
यहां डुबकी लगाने से मिलेगी पापों से मुक्ति
गंगा घाट पवित्र शहर हरिद्वार में प्रसिद्ध तीर्थ स्थान हर की पौड़ी के नौ गंगा घाट बहुत ही पावन और महत्वपूर्ण महत्त्व रखते है। ये गंगा घाट हैं -विष्णु घाट, ब्रह्मकुंड घाट, कुशावर्त घाट, नाई घाट, बिरला घाट, सती घाट, गऊ घाट, नीलेश्वर घाट और बिल्केश्वर घाट। इन गंगा घाटों पर स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। जो गंगा नदी में डुबकी लगाकर अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए आते है। ज्यादातर भक्त महाकुम्भ के समय इन घाटों पर आते है। गंगा स्नान करने से सभी दुःख दूर होते है। और आत्म को शांति मिलती है।
मंदिर का इतिहास
हर की पौड़ी पर निर्मित घाटों के विषय में कई किद्वन्तियाँ है जिसमे बताया जाता है कि इसका निर्माण विक्रमादित्य ने अपने भाई भृतहरि की याद में करवाया था। क्योंकि वह इन्ही गंगा घाट पर ध्यान किया करते थे। एक अन्य कथा के अनुसार कुछ इतिहासकारों ने इसका इतिहास राजा अकबर के शासन काल के समय का बताया है। कहा जाता है कि हर की पैड़ी पर स्थित ब्रह्मकुंड का घाट ब्रह्मकुंड न होकर प्राचीन समय का छत्रि स्थल था। यहीं पर राजा मानसिंह की अस्थियां विसर्जित की गयी थी।
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Ganga Ghat मंदिर का महत्व
हर की पौड़ी पर स्थित कुछ गंगा घाट का विशेष महत्त्व है जैसे –
1)विष्णु घाट – हर की पौड़ी पर स्थित विष्णु घाट की अपनी महत्वता है। इस गंगा घाट पर यहां भगवान विष्णु का मंदिर निर्मित है। कहा जाता है कि इस घाट पर गंगा स्नान करने मात्रा से ही मनोकामना पूर्ण होती है। इस घाट पर स्नान करते हुए भगवान विष्णु का जाप करने का विशेष महत्त्व है।
2)ब्रह्मकुंड घाट – ब्रह्मकुंड घाट का उल्लेख धार्मिक ग्रंथों में भी मिलता है। बताया जाता है कि अमृत की कुछ बूंदें इसी ब्रम्ह कुंड में गिरी थी। इस कारण इस कुंड का बहुत महत्त्व है। इस घाट पर गंगा स्नान करने से सभी दुखों से मुक्ति मिलती है।
3)गऊ घाट – हर की पौड़ी पर स्थित गऊ घाट भी महत्वपूर्ण है। इस घाट पर बहुत सी गाय देखने को मिलती है। यहाँ स्नान करने के बाद उन्हें चारा, खाना आदि दान देने का महत्त्व है। हिंदू धर्म में अस्थि विसर्जित के उपरांत मुंडन संस्कार और गऊ दान का विशेष महत्व माना गया है। गाय को चारा देने ,रोटी खिलाने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है । इस कारण इस घाट पर बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ मिलती है।
4)बिरला घाट – बिरला घाट का भी अपना विशेष महत्व है। बिरला घाट की मान्यता है कि इसके धरातल में हनुमान जी की प्रतिमा स्थित है। इस घाट पर गंगा स्नान करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। बिरला घाट को “हनुमान घाट” भी कहा जाता है। ऐसा भी कहा जाता है कि इसी घाट पर पांडव रुके थे।
5)नाई घाट – हर की पौड़ी के इस घाट पर मुंडन संस्कार किया जाता है। मृतक की अस्थि विसर्जन के बाद परिवार के सदस्यों का मुंडन संस्कार यहीं किया जाता है। इस घाट की ऐसी मान्यता है कि मुंडन संस्कार कराने के बाद यहाँ गंगा स्नान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
6)कुशावर्त घाट – हर की पौड़ी का यह घाट विश्व विख्यात है। धार्मिक ग्रंथों में इस घाट का भी वर्णन किया गया है। कहा जाता है कि यहाँ पर भगवान दत्तात्रेय की तपोस्थली है। इस कारण यहाँ पर भगवान दत्तात्रेय का मंदिर भी है। इस घाट पर पूर्वजों की आत्मा शांति हेतु क्रियाकर्म किया जाता है।
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7)नीलेश्वर घाट – धार्मिक ग्रंथों में नीलेश्वर घाट का वर्णन भी मिलता है। ऐसा माना जाता है कि इस घाट पर गंगा स्नान करने से पुण्य प्राप्त होता है।
8)बिल्केश्वर घाट – बिल्केश्वर घाट पर गंगा स्नान करने का बहुत महत्त्व है। यहाँ स्नान करने से सुख समृद्धि प्राप्त होती है। महाकुंभ और स्नान पर्वों पर यहाँ भारी संख्या में लोग आते है।
9)सती घाट – धार्मिक ग्रंथों में वर्णित सती घाट पर जिस भी व्यक्ति की कम उम्र में मृत्यु हो जाती थी , उसकी पत्नी भी साथ में दाह संस्कार करती थी। उनकी स्मृति में इस घाट पर छोटे छोटे मंदिर बनाये गए है। दूर दूर से लोग इस घाट पर अस्थि विसर्जित करने आते है। इस कारण इस घाट को ‘अस्थि प्रवाह घाट’ के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ पर अस्थि विसर्जन के बाद गंगा स्नान करने से पितरों को शांति प्रदान होती है।
मंदिर की वास्तुकला
गंगा घाट की वास्तुकला की बात की जाए तो यह घाट गंगा नदी के किनारे बने हुए है। प्रत्येक घाट पर गंगा नदी में स्नान करने के लिए कुछ दूरी तक सीढ़ियां बनाई गयी हैं। यहाँ पर जाकर आसानी से स्नान किया जा सकता है। प्रत्येक घाट पर मंदिर भी बने हुए जहाँ पर गंगा स्नान करने के बाद पूजा अर्चना की जा सकती है। घाट का सुन्दर दृश्य सुबह और शाम के समय बहुत ही मनोरम होता है।
गंगा घाट मंदिर का समय
गंगा घाट का समय
12:00 AM – 12:00 AM
मंदिर का प्रसाद
गंगा घाट पर प्रसाद के रूप में दीपक प्रज्वलित किया जाता है। साथ ही गंगा मैया को पुष्प भी अर्पित किये जाते है।