ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव यहां पर लंबे समय तक रहे थे।
नीलेश्वर महादेव मंदिर भारत के सबसे पवित्र स्थानों में से एक है हरिद्वार। यह स्थान आध्यात्मिक और धार्मिक भक्तों के लिए अत्यधिक महत्व रखता है। यह वह जगह है जहां पवित्र गंगा नदी पहाड़ों से आने के बाद सबसे पहले हरिद्वार में अवतरित होती है। यह शहर आश्रमों, मंदिरों और राजसी घाटों से सुशोभित है। पवित्र शहर ऋषिकेश निकट होने के कारण इसका आध्यात्मिक आकर्षण और भी बढ़ जाता है। हरिद्वार और ऋषिकेश में कई शिव मंदिर है।
परन्तु नीलेश्वर महादेव मंदिर भगवान शिव के सबसे महत्वपूर्ण और पूजनीय स्थानों में से एक है। नील पर्वत की पहाड़ी पर स्थित यह मंदिर न केवल ऐतिहासिक महत्व रखता है बल्कि आसपास की प्राकृतिक सुंदरता के मनमोहक दृश्य को भी प्रदर्शित करता है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, जो नील पर्वत के रक्षक के रूप में प्रतिष्ठित हैं। सभी भक्तों की इस मंदिर के प्रति अपार आस्था और विश्वास है। शिव भक्तों के के लिए यह स्थान बहुत ही महत्त्व रखता है। यह मंदिर चंडी देवी मंदिर के करीब स्थित है।
मंदिर का इतिहास
हरिद्वार के नील पर्वत पर नीलेश्वर महादेव मंदिर का अस्तित्व आदिकाल से माना गया है। इस मंदिर का उल्लेख शिव महापुराण में मिलता है। प्राचीन किंवदंतियों के अनुसार, इस मंदिर का इतिहास सत्य युग से मिलता है। ऐसा कहा जाता है कि उत्तराखंड के त्रियुगीनारायण मंदिर में भगवान शिव और देवी पार्वती के पवित्र विवाह के दौरान, बारात नीलेश्वर महादेव मंदिर में रुकी थी। इसके अतिरिक्त ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव यहां लंबे समय तक रहे थे, जिससे मंदिर की पवित्रता और बढ़ गई।
मंदिर का महत्व
नीलेश्वर महादेव मंदिर में उपस्थित स्वयंभू शिवलिंग को एक हजार शिवलिंग का रूप मानते है। सावन के महीनों में श्रद्धालु बड़ी संख्या में यहाँ गंगा नदी से जल लाकर शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं। मान्यता के अनुसार सावन में जलाभिषेक करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। मान्यता के अनुसार भगवान भोलेनाथ ने समुद्र मंथन से निकले विष को इसी स्थान पर पीया था।
विष पीने के बाद यहीं से भोलेनाथ ने नीलकंठ में जाकर विश्राम किया था। ऐसा बताया जाता है कि भोलेनाथ ने जब समुद्र मंथन से निकाला विष पीया, तो यह पर्वत और गंगा का जल भी नीला हो गया था। इस कारण आज भी इस पर्वत को नील पर्वत और गंगा को नील गंगा के नाम से जानते हैं।
मंदिर की वास्तुकला
वास्तुकला की दृष्टि से यह मंदिर पारंपरिक भारतीय शैली में बना हुआ है। यहाँ पर भक्तों को परम शांति का अनुभव होता है। मंदिर के प्रवेश द्वार पर एक नंदी बैल जी की मूर्ति है। इसके बाद एक विशाल प्रांगण है जहाँ शांतिपूर्ण वातावरण का अनुभव होता है। आंतरिक गर्भगृह में एक स्वयं निर्मित शिवलिंग और एक अन्य नंदी जी की मूर्ति स्थापित है। इसके अलावा यहां एक बड़ा सभा कक्ष भी है जहां भक्त विभिन्न त्योहारों और पवित्र अवसरों को मनाने के लिए एकत्रित होते हैं। नीलेश्वर महादेव मंदिर से चंडी देवी मंदिर की निकटता तीर्थयात्रियों के लिए सुविधाजनक है।
मंदिर का समय
नीलेश्वर महादेव मंदिर खुलने का समय
06:00 AM – 08:00 PM
मंदिर का प्रसाद
नीलेश्वर महादेव मंदिर में भगवान को नारियल, चना चिरौंजी, परमल आदि का भोग लगाया जाता है।