गोवर्धन पूजा दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है. इस  पूजा की शुरुआत भगवान श्री कृष्ण ने की थी. इस दिन प्रकृति के आधार के रूप में गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है और समाज के आधार के रूप में गाय की पूजा होती है.  अगर आप भी गोवर्धन पूजा करते हैं और परिक्रमा पर जाते हैं तो कुछ बातों का ध्यान जरूर रखें.

गोवर्धन पूजा पर कुछ ऐसे कार्य हैं जिन्हें अशुभ माना जाता है और इनसे बचना चाहिए। यहां आठ ऐसे कार्य दिए गए हैं जिन्हें गोवर्धन पूजा के दिन भूल से भी नहीं करना चाहिए:

1. जूठे या अशुद्ध स्थान पर पूजा न करें

पूजा स्थान और स्वयं को शुद्ध करके ही पूजा करनी चाहिए। अशुद्धता से भगवान की कृपा नहीं मिलती।

गोवर्धन पूजा और अन्नकूट का आयोजन बंद कमरे में न करें. गायों की पूजा करते हुए ईष्टदेव या भगवान कृष्ण की पूजा करना न भूलें.

गोवर्धन पूजा

2. अहंकार से बचें

इस दिन अहंकार और घमंड से बचना चाहिए, क्योंकि भगवान कृष्ण ने इंद्रदेव के अहंकार को तोड़ने के लिए गोवर्धन पर्वत उठाया था। विनम्रता और भक्ति के साथ पूजा करें।

परिवार के सभी लोग अलग अलग होकर पूजा ना करें, एक साथ ही पूजा-अर्चना करें.

3. प्रकृति का अनादर न करें

गोवर्धन पूजा में प्रकृति और पर्यावरण का सम्मान किया जाता है। इस दिन जल, वायु, पेड़-पौधों, और जीव-जंतुओं का अनादर नहीं करना चाहिए।

पूजन में सम्मिलित लोग काले रंग के कपड़े न पहनें. हल्के पीले या नारंगी रंग के वस्त्र पहनें तो उत्तम रहेगा.

4. गायों को परेशान न करें

गोवर्धन पूजा पर गायों का विशेष महत्व है, इसलिए उन्हें परेशान नहीं करना चाहिए। बल्कि उनकी सेवा और पूजा करें।

गोवर्धन पूजा के दिन गाय या जीवों की सेवा करें और उन्हें खाना खिलाएं.

5. अन्न का अपमान न करें

गोवर्धन पूजा पर अन्नकूट का भोग तैयार किया जाता है, जिसमें विभिन्न प्रकार के अन्न का उपयोग होता है। अन्न का अपमान करना अशुभ माना जाता है, इसलिए अन्न का आदर करें।

परिक्रमा करते समय जूते, चप्पल न पहनें. अगर कोई व्यक्ति कमजोर हो या फिर कोई छोटा बच्चा साथ में हो तो रबड़ की चप्पल या फिर कपड़े के जूते पहन सकते हैं.

6. लड़ाई-झगड़ा न करें

गोवर्धन पूजा का उद्देश्य शांति और भाईचारे का संदेश देना है, इसलिए इस दिन किसी भी प्रकार का वाद-विवाद या झगड़ा नहीं करना चाहिए।

गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा कभी भी अधूरी नहीं छोड़नी चाहिए.

7. दुर्व्यवहार या कठोर वाणी का प्रयोग न करें

इस दिन विशेष रूप से मधुर और विनम्र वाणी का प्रयोग करना चाहिए। कठोर वाणी का प्रयोग भगवान की कृपा में बाधा डाल सकता है।

किसी भी प्रकार का धूम्रपान या कोई भी नशीली वस्तु का प्रयोग नहीं करना चाहिए.

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8. बड़ों का अपमान न करें

इस दिन अपने से बड़े और बुजुर्गों का आदर करना चाहिए। उनका अपमान करने से पुण्य की हानि होती है और भगवान की कृपा प्राप्त नहीं होती।

इन सभी बातों का ध्यान रखते हुए गोवर्धन पूजा में श्रद्धा और समर्पण के साथ पूजा करें, जिससे भगवान कृष्ण की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त हो सके।

गोवर्धन पूजा में कुछ विशेष कार्य और विधियाँ हैं जिन्हें करने से भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है। यहां बताया गया है कि गोवर्धन पूजा में क्या करना चाहिए:

1. पूजा स्थल की सफाई और सजावट

सबसे पहले पूजा स्थान को अच्छे से साफ करें और गंगाजल या साफ जल से शुद्ध करें। रंगोली बनाएं और फूलों से सजाएं, जिससे पूजा स्थल का वातावरण पवित्र और सुंदर बने।

2. गाय और बछड़ों की पूजा करें

गोवर्धन पूजा पर गायों का विशेष महत्व है। इस दिन गायों को नहलाकर सजाएं, उनके सींगों पर हल्दी और सिंदूर लगाएं, और उन्हें फूलों की माला पहनाएं। गायों को ताजे हरे चारे, गुड़, और मिठाई का भोग लगाएं और उनकी पूजा करें।

3. गोवर्धन पर्वत का प्रतीक बनाएं

घर में गोबर से गोवर्धन पर्वत का छोटा सा प्रतीकात्मक ढेर बनाएं और इसे फूलों से सजाएं। इसे गोवर्धन पर्वत का प्रतीक मानकर भगवान कृष्ण की पूजा करें।

4. अन्नकूट का भोग तैयार करें

अन्नकूट का भोग तैयार करें जिसमें चावल, दाल, सब्जियाँ, मिठाई, रोटी और अन्य व्यंजन बनाएं। इन पकवानों को गोवर्धन पर्वत के प्रतीक और भगवान कृष्ण को अर्पित करें। भोग में पकवानों का ढेर बनाकर पर्वत का रूप दें।

5. भगवान कृष्ण की पूजा करें

भगवान कृष्ण की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं, चंदन, फूल, धूप, और तुलसी दल अर्पित करें। भगवान कृष्ण को भोग लगाने के बाद उनकी आरती करें और भक्ति भाव से उनकी प्रार्थना करें।

6. गोवर्धन परिक्रमा करें

गोवर्धन पर्वत का प्रतीक बनाकर उसकी परिक्रमा करें। इसे 3 या 7 बार घूमें, और गोवर्धन पर्वत की महिमा का स्मरण करते हुए भक्ति भाव से परिक्रमा करें।

7. भोग और प्रसाद का वितरण करें

अन्नकूट के भोग को परिवार और समुदाय में बाँटें। इसे प्रसाद के रूप में सभी के बीच वितरित करें। इससे समाज में एकता और प्रेम का संदेश मिलता है।

8. गायों की सेवा और दान करें

इस दिन गायों की सेवा करें और उन्हें अच्छे भोजन का दान करें। इसके साथ ही जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, और धन का दान करें। यह कार्य पुण्य का कारक माना जाता है।

इन सभी विधियों के साथ श्रद्धा और विश्वास के साथ गोवर्धन पूजा करें। भगवान कृष्ण की कृपा से परिवार में सुख-समृद्धि और शांति प्राप्त होती है।

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