KARMASU

परम तेजस्वी भक्त रैभ्य मुनि की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने दिए थे दर्शन

श्री भरत मंदिर उत्तराखंड के पवित्र शहर ऋषिकेश में स्थित है। यह मंदिर ऋषिकेश के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है। श्री भरत मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर से ही ऋषिकेश शहर का अस्तित्व सामने आया है। इस मंदिर में बहुत सी प्राचीन कलाकृतियों को आज भी सुरक्षित रखा गया है।

श्री भरत मंदिर का इतिहास

श्री भरत मंदिर का उल्लेख हिन्दू धर्म के स्कन्द पुराण, श्रीमद्भागवत, महाभारत, नृसिंह पुराण और वराह पुराण में किया गया है। इसमें यह वह स्थान है जहाँ पर परम तेजस्वी भक्त रैभ्य मुनि की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने कहा था कि हृषीकेश नाम से मैं सदैव यहीं स्थित रहूँगा। इसलिए इस स्थान का नाम हृषीकेश भी है। इस मंदिर के इतिहास के विषय में बताया जाता है

करीब 789 ई. में बसंत पंचमी के शुभ दिन पर, जगद्गुरु आदि शंकराचार्य ने मंदिर में भगवान की प्रतिमा को स्थापित किया गया है। प्रत्येक वर्ष इस दिन शालिग्राम को मायाकुंड में पवित्र स्नान के लिए ले जाते और फिर पुनर्स्थापना हेतु शहर में एक भव्य जुलूस के साथ वापस मंदिर लाया जाता है।

श्री भरत मंदिर का महत्व

इस मंदिर से सम्बंधित यह भी मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन यदि कोई तीर्थयात्री इस मंदिर में भगवान श्री हृषिकेश नारायण की 108 परिक्रमा करता है और उनके चरणों में आशीर्वाद मांगता है तो उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं। ऐसा करना बद्रीनाथ की तीर्थयात्रा के बराबर माना गया है। भगवान विष्णु जी के इस स्थान पर दर्शन दिए जाने के कारण यह मंदिर बहुत ही पवित्र है जिस वजह से मंदिर के दर्शन मात्र से सभी भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

श्री भरत मंदिर की वास्तुकला

श्री भरत मंदिर के मुख्य गर्भ ग्रह के भीतर इस मंदिर में भगवान विष्णुजी जी कि ऐसी प्रतिमा है जिसे एक ही काले रंग का एक पत्थर यानी कि शालिग्राम पत्थर को काटकर बनाया गया है। मंदिर के मुख्य द्वार के ठीक सामने एक प्राचीन पेड़ है। वास्तव में यह तीन अलग-अलग पेड़ों का एक संयोजन है जिनकी जड़ें इस तरह से आपस में जुड़ी हुई हैं कि उन्हें अलग अलग देखना लगभग असंभव है।

No Thumbnail Found

लक्ष्मी नारायण मंदिर: हरिद्वार, उत्तराखंड, भारत

पूज्य संत श्री श्री कुमार स्वामी (गुरुदेव) द्वारा स्थापित मंदिर हरिद्वार में लक्ष्मी नारायण मंदिर अत्यधिक पवित्र महत्व रखता है। यह…

इसमें बरगद के पेड़ यानी वट वृक्ष, पीपल के पेड़ और बेल के पेड़ शामिल हैं। ऐसा माना जाता है कि, ये तीन पेड़ त्रि देव, ब्रह्मा निर्माता, विष्णु, संरक्षक और महेश संहारक का प्रतिनिधित्व करते हैं। भक्त इन वृक्षों की अत्यंत श्रद्धा और विश्वास के साथ पूजा करते हैं। इस पेड़ के नीचे बुद्ध की एक खंडित मूर्ति रखी हुई है जो खुदाई के दौरान प्राप्त हुई थी। ऐसा माना जाता है कि यह प्रतिमा अशोक काल की है जब बौद्ध धर्म पूरे देश में फैल रहा था।

श्री भरत मंदिर का समय

सुबह भरत मंदिर खुलने का समय

05:00 AM – 11:00 AM

सांयकाल भरत मंदिर खुलने का समय

01:00 PM – 09:00 PM

मंदिर का प्रसाद

भगवान विष्णु को पीली चीजों का भोग लगाया जाता है। इसके अलावा सूखे मेवे, फल, फूल भी भगवान को अर्पित किये जाते है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *