मनकामेश्वर मंदिर

मनकामेश्वर मंदिर उत्तर प्रदेश सरकार ने मनकामेश्वर मंदिर को एक ऐतिहासिक स्मारक घोषित किया है।

मनकामेश्वर मंदिर:त्रिवेणी संगम की नगरी प्रयागराज को सनातन धर्म का केंद्र कहा जाता है। यहां पर कई ऐसे पौराणिक और आध्यात्मिक स्थल मौजूद हैं जो इस नगरी की प्राचीनता और महत्वई को बताते हैं। मनकामेश्वर मंदिर यहां के अनेकों मंदिर रामायण काल और महाभारत काल से जुड़े हैं और इनका वर्णन धर्म ग्रंथों में मिलता है। ऐसा ही एक पौराणिक गंगा,यमुना और सरस्वती के संगम तट पर मौजूद बना है,

जिसे मनकामेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है। ये मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। मान्यता है कि यहां पर आने वाले भक्तों की भगवान शिव हर मनोकामनाएं पूरी करते हैं। इसलिए यहां पर देश के अलग-अलग राज्यों से लोग आते हैं और भोलेनाथ से मनोकामना मांगते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने मनकामेश्वर मंदिर को एक ऐतिहासिक स्मारक घोषित किया है।

मनकामेश्वर मंदिर का इतिहास

मनकामेश्वर मंदिर का निर्माण 1542 ई. में हुआ था, इसका निर्माण राजपूत वंश के राजा मान सिंह प्रथम ने करवाया था। मनकामेश्वर मंदिर का जिक्र स्कंद पुराण और पदम पुराण में कामेश्वर पीठ के तौर पर मिलता है। ऐसा कहा जाता है मनकामेश्वर कि शिव जी कामदेव को भस्म करने के बाद यहां आकर लिंग के रूप में विराजमान हो गए थे। बताया जाता है कि त्रेता युग में भगवान श्री राम जब वनवास जा रहे थे तो प्रयागराज में अक्षयवट के नीचे अपने भाई लक्ष्मण और माता सीता के साथ रूके थे।

मनकामेश्वर मंदिर

यहां से आगे बढ़ने से पहले प्रभु राम ने मंदिर पहुंच कर भगवान शिव का जलाभिषेक किया था और उन्होंने भगवान शिव से मार्ग में आने वाले बाधाओं से मुक्ति पाने की कामना भी की थी। 14 वर्ष के वनवास के बाद जब श्री राम वापस अयोध्या लौटने लगे तो पुनः यहां पर रुककर भोलेनाथ के दर्शन किये थे।

मंदिर का महत्व

मान्यता है कि मनकामेश्वर महादेव में 51 सोमवार पूजन अर्चन करने से जीवन में आने वाली सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्ति मिल जाती है। मनकामेश्वर मंदिर तंत्र साधना के लिए अलग पहचान है। मंदिर में श्री विद्या की तांत्रिक साधना की शिक्षा भी दी जाती है।ऐसा बताया जाता है कि ऐसा कई बार हुआ है, जब मंदिर परिसर में कोई न हो और वातावरण बिल्कुल शांत हो, उसके बाद भी भगवान शिव के जयकारे सुनाई देते हैं। उन्होंने कहा कि जब मनकामेश्वर भगवान की आरती के बाद सयन की अवस्था में होते हैं तब यहां आस-पास के दिव्य शक्तियां पहरा देती है।

मंदिर की वास्तुकला

मनकामेश्वर मंदिर का निर्माण हिंदू वास्तुकला के मानदंडों के अनुसार किया गया था और यह राजपूत वास्तुकला की भव्यता को दर्शाता है। मनकामेश्वर मंदिर अष्टकोणीय आकार का है और यह एक बड़े आयताकार प्रांगण से घिरा हुआ है। मंदिर के शीर्ष पर विशाल गुंबद बने हैं। मंदिर के गर्भ गृह में साढ़े तीन फुट का शिवलिंग विराजमान है, जिसे स्वयंभू शिवलिंग कहा जाता है।

सुबह मंदिर खुलने का समय

05:00 AM – 10:00 PM

सुबह आरती का समय

04:30 AM – 05:30 AM

मंदिर का प्रसाद

मनकामेश्वर मंदिर में भगवान शिव को फल, दूध, दही लड्डू का भोग लगाया जाता है। साथ ही श्रद्धालु शिवलिंग पर बेलपत्र, भांग, धतूरा भी चढ़ाते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *