
यह एक दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर है, जो एक सिद्धपीठ है।
देवभूमि उत्तराखंड का हरिद्वार जिला चार धाम यात्रा का प्रवेश द्वार है। हरिद्वार को प्रभु हरि का द्वार कहा जाता है। यहां के ज्वालापुर में गंगा तट किनारे स्थित है अवधूत हनुमान मंदिर। यह एक दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर है, जो एक सिद्धपीठ है। इसे बाबा हीरादास हनुमान मंदिर या अवधूत मंडल आश्रम के नाम से भी जानते हैं। इस आश्रम में भक्तों को रहने व खाने की सुविधा मिलती है।
हर मंगलवार को यहां विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया जाता है। हरिद्वार आने वाले भक्त यहां दर्शन करना नहीं भूलते। मंदिर में बजरंगबली के अलावा राम दरबार, शंकर-पार्वती, गणेश जी, मां दुर्गा सहित अन्य देवी-देवताओं की मूर्ति स्थापित है। सबसे खास बात है कि राम दरबार में नेपाल की गंडक नदी से लाए गए दिव्य शालीग्राम पत्थरों के भी दर्शन होते हैं। आपको बता दें कि ऐसे ही शालीग्राम पत्थरों से अयोध्या में प्रभु श्रीराम मंदिर में मूर्तियों का निर्माण किया जा रहा है।
अवधूत हनुमान मंदिर का इतिहास
यह मंदिर रामानंदी निराकारी वैष्णव संप्रदाय से संबंधित है। इस संप्रदाय की स्थापना स्वर्गीय श्री आचार्य बाबा सरयूदासजी महाराज ने करीब 200 साल पहले की थी। मंदिर के नाम में अवधूत का अर्थ होता है कि जिसको घर या बाहर किसी से कोई मतलब नहीं होता, जो भगवान की भक्ति में लीन रहता है। कुछ ऐसे ही थे मूल रूप से पटियाला के रहने वाले बाबा सरयूदासजी। ये एक महान और आध्यात्मिक संत थे। बताया जाता है एक बार पटियाला के राजा को संतान नहीं हो रही थी।
इसको लेकर राजा-रानी सहित पूरी प्रजा दुखी थी। बाबा सरयूदासजी के आशीर्वाद से राजा को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई, जिसके बाद से बाबा की ख्याति और फैल गई। हरिद्वार में बाबा को उनके भक्तों ने ज्वालापुर गांव में गंगा नदी के तट पर एक जमीन दान में दी थी। बताया जाता है कि इसी जमीन पर सरयूदासजी के आदेश पर उनके अनुयायी बाबा हीरादास जी ने बसंत-पंचमी, दिनांक 13-04-1830 को यहां हनुमान मंदिर की नींव रखी। मंदिर में स्वामी हीरादास की मूर्ति भी लगी है।
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अवधूत हनुमान मंदिर का महत्व
अवधूत हनुमान मंदिर में आने वाले भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है। इसी वजह से इस मंदिर को कुछ भक्त मनकामेश्वर भी कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां दर्शन करने से सभी प्रकार के रोग ठीक हो जाते हैं। महिलाएं संतान प्राप्ति की कामना लेकर इस मंदिर में आती हैं।
अवधूत हनुमान मंदिर की वास्तुकला
अवधूत हनुमान मंदिर काफी सुंदर तरीके से बनाया गया है। इसमें प्रवेश करते ही यहां का दृश्य किसी का भी मन मोह लेता है। मुख्य द्वार पर सबसे ऊपर विष्णु भगवान की प्रतिमा लगाई गई है। मंदिर में मुख्य रूप से हनुमान जी की पूजा अर्चना की जाती है। यहां हनुमानजी की एक हाथ में पर्वत लिए विशाल मूर्ति स्थापित है। इसके निर्माण की कहानी बहुत रोचक है। बताया जाता है कि मूर्ति तैयार करते समय लाखों लोगों ने कागज पर 11.11 करोड़ बार राम-नाम मंत्र लिखा था, जिसे गंगाजी के पवित्र जल में मिला दिया गया।
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इसके बाद सीमेंट व रेत में गंगाजी के इसी पवित्र जल को मिलाकर लेप तैयार किय गया, जिसका उपयोग हनुमानजी की विशाल मूर्ति तैयार करने में किया गया। अवधूत हनुमान मंदिर में श्रद्धालुओं के रहने के लिए एक आश्रम है। इसके अलावा एक गौशाला भी हैं, जहां बड़ी अच्छे तरीके से गायों की देखरेख व सेवा की जाती है। अवधूत मंडल आश्रम जरूरतमंद व गरीब लोगों के लिए एक धर्मार्थ अस्पताल भी चलाता है। मंदिर परिसर में समय समय पर कथा व सत्संग का आयोजन भी होता रहता है। मंदिर परिसर में सत्यदेव पुरम कथा स्थल बना है।
अवधूत हनुमान मंदिर का समय
मंदिर खुलने का समय
06:00 AM – 10:00 PM
सुबह आरती का समय
06:00 AM – 06:30 AM
शाम को आरती का समय
06:30 PM – 07:00 PM
मंदिर का प्रसाद
अवधूत हनुमान मंदिर मेंं नारियल, बेसन के लड्डू, दूध के पेड़े, फल, फूल आदि का प्रसाद चढ़ाया जाता है।