – कपूत सुने है पर न,
माता सुनी कुमाता ॥
सब पे करूणा दरसाने वाली,
अमृत बरसाने वाली,
दुखियो के दुखडे निवारती ।
ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली ।
तेरे ही गुण गाये भारती,
ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥
नही मांगते धन और दौलत,
न चांदी न सोना माँ ।
हम तो मांगे माँ तेरे मन मे,
इक छोटा सा कोना ॥
सबकी बिगडी बनाने वाली,
लाज बचाने वाली,
सतियो के सत को सवांरती ।
ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली ।
तेरे ही गुण गाये भारती,
ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥
—– Addition —-
चरण शरण मे खडे तुम्हारी,
ले पूजा की थाली ।
वरद हस्त सर पर रख दो,
मॉ सकंट हरने वाली ।
मॉ भर दो भक्ति रस प्याली,
अष्ट भुजाओ वाली,
भक्तो के कारज तू ही सारती ।
ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली ।
तेरे ही गुण गाये भारती,
ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥