Narmada Aarti:नर्मदा माता की आरती के लाभ
Narmada Aarti:नर्मदा माता को भारत की पवित्र नदियों में से एक माना जाता है। उनकी पूजा और आरती करने से अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। आइए जानते हैं नर्मदा माता की आरती के कुछ प्रमुख लाभ
- पापों का नाश: नर्मदा जी की आरती करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
- मानसिक शांति: नर्मदा जी की आरती करने से मन शांत होता है और तनाव कम होता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: यह आरती भक्तों को आध्यात्मिक मार्ग पर आगे बढ़ने में मदद करती है।
- मनोकामनाओं की पूर्ति: माना जाता है कि नर्मदा माता अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं।
- सकारात्मक ऊर्जा: नर्मदा जी की आरती के दौरान सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है जो वातावरण को शुद्ध करता है।
- रोगों से मुक्ति: नर्मदा जल को पवित्र माना जाता है और इससे स्नान करने से कई रोगों से मुक्ति मिलती है।
- मोक्ष की प्राप्ति: नर्मदा जी को मोक्षदायिनी माना जाता है और उनकी आरती करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- सुख और शांति: नर्मदा जी की आरती करने से जीवन में सुख और शांति आती है।
Narmada Aarti:नर्मदा माता की आरती का पाठ कैसे करें
- शुद्ध मन से: आरती का पाठ करते समय मन को शुद्ध रखना चाहिए और माता नर्मदा में विश्वास रखना चाहिए।
- नियमितता: नियमित रूप से आरती का पाठ करने से अधिक लाभ मिलता है।
- भावनाओं के साथ: आरती का पाठ करते समय भावनाओं के साथ गाना चाहिए।
- ध्यान केंद्रित करके: पाठ के दौरान ध्यान केंद्रित करके माता नर्मदा का ध्यान करना चाहिए।
Narmada Aarti:कहां से करें आरती
Narmada Aarti:आप नर्मदा नदी के किनारे स्थित किसी मंदिर में जाकर आरती में शामिल हो सकते हैं या घर पर भी आरती का पाठ कर सकते हैं।
Narmada Aarti:नर्मदा आरती
ॐ जय जगदानन्दी,
मैया जय आनंद कन्दी ।
ब्रह्मा हरिहर शंकर, रेवा
शिव हरि शंकर, रुद्रौ पालन्ती ॥
॥ ॐ जय जगदानन्दी..॥
देवी नारद सारद तुम वरदायक,
अभिनव पदण्डी ।
सुर नर मुनि जन सेवत,
सुर नर मुनि…
शारद पदवाचन्ती ।
॥ ॐ जय जगदानन्दी..॥
देवी धूमक वाहन राजत,
वीणा वाद्यन्ती।
झुमकत-झुमकत-झुमकत,
झननन झमकत रमती राजन्ती ।
॥ ॐ जय जगदानन्दी..॥
देवी बाजत ताल मृदंगा,
सुर मण्डल रमती ।
तोड़ीतान-तोड़ीतान-तोड़ीतान,
तुरड़ड़ रमती सुरवन्ती ।
॥ ॐ जय जगदानन्दी..॥
देवी सकल भुवन पर आप विराजत,
निशदिन आनन्दी ।
गावत गंगा शंकर, सेवत रेवा
शंकर तुम भट मेटन्ती ।
॥ ॐ जय जगदानन्दी…॥
मैयाजी को कंचन थार विराजत,
अगर कपूर बाती ।
अमर कंठ में विराजत,
घाटन घाट बिराजत,
कोटि रतन ज्योति ।
॥ ॐ जय जगदानन्दी..॥
मैयाजी की आरती,
निशदिन पढ़ गावरि,
हो रेवा जुग-जुग नरगावे,
भजत शिवानन्द स्वामी
जपत हरि नंद स्वामी मनवांछित पावे।
ॐ जय जगदानन्दी,
मैया जय आनंद कन्दी ।
ब्रह्मा हरिहर शंकर, रेवा
शिव हरि शंकर, रुद्रौ पालन्ती ॥