नवरात्रि पर कैसे करें घटस्थापना (Ghatasthapana) मंत्र सहित एवं वैदिक प्रमाण

नवरात्रि एक पावन पर्व है, जिसे माँ दुर्गा की आराधना और शक्ति की उपासना के रूप में मनाया जाता है। इस दौरान घटस्थापना (Ghatasthapana) का विशेष महत्व है। इसे नवरात्रि के पहले दिन शुभ मुहूर्त में विधिपूर्वक किया जाता है। यहाँ हम जानेंगे कि नवरात्रि पर घटस्थापना कैसे करें, उससे जुड़े मंत्र, और वैदिक प्रमाण।

घटस्थापना का महत्व

घटस्थापना नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की उपस्थिति का प्रतीक मानी जाती है। इसे कलश स्थापना के नाम से भी जाना जाता है, जो शुभता और समृद्धि का प्रतीक है। इस विधि से माँ दुर्गा को आमंत्रित किया जाता है, ताकि वे नौ दिनों तक भक्तों के बीच विराजमान रहें।

घटस्थापना सामग्री (Ghatasthapana Samagri)

घटस्थापना के लिए आवश्यक सामग्री:

  1. मिट्टी या तांबे का कलश
  2. स्वच्छ जल
  3. आम या अशोक के पत्ते
  4. नारियल (कपड़े में लिपटा हुआ)
  5. लाल कपड़ा या चुनरी
  6. जौ के बीज (बीजारोपण के लिए)
  7. कुमकुम, अक्षत (चावल), पुष्प
  8. पवित्र धागा (मौली)
  9. देवी दुर्गा की प्रतिमा या फोटो
नवरात्रि

घटस्थापना विधि (Ghatasthapana Vidhi)

  1. स्थान का चयन: पूजा स्थल को स्वच्छ करें और पवित्र स्थान पर चौकी लगाएं।
  2. कलश की तैयारी: मिट्टी या तांबे के कलश में जल भरें और उसमें गंगाजल मिलाएं।
  3. जौ का बीजारोपण: कलश के पास मिट्टी में जौ बोएं, जो जीवन और उर्वरता का प्रतीक है।
  4. नारियल स्थापना: कलश के ऊपर नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर रखें और उसके ऊपर मौली बाँधें।
  5. पत्तों की सजावट: कलश के मुंह पर आम या अशोक के पत्ते रखें।
  6. माँ दुर्गा का आवाहन: माँ दुर्गा का आवाहन करें और पूजा की शुरुआत करें।

घटस्थापना मंत्र (Ghatasthapana Mantra)

घटस्थापना के दौरान निम्न मंत्र का जाप करें:

ॐ ध्येय सर्वसिद्धिनां देवीभक्तार्थसिद्धये।
घटस्थापनमायांतु मां च पालयते सदा।।

इस मंत्र से माँ दुर्गा का आवाहन करते हुए घटस्थापना करें।

वैदिक प्रमाण (Vedic Reference)

घटस्थापना की विधि और महत्व वेदों और पुराणों में वर्णित है। इसे वैदिक संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना गया है। मार्कण्डेय पुराण और दुर्गा सप्तशती में नवरात्रि की पूजा और घटस्थापना की प्रक्रिया का विस्तार से उल्लेख किया गया है।

नवरात्रि पूजा का विशेष महत्व

नवरात्रि के दौरान घटस्थापना के साथ-साथ नौ दिनों तक माँ दुर्गा की नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। यह पर्व शक्ति, भक्ति, और समर्पण का प्रतीक है, जो जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शुभता लाता है।

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