Gorakhnath ji Arti:श्रीनाथ जी आरती के लाभ
Gorakhnath ji Arti:श्रीनाथ जी, भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप के रूप में पूजे जाते हैं। उनकी आरती करने से कई आध्यात्मिक और भौतिक लाभ प्राप्त होते हैं।
1. आध्यात्मिक शांति और भक्ति का भाव
श्रीनाथ जी की आरती नियमित करने से मन शांत होता है और भक्त के हृदय में श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम और समर्पण का भाव प्रबल होता है।
2. परिवार में सुख-शांति
श्रीनाथ जी को समर्पित आरती करने से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और कलह दूर होते हैं। यह आरती परिवार में आपसी प्रेम और सौहार्द बढ़ाती है।
3. धन-समृद्धि का आशीर्वाद
Gorakhnath ji Arti:श्रीनाथ जी, गोवर्धन पर्वत के उद्धारकर्ता, धन और समृद्धि के प्रतीक हैं। उनकी आरती करने से आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं और घर में धन की बरकत होती है।
4. संकटों और कष्टों से मुक्ति
श्रीनाथ जी को “संकट मोचन” भी माना जाता है। उनकी आरती करने से जीवन के सभी संकट और बाधाएं दूर होती हैं।
5. आध्यात्मिक उन्नति
आरती के माध्यम से भक्त अपने मन को श्रीकृष्ण के चरणों में लगाकर ध्यान केंद्रित करता है, जिससे आत्मा की उन्नति होती है।
6. कार्यों में सफलता
Gorakhnath ji Arti:श्रीनाथ जी की कृपा से हर कार्य निर्विघ्न और सफल होता है। उनके प्रति समर्पित आरती व्यापार, नौकरी, और अन्य क्षेत्रों में सफलता दिलाती है।
7. संतान प्राप्ति और संतानों की रक्षा
Gorakhnath ji Arti:श्रीनाथ जी को बाल स्वरूप मानकर उनकी आरती करने से नि:संतान दंपतियों को संतान का सुख प्राप्त होता है और संतान की उन्नति होती है।
आरती करने का शुभ समय
- प्रातःकाल: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 5:00 से 6:00 बजे) या सूर्योदय के समय।
- संध्याकाल: सूर्यास्त के बाद 6:00 बजे से 8:00 बजे के बीच।
- श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, गोवर्धन पूजा और गोकुलाष्टमी जैसे विशेष अवसरों पर आरती का विशेष फल प्राप्त होता है।
आरती विधि
- श्रीनाथ जी की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं।
- भोग (मक्खन, मिश्री, फल) अर्पित करें।
- धूप, फूल, और तुलसी पत्र चढ़ाकर आरती करें।
- घंटी और शंख के साथ आरती गाएं।
महत्व:
Gorakhnath ji Arti:श्रीनाथ जी की आरती करने से जीवन में श्रीकृष्ण का आशीर्वाद बना रहता है, जो जीवन को मंगलमय और सुखद बनाता है।
Gorakhnath ji Arti:श्री नाथ जी आरती
जय गोरख योगी (श्री गुरु जी) हर हर गोरख योगी ।
वेद पुराण बखानत, ब्रह्मादिक सुरमानत, अटल भवन योगी ।
ऊँ जय गोरख योगी ॥
बाल जती ब्रह्मज्ञानी योग युक्ति पूरे (श्रीगुरुजी) योग युक्ति पूरे ।
सोहं शब्द निरन्तर (अनहद नाद निरन्तर) बाज रहे तूरे ।
ऊँ जय गोरख योगी ॥
रत्नजड़ित मणि माणिक कुण्डल कानन में (श्री गुरुजी) कुंडल कानन में
जटा मुकुट सिर सोहत मन मोहत भस्मन्ती तन में ।
ऊँ जय गोरख योगी ॥
आदि पुरुष अविनाशी, निर्गुण गुणराशी (श्री गुरुजी) निर्गुण गुणराशी,
सुमिरण से अघ छूटे, सुमिरन से पाप छूटे, टूटे यम फाँसी ।
ऊँ जय गोरख योगी ॥
ध्यान कियो दशरथ सुत रघुकुल वंशमणी (श्री गुरुजी) रघुकुल वंशमणि,
सीता शोक निवारक, सीता मुक्त कराई, मार्यो लंक धनी ।
ऊँ जय गोरख योगी ॥
नन्दनन्दन जगवन्दन, गिरधर वनमाली, (श्री गुरुजी) गिरधर वनमाली
निश वासर गुण गावत, वंशी मधुर वजावत, संग रुक्मणी बाली ।
ऊँ जय गोरख योगी ॥
धारा नगर मैनावती तुम्हरो ध्यानधरे (श्रीगुरुजी) तुम्हरो ध्यान धरे
अमर किये गोपीचन्द, अमर किये पूर्णमल, संकट दूर करे ।
ऊँ जय गोरख योगी ॥
चन्द्रावल लखरावल निजकर घातमरी, (श्रीगुरुजी) निजकर घातमरी,
योग अमर फल देकर, 2 क्षण में अमर करी ।
ऊँ जय गोरख योगी ॥
भूप अमित शरणागत जनकादिक ज्ञानी, (श्रीगुरुजी)जनकादिक ज्ञानी
मान दिलीप युधिष्ठिर 2 हरिश्चन्द्र से दानी ।
ऊँ जय गोरख योगी ॥
वीर धीर संग ऋद्धि सिद्धि गणपति चंवर करे (श्रीगुरुजी) गणपति चँवर करे
जगदम्बा जगजननी 2 योगिनी ध्यान धरे ।
ऊँ जय गोरख योगी ॥
दया करी चौरंग पर कठिन विपतिटारी (श्रीगुरुजी) कठिन विपतिटारी
दीनदयाल दयानिधि 2 सेवक सुखकारी ।
ऊँ जय गोरख योगी ॥
इतनी श्री नाथ जी की मंगल आरती निशदिन जो गावे (श्रीगुरुजी)
प्रात समय गावे, भणत विचार पद (भर्तृहरि भूप अमर पद)सो निश्चय पावे ।
ऊँ जय गोरख योगी ॥