
महेश नवमी क्या है? (What is Mahesh Navami)
why celebrated mahesh navami:महेश नवमी (Mahesh Navami), ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर मनाया जाने वाला पर्व, महेश्वरी समुदाय के लिए महत्वपूर्ण है। यह भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा का दिन है और समुदाय की उत्पत्ति को चिन्हित करता है। इस दिन विशेष प्रार्थनाएं और अनुष्ठान होते हैं, और महेश्वरी समुदाय के सदस्य “बाबा की झांकी” भी करते हैं।
महेश नवमी माहेश्वरी समाज का प्रमुख पर्व है। ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को यह पर्व मनाया जाता है। माहेश्वरी समाज की उत्पति भगवान शिव के वरदान से इसी दिन हुई। महेश नवमी के दिन देवाधिदेव शिव व जगतजननी मां पार्वती की आराधना की जाती है। यहां पढ़ें महेश नवमी की कथा-
कथा : एक खडगलसेन राजा थे। प्रजा राजा से प्रसन्न थी। राजा व प्रजा धर्म के कार्यों में संलग्न थे, पर राजा को कोई संतान नहीं होने के कारण राजा दु:खी रहते थे। राजा ने पुत्र प्राप्ति की इच्छा से कामेष्टि यज्ञ करवाया। why celebrated mahesh navami ऋषियों-मुनियों ने राजा को वीर व पराक्रमी पुत्र होने का आशीर्वाद दिया, लेकिन साथ में यह भी कहा 20 वर्ष तक उसे उत्तर दिशा में जाने से रोकना। नौवें माह प्रभु कृपा से पुत्र उत्पन्न हुआ। राजा ने धूमधाम से नामकरण संस्कार करवाया और उस पुत्र का नाम सुजान कंवर रखा। वह वीर, तेजस्वी व समस्त विद्याओं में शीघ्र ही निपुण हो गया।
why celebrated mahesh navami एक दिन एक जैन मुनि उस गांव में आए। उनके धर्मोपदेश से कुंवर सुजान बहुत प्रभावित हुए। why celebrated mahesh navami उन्होंने जैन धर्म की दीक्षा ग्रहण कर ली और प्रवास के माध्यम से जैन धर्म का प्रचार-प्रसार करने लगे। धीरे-धीरे लोगों की जैन धर्म में आस्था बढ़ने लगी। स्थान-स्थान पर जैन मंदिरों का निर्माण होने लगा।
एक दिन राजकुमार शिकार खेलने वन में गए और अचानक ही राजकुमार उत्तर दिशा की ओर जाने लगे। why celebrated mahesh navami सैनिकों के मना करने पर भी वे नहीं माने। उत्तर दिशा में सूर्य कुंड के पास ऋषि यज्ञ कर रहे थे। वेद ध्वनि से वातावरण गुंजित हो रहा था। यह देख राजकुमार क्रोधित हुए और बोले- ‘मुझे अंधरे में रखकर उत्तर दिशा में नहीं आने दिया’ और उन्होंने सभी सैनिकों को भेजकर यज्ञ में विघ्न उत्पन्न किया। इस कारण ऋषियों ने क्रोधित होकर उनको श्राप दिया और वे सब पत्थरवत हो गए।
राजा ने यह सुनते ही प्राण त्याग दिए। उनकी रानियां सती हो गईं। why celebrated mahesh navami राजकुमार सुजान की पत्नी चन्द्रावती सभी सैनिकों की पत्नियों को लेकर ऋषियों के पास गईं और क्षमा-याचना करने लगीं। ऋषियों ने कहा कि हमारा श्राप विफल नहीं हो सकता, पर भगवान भोलेनाथ व मां पार्वती की आराधना करो।
why celebrated mahesh navami सभी ने सच्चे मन से भगवान की प्रार्थना की और भगवान महेश व मां पार्वती ने अखंड सौभाग्यवती व पुत्रवती होने का आशीर्वाद दिया। चन्द्रावती ने सारा वृत्तांत बताया और सबने मिलकर 72 सैनिकों को जीवित करने की प्रार्थना की। महेश भगवान पत्नियों की पूजा से प्रसन्न हुए और सबको जीवनदान दिया।
why celebrated mahesh navami भगवान शंकर की आज्ञा से ही इस समाज के पूर्वजों ने क्षत्रिय कर्म छोड़कर वैश्य धर्म को अपनाया। why celebrated mahesh navami समस्त माहेश्वरी समाज इस दिन श्रद्धा व भक्ति से भगवान शिव व मां पार्वती की पूजा-अर्चना करते हैं। इसलिए आज भी ‘माहेश्वरी समाज’ के नाम से इसे जाना जाता है।
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महेश नवमी के फायदे (Mahesh Navami Benefits)
1.महेश नवमी (Mahesh Navami) हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है।
2.इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करने से सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
3.महेश नवमी के दिन शिवलिंग पर जल, दूध, भांग और बेलपत्र चढ़ाने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और बीमारियों से मुक्ति मिलती है।
3.इस दिन 21 बेलपत्र पर ‘ॐ’ लिखकर चढ़ाने से इच्छित फल प्राप्त होता है।
4.महेश नवमी का व्रत करने से शिव-पार्वती की कृपा प्राप्त होती है और घर में सुख-शांति बनी रहती है।
5.इस दिन दान-पुण्य करने से भी पुण्य फल मिलता है।
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महेश नवमी व्रत (Mahesh Navami Vrat) को मनाने के प्रमुख नियम निम्नलिखित हैं |
प्रातः स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें। भगवान शिव और माता पार्वती का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
निकटतम शिव मंदिर जाकर भगवान शिव को दूध, फूल, बेल पत्र अर्पित करें और ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें।
व्रत के दौरान एक समय भोजन करें। भोजन में फलाहार या सात्विक आहार लें। प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा आदि का सेवन न करें।
दिन भर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करें। शिव चालीसा, शिव पुराण आदि का पाठ करें।
महेश नवमी की कथा सुनें। महेश नवमी की व्रत कथा सुनने से आपको भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त होगी।
सायंकाल शिव मंदिर जाकर महाआरती में शामिल हों। शिव जी की वंदना का गायन करें।
रात्रि में जागरण करें। भगवान शिव के गुणों का स्मरण करते हुए भजन-कीर्तन करें।
अगले दिन प्रातः स्नान के बाद व्रत का पारण करें। ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा दें।
महेश नवमी (Mahesh Navami) के दिन भगवान शिव (Lord Shiva) और माता पार्वती (Goddess Parvati) की विधिवत पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यह व्रत विशेष रूप से माहेश्वरी समाज के लिए महत्वपूर्ण है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव का आविर्भाव हुआ था, इसलिए इसे महाशिवजयंती भी कहा जाता है।