Maa Saraswati Ji:माँ सरस्वती जी की आरती का विशेष महत्व है, क्योंकि वे विद्या, ज्ञान, कला और संगीत की देवी मानी जाती हैं। उनकी आराधना से बुद्धि, विवेक और ज्ञान की प्राप्ति होती है। विद्यार्थी, कलाकार, संगीतकार, और लेखक विशेष रूप से माँ सरस्वती की पूजा करते हैं ताकि उन्हें अपने कार्यों में सफलता और रचनात्मकता प्राप्त हो। Maa Saraswati Ji माँ सरस्वती की आरती विशेष रूप से वसंत पंचमी के दिन की जाती है, जिसे उनके जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।
Maa Saraswati Ji:माँ सरस्वती आरती के लाभ
- विद्या और ज्ञान में वृद्धि: माँ सरस्वती की आराधना करने से बुद्धि तीव्र होती है और अध्ययन में सफलता मिलती है।
- संगीत और कला में उन्नति: जो लोग कला, संगीत, और साहित्य से जुड़े हैं, उन्हें माँ सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- आध्यात्मिक ज्ञान: माँ सरस्वती की आरती से व्यक्ति में आध्यात्मिक ज्ञान का संचार होता है।
- भ्रम और अज्ञानता का नाश: माँ सरस्वती की कृपा से व्यक्ति के जीवन से भ्रम, अज्ञानता और नकारात्मकता दूर होती है।
इस आरती का पाठ करने से माँ सरस्वती की कृपा से विद्या, कला और ज्ञान का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे व्यक्ति के जीवन में सफलता और प्रगति का मार्ग खुलता है।
Maa Saraswati Ji:माँ सरस्वती आरती की विधि
- माँ सरस्वती की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक जलाएँ।
- पुष्प, अक्षत और सफेद वस्त्र अर्पित करें, क्योंकि सफेद रंग माँ सरस्वती का प्रतीक है।
- धूप या अगरबत्ती जलाएँ और माँ सरस्वती का ध्यान करें।
- आरती का पाठ करें और अंत में माँ से विद्या और ज्ञान के लिए प्रार्थना करें।
माँ सरस्वती की आरती नियमित रूप से श्रद्धा भाव से करने से ज्ञान, विद्या और बुद्धि का विकास होता है, और व्यक्ति को अपने जीवन में सफलता प्राप्त होती है।
Maa Saraswati Ji:माँ सरस्वती जी – आरती
जय सरस्वती माता,
मैया जय सरस्वती माता ।
सदगुण वैभव शालिनी,
त्रिभुवन विख्याता ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
चन्द्रवदनि पद्मासिनि,
द्युति मंगलकारी ।
सोहे शुभ हंस सवारी,
अतुल तेजधारी ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
बाएं कर में वीणा,
दाएं कर माला ।
शीश मुकुट मणि सोहे,
गल मोतियन माला ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
देवी शरण जो आए,
उनका उद्धार किया ।
पैठी मंथरा दासी,
रावण संहार किया ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
विद्या ज्ञान प्रदायिनि,
ज्ञान प्रकाश भरो ।
मोह अज्ञान और तिमिर का,
जग से नाश करो ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
धूप दीप फल मेवा,
माँ स्वीकार करो ।
ज्ञानचक्षु दे माता,
जग निस्तार करो ॥
॥ जय सरस्वती माता…॥
माँ सरस्वती की आरती,
जो कोई जन गावे ।
हितकारी सुखकारी,
ज्ञान भक्ति पावे ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
जय सरस्वती माता,
जय जय सरस्वती माता ।
सदगुण वैभव शालिनी,
त्रिभुवन विख्याता ॥