Sita Mata Aarti:श्री सीता आरती के लाभ
Sita Mata Aarti:श्री सीता माता की आरती का पाठ करने से अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। माता सीता आदर्श नारीत्व का प्रतीक हैं और उनकी भक्ति से जीवन में कई सकारात्मक परिवर्तन आ सकते हैं। आइए जानते हैं सीता माता की आरती के कुछ प्रमुख लाभ:
- पतिव्रता धर्म की प्राप्ति: सीता माता की आरती करने से पतिव्रता धर्म की प्राप्ति होती है और वैवाहिक जीवन में सुख और समृद्धि आती है।
- स्त्री सशक्तिकरण: सीता माता जी की आरती करने से स्त्री सशक्तिकरण होता है और महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक किया जा सकता है।
- आत्मिक शुद्धि: सीता माता जी की आरती करने से आत्मिक शुद्धि होती है और मन को शांति और पवित्रता मिलती है।
- संतान प्राप्ति: सीता माता जी की आरती करने से संतान प्राप्ति की प्राप्ति होती है और परिवार में सुख और समृद्धि आती है।
- मनोकामनाओं की पूर्ति: माता सीता भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करने के लिए जानी जाती हैं। उनकी आरती करने से मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती हैं।
- सकारात्मक ऊर्जा: माता सीता की आरती करने से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- कष्टों का निवारण: माता सीता की कृपा से विभिन्न प्रकार के कष्टों और समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
Sita Mata Aarti:सीता माता की आरती का पाठ कैसे करें
- शुद्ध मन से: आरती का पाठ करते समय मन को शुद्ध रखना चाहिए और माता सीता में विश्वास रखना चाहिए।
- नियमितता: नियमित रूप से आरती का पाठ करने से अधिक लाभ मिलता है।
- भावनाओं के साथ: आरती का पाठ करते समय भावनाओं के साथ गाना चाहिए।
- ध्यान केंद्रित करके: पाठ के दौरान ध्यान केंद्रित करके माता सीता का ध्यान करना चाहिए।
Sita Mata Aarti:कहां से करें आरती
Sita Mata Aarti:आप सीता माता के मंदिर में जाकर आरती में शामिल हो सकते हैं या घर पर भी आरती का पाठ कर सकते हैं।
ध्यान रखें
- आरती का पाठ केवल एक साधन है, भक्ति का सच्चा मार्ग तभी मिलता है जब हम अपने कर्मों में सुधार करें।
- किसी भी तरह की मानसिक या शारीरिक समस्या होने पर डॉक्टर की सलाह लें।
निष्कर्ष:
सीता माता की आरती का पाठ एक शक्तिशाली साधन है जो मन को शांत करने और आध्यात्मिक उन्नति करने में मदद करता है। यदि आप नियमित रूप से आरती का पाठ करते हैं तो आपको कई लाभ प्राप्त हो सकते हैं।
Sita Mata Aarti:श्री सीता आरती
आरती श्री जनक दुलारी की ।
सीता जी रघुवर प्यारी की ॥
जगत जननी जग की विस्तारिणी,
नित्य सत्य साकेत विहारिणी,
परम दयामयी दिनोधारिणी,
सीता मैया भक्तन हितकारी की ॥
आरती श्री जनक दुलारी की ।
सीता जी रघुवर प्यारी की ॥
सती श्रोमणि पति हित कारिणी,
पति सेवा वित्त वन वन चारिणी,
पति हित पति वियोग स्वीकारिणी,
त्याग धर्म मूर्ति धरी की ॥
आरती श्री जनक दुलारी की ।
सीता जी रघुवर प्यारी की ॥
विमल कीर्ति सब लोकन छाई,
नाम लेत पवन मति आई,
सुमीरात काटत कष्ट दुख दाई,
शरणागत जन भय हरी की ॥
आरती श्री जनक दुलारी की ।
सीता जी रघुवर प्यारी की ॥