Ram Lala Ki Aarti:आरती राम लला की के फायदे
Ram Lala Ki Aarti:आरती एक धार्मिक अनुष्ठान है जो भक्ति और श्रद्धा को व्यक्त करने का एक माध्यम है। Ram Lala Ki Aarti राम लला भगवान राम का एक रूप हैं, जिन्हें हिंदू धर्म में आदर्श पुरुष माना जाता है। इसलिए, आरती राम लला की करने से कई लाभ मिल सकते हैं। ये लाभ मुख्यतः मानसिक और आध्यात्मिक होते हैं।
Ram Lala Ki Aarti:यहां कुछ प्रमुख लाभ दिए गए हैं
- मन की शांति: आरती करने से मन शांत होता है और तनाव कम होता है। यह ध्यान के समान एकाग्रता लाने में मदद करता है।
- धार्मिक भावनाओं का विकास: आरती करने से धार्मिक भावनाओं का विकास होता है और भगवान के प्रति श्रद्धा बढ़ती है।
- सकारात्मक ऊर्जा का संचार: आरती के दौरान सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है जो वातावरण को शुद्ध करता है और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है।
- मनोबल में वृद्धि: आरती करने से मनोबल में वृद्धि होती है और आत्मविश्वास बढ़ता है।
- परिवार में एकता: परिवार के सदस्यों को एक साथ लाकर आरती करने से पारिवारिक बंधन मजबूत होते हैं।
- आध्यात्मिक विकास: नियमित रूप से आरती करने से आध्यात्मिक विकास होता है और व्यक्ति आत्मज्ञान की ओर अग्रसर होता है।
ध्यान रखें
- Ram Lala Ki Aarti आरती करने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह मन को शांत और स्थिर करता है।
- आरती करते समय मन को भगवान में केंद्रित करना चाहिए।
- आरती का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है, लेकिन यह एक धार्मिक अनुष्ठान है जो लाखों लोगों के लिए आस्था और शांति का स्रोत है।
Ram Lala Ki Aarti:आरती राम लला की के फायदे
आरती कीजे श्रीरामलला की ।
पूण निपुण धनुवेद कला की ॥
धनुष वान कर सोहत नीके ।
शोभा कोटि मदन मद फीके ॥
सुभग सिंहासन आप बिराजैं ।
वाम भाग वैदेही राजैं ॥
कर जोरे रिपुहन हनुमाना ।
भरत लखन सेवत बिधि नाना ॥
शिव अज नारद गुन गन गावैं ।
निगम नेति कह पार न पावैं ॥
नाम प्रभाव सकल जग जानैं ।
शेष महेश गनेस बखानैं ॥
भगत कामतरु पूरणकामा ।
दया क्षमा करुना गुन धामा ॥
सुग्रीवहुँ को कपिपति कीन्हा ।
राज विभीषन को प्रभु दीन्हा ॥
खेल खेल महु सिंधु बधाये ।
लोक सकल अनुपम यश छाये ॥
दुर्गम गढ़ लंका पति मारे ।
सुर नर मुनि सबके भय टारे ॥
देवन थापि सुजस विस्तारे ।
कोटिक दीन मलीन उधारे ॥
कपि केवट खग निसचर केरे ।
करि करुना दुःख दोष निवेरे ॥
देत सदा दासन्ह को माना ।
जगतपूज भे कपि हनुमाना ॥
आरत दीन सदा सत्कारे ।
तिहुपुर होत राम जयकारे ॥
कौसल्यादि सकल महतारी ।
दशरथ आदि भगत प्रभु झारी ॥
सुर नर मुनि प्रभु गुन गन गाई ।
आरति करत बहुत सुख पाई ॥
धूप दीप चन्दन नैवेदा ।
मन दृढ़ करि नहि कवनव भेदा ॥
राम लला की आरती गावै ।
राम कृपा अभिमत फल पावै ॥