Radha Chalisa:राधा चालीसा, देवी राधा के प्रति समर्पित एक भक्ति स्तोत्र है, जिसे विशेष रूप से वैष्णव परंपरा में पढ़ा जाता है। इसे पढ़ने से भक्तों को मां राधा और भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है। हालांकि, राधा चालीसा विशेष रूप से अधिक प्रसिद्ध नहीं है, लेकिन राधा रानी की भक्ति में अन्य प्रार्थनाएं और स्तोत्र अधिक प्रचलित हैं।

Radha Chalisa:चालीसा, एक प्रकार का स्तोत्र होता है जिसमें 40 छंद होते हैं। अगर आप Radha Chalisa राधा चालीसा या इस से संबंधित किसी विशेष पाठ के लाभ के बारे में जानना चाहते हैं, Radha Chalisa तो आपको निम्न लाभ मिल सकते हैं:

  1. आध्यात्मिक शांति: राधा चालीसा का पाठ करने से मानसिक शांति और आध्यात्मिक बल मिलता है।
  2. सकारात्मक ऊर्जा: इसे पढ़ने से आपके घर और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
  3. प्रेम और करुणा में वृद्धि: राधा रानी की भक्ति से प्रेम और करुणा की भावना मजबूत होती है।
  4. जीवन के कष्टों से मुक्ति: राधा रानी का आशीर्वाद कठिन समय में मार्गदर्शन करता है Radha Chalisa और जीवन के कष्टों से राहत देता है।
  5. वैवाहिक जीवन में सुख: जिनका वैवाहिक जीवन कठिनाइयों से गुजर रहा हो, उनके लिए भी राधा रानी की भक्ति अत्यधिक लाभकारी मानी जाती है।

Radha Chalisa:अगर आप राधा चालीसा या कोई और राधा से संबंधित पाठ चाहते हैं, Radha Chalisa तो मैं वह भी उपलब्ध करा सकता हूँ।

Radha Chalisa राधा चालीसा

॥ दोहा ॥
श्री राधे वुषभानुजा,
भक्तनि प्राणाधार ।
वृन्दाविपिन विहारिणी,
प्रानावौ बारम्बार ॥

जैसो तैसो रावरौ,
कृष्ण प्रिया सुखधाम ।
चरण शरण निज दीजिये,
सुन्दर सुखद ललाम ॥

॥ चौपाई ॥
जय वृषभान कुँवरी श्री श्यामा ।
कीरति नंदिनी शोभा धामा ॥

नित्य विहारिनि श्याम अधारा ।
अमित मोद मंगल दातारा ॥

रास विलासिनि रस विस्तारिनि ।
सहचरि सुभग यूथ मन भावनि ॥

नित्य किशोरी राधा गोरी ।
श्याम प्राणधन अति जिय भोरी ॥

करुणा सागर हिय उमंगिनी ।
ललितादिक सखियन की संगिनी ॥

दिनकर कन्या कूल विहारिनि ।
कृष्ण प्राण प्रिय हिय हुलसावनि ॥

नित्य श्याम तुमरौ गुण गावैं ।
राधा राधा कहि हरषावैं ॥

मुरली में नित नाम उचारें ।
तुव कारण लीला वपु धारें ॥

प्रेम स्वरूपिणि अति सुकुमारी ।
श्याम प्रिया वृषभानु दुलारी ॥

नवल किशोरी अति छवि धामा ।
द्युति लघु लगै कोटि रति कामा ॥१०

गौरांगी शशि निंदक बदना ।
सुभग चपल अनियारे नयना ॥

जावक युत युग पंकज चरना ।
नूपुर धुनि प्रीतम मन हरना ॥

संतत सहचरि सेवा करहीं ।
महा मोद मंगल मन भरहीं ॥

रसिकन जीवन प्राण अधारा ।
राधा नाम सकल सुख सारा ॥

अगम अगोचर नित्य स्वरूपा ।
ध्यान धरत निशिदिन ब्रज भूपा ॥

उपजेउ जासु अंश गुण खानी ।
कोटिन उमा रमा ब्रह्मानी ॥

नित्य धाम गोलोक विहारिणि ।
जन रक्षक दुख दोष नसावनि ॥

शिव अज मुनि सनकादिक नारद ।
पार न पाँइ शेष अरु शारद ॥

राधा शुभ गुण रूप उजारी ।
निरखि प्रसन्न होत बनवारी ॥

ब्रज जीवन धन राधा रानी ।
महिमा अमित न जाय बखानी ॥२०

प्रीतम संग देइ गलबाँही ।
बिहरत नित वृन्दावन माँही ॥

राधा कृष्ण कृष्ण कहैं राधा ।
एक रूप दोउ प्रीति अगाधा ॥

श्री राधा मोहन मन हरनी ।
जन सुख दायक प्रफुलित बदनी ॥

कोटिक रूप धरें नंद नंदा ।
दर्शन करन हित गोकुल चंदा ॥

रास केलि करि तुम्हें रिझावें ।
मान करौ जब अति दुःख पावें ॥

प्रफुलित होत दर्श जब पावें ।
विविध भांति नित विनय सुनावें ॥

वृन्दारण्य विहारिणि श्यामा ।
नाम लेत पूरण सब कामा ॥

कोटिन यज्ञ तपस्या करहु ।
विविध नेम व्रत हिय में धरहु ॥

तऊ न श्याम भक्तहिं अपनावें ।
जब लगि राधा नाम न गावें ॥

वृन्दाविपिन स्वामिनी राधा ।
लीला वपु तब अमित अगाधा ॥३०

स्वयं कृष्ण पावैं नहिं पारा ।
और तुम्हें को जानन हारा ॥

श्री राधा रस प्रीति अभेदा ।
सादर गान करत नित वेदा ॥

राधा त्यागि कृष्ण को भजिहैं ।
ते सपनेहुँ जग जलधि न तरि हैं ॥

कीरति कुँवरि लाड़िली राधा ।
सुमिरत सकल मिटहिं भव बाधा ॥

नाम अमंगल मूल नसावन ।
त्रिविध ताप हर हरि मनभावन ॥

राधा नाम लेइ जो कोई ।
सहजहि दामोदर बस होई ॥

राधा नाम परम सुखदाई ।
भजतहिं कृपा करहिं यदुराई ॥

यशुमति नन्दन पीछे फिरिहैं ।
जो कोऊ राधा नाम सुमिरिहैं ॥

रास विहारिणि श्यामा प्यारी ।
करहु कृपा बरसाने वारी ॥

वृन्दावन है शरण तिहारी ।
जय जय जय वृषभानु दुलारी ॥४०

॥ दोहा ॥
श्री राधा सर्वेश्वरी,
रसिकेश्वर धनश्याम ।
करहुँ निरंतर बास मैं,
श्री वृन्दावन धाम ॥
॥ इति श्री राधा चालीसा ॥

Radha Chalisa

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