बाँके बिहारी मंदिर

इस मंदिर की गिनती प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिरों में की जाती है।

उत्तर प्रदेश मथुरा जिले के वृंदावन में बिहारीपुरा में बाँके बिहारी मंदिर है। इस मंदिर की गिनती भी प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिरों में की जाती है। बाँके बिहारी भगवान् श्री कृष्ण का ही एक रूप है। जो बहुत ही अद्भुत है। बाँके बिहारी मंदिर विश्व में प्रसिद्ध है। ऐसा माना जाता है कि जो भी भक्त इस मंदिर के दर्शन करते है उनका जीवन सफल हो जाता है।

बाँके बिहारी मंदिर

मंदिर का इतिहास

इस मंदिर के इतिहास के पीछे भी एक कहानी है। बाँके बिहारी मंदिर की कहानी कुछ इस प्रकार है। बाँके बिहारी मंदिर का निर्माण 1864 में स्वामी हरिदास ने करवाया था। स्वामी हरिदास भगवान कृष्ण और राधा जी के परम भक्त थे। उनके भक्ति और समर्पण के आगे भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी को निधिवन में साक्षात् प्रकट होना पड़ा।

इस दिव्य जोड़े की सुंदरता और आकर्षण का तेज इतना था की एक साधारण मनुष्य इसे सहन नहीं कर सकता था। इसलिए स्वामी हरिदास ने भगवान को सहज रूप में प्रकट होने का अनुरोध किया। उनका अनुरोध स्वीकार कर भगवान बांके बिहारी जी और राधारानी एकीकृत होकर एक काली आकर्षक मूर्ति में विलीन हो गए। इस प्रतिमा की आज भी पूजा होती है। स्वामी हरिदास जी के अनुयायियों ने 1921 में बाके बिहारी मंदिर का पुनर्निर्माण कराया।

बाँके बिहारी मंदिर वृंदावन:मंदिर का महत्व

इस मंदिर की ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त बाके बिहारी जी के दर्शन करता है वह उन्ही का हो कर रह जाता है। जो भी व्यक्ति बांके बिहारी की मूर्ति की एक झलक लेता है वह सब सुध बुध भूलकर उन्ही में रम जाता है। बांके बिहारी जी की पूजा करने से सभी संकटों का नाश होता है। बांके का अर्थ है तीन कोणों पर मुड़ा हुआ, यह एक तरह से बांसुरी बजाते भगवान कृष्ण की एक मुद्रा ही है।

बांसुरी बजाने के समय भगवान श्री कृष्ण का दाहिना घुटना बाएं घुटने के समीप मुड़ा हुआ रहता था और दायां हाथ बांसुरी को थामने हेतु मुड़ा रहता था। इस कारण श्री कृष्ण का सिर भी हल्का सा एक तरफ झुका रहता था। उनके द्वारा इस तरह किये जाने के कारण उनका नाम बांके बिहारी पड़ा।

बाँके बिहारी मंदिर वृंदावन:मंदिर की वास्तुकला

बांके बिहारी मंदिर की वास्तुकला राजस्थानी वास्तुकला से प्रेरित है। इस मंदिर के मेहराब और स्तम्भ बहुत ही अट्रेक्टिव है। बांके बिहारी जी की काले पत्थर से निर्मित प्रतिमा बहुत ही आकर्षक है। इसे देखकर सभी मंत्र मुग्ध हो जाते है। इस प्रतिमा में राधा और कृष्ण का एकी कारण है।

मंदिर का समय

गर्मियों में बांके बिहारी मंदिर खुलने का समय

07:45 AM – 12:00 PM

राजभोग आरती का समय

11:55 AM – 12:00 PM

शयन आरती का समय

09:25 PM – 09:30 PM

सर्दियों में बांके बिहारी मंदिर शाम को खुलने का समय

04:30 PM – 08:30 PM

राज भोग का समय

11:00 AM – 11:30 AM

गर्मियीं में बांके बिहारी मंदिर शाम को खुलने का समय

05:30 PM – 09:30 PM

सर्दियों में बांके बिहारी मंदिर खुलने का समय

08:45 AM – 01:00 PM

मंदिर का प्रसाद

बांके बिहारी मंदिर में भगवान को माखन- मिश्री, चंदन, गुलाब जल और केसर का भोग लगाया जाता है। साथ ही फूल भी चढ़ाये जाते है।

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