
इस मंदिर का नाम पांच पांडवों में दूसरे भाई भीम के नाम पर रखा गया है।
भीमगोड़ा कुंड मंदिर:भीमगोड़ा कुंड, हरिद्वार में स्थित एक प्रतिष्ठित तालाब है, जिसका बहुत आध्यात्मिक महत्व है क्योंकि हजारों भक्त शुद्धिकरण हेतु इसके पवित्र जल में स्नान करने के लिए यहाँ आते हैं। इस पवित्र कुंड का नाम पांडव भाइयों के दूसरे बहादुर योद्धा ‘भीम’ के नाम पर रखा गया है। यह कुंड प्रसिद्ध हर की पौड़ी से लगभग 500 मीटर की दूरी पर स्थित है।
भीमगोड़ा के निकट, भगवान विष्णु की चौबीस मूर्तियों से सुसज्जित एक मंदिर है – जो इस प्रतिष्ठित हिंदू देवता के अवतारों को दर्शाता है। यह पवित्र स्थल तीर्थयात्रियों और आगंतुकों को समान रूप से आकर्षित करता है, जो शांत वातावरण के बीच आशीर्वाद और शांति की तलाश में इसकी दिव्य आभा का आनंद लेने आते हैं। भीमगोड़ा आध्यात्मिक संतुष्टि और शांति की तलाश करने वालों के लिए एक पसंदीदा गंतव्य बना हुआ है।
मंदिर का इतिहास
भीमगोड़ा कुंड मंदिर के इतिहास से जुडी एक पौराणिक कथा है जिसके अनुसार हिमालय की अपनी यात्रा के समय पांडव भाई एक ऐसे स्थान पर पहुंचे जहां उन्हें प्यास लगी। उसी क्षण भीम जो अपनी अपार ताकत के लिए जाने जाते थे उन्होंने अपने घुटने से जमीन पर प्रहार किया। जिससे एक पवित्र कुंड का निर्माण हुआ। उनके सम्मान में इस जलाशय का नाम ‘भीमगोड़ा’ रखा गया।
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यह कुंड एक भव्य पर्वत के नीचे स्थित है। भीमगोड़ा कुंड को गंगा नदी के पवित्र जल से पानी मिलता है। जिससे इसकी पवित्रता और महत्व बढ़ जाता है। आज भी, यह पूजनीय स्थल असंख्य भक्तों को आकर्षित करता है जो इसका दिव्य आशीर्वाद चाहते हैं और पवित्र जल से स्नान करने के लिए यहाँ आते है।
मंदिर का महत्व
भीमगोड़ा कुंड मंदिर को “गुप्त गंगा” भी कहते है। इस स्थान को भीमगोड़ा टेंक के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि भीमगोड़ा कुंड मंदिर के कुंड में स्नान करने से शरीर का दर्द ठीक हो जाता है। भीमगोड़ा कुंड मंदिर के विषय में ऐसी मान्यता है कि भीमगोड़ा कुंड में स्नान नहीं करने से गंगा स्नान पूर्ण नहीं माना जाता है। प्राचीन समय में बद्रिनाथ जी की यात्रा के लिए इसी रास्ते से होकर गुजरना पड़ता था। परन्तु वर्तमान में इस रास्ते को बंद कर दिया गया है।
भीमगोड़ा कुंड मंदिर:हरिद्वार, उत्तराखंड, भारत
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मंदिर की वास्तुकला
हर की पौड़ी के समीप ही भीमगोड़ा कुंड है और इस कुंड के पास भीमगोड़ा कुंड मंदिर भी निर्मित है। इस मंदिर में पांडवों की प्रतिमाएं बनी हुयी है। ऐसा भी बताया जाता है कि यहाँ पर ही पांडवों ने एक रुद्राक्ष को रखा और ध्यान किया था। बाद में उस रुद्राक्ष में से ग्यारह शिवलिंग निर्मित हुए थे। यह शिवलिंग आज भी भीमगोड़ा मंदिर में स्थापित है।
भीमगोड़ा कुंड मंदिर का समय
मंदिर खुलने का समय
07:00 AM – 07:00 PM
मंदिर का प्रसाद
भीमगोड़ा कुंड मंदिर में आप अपनी श्रद्धानुसार प्रसाद ले जा सकते है। साथ ही पुष्प भी चढ़ा सकते है।