Narasimha Aarti:नृसिंह आरती के लाभ (फायदे):
नृसिंह भगवान की आरती करने से व्यक्ति को अनेक आध्यात्मिक और मानसिक लाभ प्राप्त होते हैं। Narasimha Aarti यह आरती विशेष रूप से भय और नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करने के लिए मानी जाती है।
Narasimha Aarti:फायदे:
- भय से मुक्ति:
नृसिंह भगवान को भय हरने वाला देवता माना गया है। Narasimha Aarti उनकी आरती करने से व्यक्ति के मन से डर, चिंता और असुरक्षा की भावना समाप्त होती है। - नकारात्मक शक्तियों से रक्षा:
नृसिंह भगवान की आरती बुरी शक्तियों और नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा प्रदान करती है। घर और परिवार में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। - भक्तों की रक्षा:
भगवान नृसिंह को भक्तों का रक्षक माना जाता है। उनकी आरती करने से भगवान का आशीर्वाद मिलता है, और किसी भी संकट में व्यक्ति सुरक्षित रहता है। - धन और समृद्धि:
भगवान नृसिंह लक्ष्मीपति हैं। उनकी आरती करने से घर में धन और समृद्धि आती है। - साहस और आत्मविश्वास:
नृसिंह भगवान से प्रेरणा और शक्ति मिलती है, जिससे व्यक्ति साहसिक कार्यों में सफलता पाता है। - स्वास्थ्य और शांति:
नृसिंह आरती से मानसिक शांति और स्वास्थ्य लाभ होता है। यह आरती तनाव को कम करने और ध्यान केंद्रित करने में सहायक है।
Narasimha Aarti:शुभ मुहूर्त:
- नृसिंह चतुर्दशी:
भगवान नृसिंह का जन्मोत्सव वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। Narasimha Aarti इस दिन उनकी आरती और पूजा का विशेष महत्व है। - प्रतिदिन संध्या और प्रातःकाल:
नित्य आरती करने के लिए सूर्योदय (प्रातः 6-8 बजे) और सूर्यास्त (शाम 6-8 बजे) का समय उत्तम माना जाता है। - अमावस्या और पूर्णिमा:
अमावस्या और पूर्णिमा के दिन भगवान नृसिंह की आरती करने से विशेष फल प्राप्त होता है। - संकट के समय:
जब भी व्यक्ति किसी बड़ी परेशानी या भय से गुजर रहा हो, उस समय नृसिंह आरती करने से तुरंत मनोबल और समाधान मिलता है।
नोट: पूजा के समय पवित्रता, भक्ति, और श्रद्धा का होना अति महत्वपूर्ण है। किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान का आह्वान करने से आरती का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है।
Narasimha Aarti:नृसिंह आरती
नमस्ते नरसिंहाय
प्रह्लादाह्लाद-दायिने
हिरण्यकशिपोर्वक्षः-
शिला-टङ्क-नखालये
इतो नृसिंहः परतो नृसिंहो
यतो यतो यामि ततो नृसिंहः
बहिर्नृसिंहो हृदये नृसिंहो
नृसिंहमादिं शरणं प्रपद्ये
तव करकमलवरे नखमद्भुत-शृङ्गं
दलितहिरण्यकशिपुतनुभृङ्गम्
केशव धृतनरहरिरूप जय जगदीश हरे ।