
Vat Savitri 2025 in UP:इस साल 26 मई 2025 को वट सावित्री व्रत रखा जाएगा। आप पहली बार वट सावित्री व्रत रखने वाली हैं तो आपको वट सावित्री व्रत के पूजन सामग्री, पूजा मुहूर्त, कथा, पूजन की विधि आदि के बारे में सही से जानना चाहिए. इसके बारे में केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र से जानते हैं विस्तार से.
Vat Savitri Vrat 2025: वट सावित्री हिंदू धर्म का प्रमुख त्योहार है, जिसे हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन मुख्य रूप से बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। Vat Savitri 2025 in UP इसके अलावा सुहागिनें पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और तरक्की के लिए निर्जला उपावस भी रखती है। मान्यता है कि इसी दिन देवी सावित्री ने अपनी कठोर तपस्या से पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस ले लिए थे। इसलिए इस तिथि पर उनकी पूजा और त्याग का स्मरण किया जाता है।
यदि वट सावित्री के दिन सच्चे भाव से वट वृक्ष की उपासना की जाए, तो वैवाहिक जीवन सुखमय और रिश्तों में प्रेम बढ़ता है। भारत में हर साल इस व्रत को बड़े प्रेम और उल्लास के साथ मनाया जाता है। Vat Savitri 2025 in UP हालांकि इसकी खास रौनक उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में देखने को मिलती है। यहां सभी महिलाएं एकजुट होकर वट वृक्ष की पूजा करते हुए कथा सुनती हैं। Vat Savitri 2025 in UP इसे बड़मावस, बरगदाही और वट अमावस्या भी कहते हैं। इस साल 26 मई 2025 को वट सावित्री व्रत रखा जाएगा। ऐसे में आइए इस दिन की पूजा विधि और सामग्री के बारे में विस्तार से जानते हैं।
Vat Savitri 2025 in UP Vrat ki Puja Samagri List वट सावित्री व्रत की पूजा सामग्री लिस्ट
1. रक्षा सूत्र, कच्चा सूत,
2. बरगद का फल, बांस का बना पंखा,
3. कुमकुम, सिंदूर, फल, फूल, रोली, चंदन
4. अक्षत्, दीपक, गंध, इत्र, धूप
5. सुहाग सामग्री, सवा मीटर कपड़ा, बताशा, पान, सुपारी
6. सत्यवान, देवी सावित्री की मूर्ति
7. वट सावित्री व्रत कथा और पूजा विधि की पुस्तक
8. पानी से भरा कलश, नारियल, मिठाई, मखाना आदि
9. घर पर बने पकवान, भींगा चना, मूंगफली, पूड़ी, गुड़,
10. एक वट वृक्ष
वट सावित्री व्रत की पूजा विधि Vat Savitri Vrat Ki Puja Vidhi
वट सावित्री के दिन महिलाएं सुबह स्नान करें।
फिर साफ लाल या पीले रंग के वस्त्र पहनें। इस दौरान पूरा सोलह श्रृंगार अवश्य करें।
अब वट वृक्ष के पास सावित्री और सत्यवान की तस्वीर को स्थापित कर दें।
इसके बाद वृक्ष की जड़ में जल अर्पित करें।
कुछ ताजा फूल चढ़ाएं।
अक्षत, भीगा चना व गुड़ अर्पित करें।
अब आप वट के वृक्ष पर सूत लपेटते हुए सात बार परिक्रमा करें।
परिक्रमा पूरी करने के बाद वृक्ष का प्रणाम करें।
अब हाथ में चने लेकर वट सावित्री की कथा पढ़ें।
अंत में फल और वस्त्रों का दान करें और पूजा में हुई भूल की क्षमा मांगे।
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वट सावित्री व्रत कथा Vat Savitri Vrat Katha
स्कंद पुराण में वट सावित्री व्रत की कथा के बारे में वर्णन मिलता है, Vat Savitri 2025 in UP जिसमें देवी सावित्री के पतिव्रता धर्म के बारे में बताया गया है. देवी सावित्री का विवाह सत्यवान से हुआ था, लेकिन वे अल्पायु थे. एक बार नारद जी ने इसके बारे में देवी सावित्री को बता दिया और उनकी मृत्यु का दिन भी बता दिया.
सावित्री अपने पति के जीवन की रक्षा के लिए व्रत करने लगती हैं. वे अपने पति, सास और सुसर के साथ जंगल में रहती थीं. जिस दिन सत्यवान के प्राण निकलने वाले थे, उस दिन वे जंगल में लकड़ी काटने गए थे, तो उनके साथ सावित्री भी गईं.
उस दिन सत्यवान के सिर में तेज दर्द होने लगा और वे वहीं पर बरगद के पेड़ के नीचे लेट गए. Vat Savitri 2025 in UP देव सावित्री ने पति के सिर को गोद में रख लिया. कुछ समय में यमराज वहां आए और सत्यवान के प्राण हरकर ले जाने लगे. उनके पीछे-पीछे सावित्री भी चल दीं.
यमराज ने उनको समझाया कि सत्यवान अल्पायु थे, इस वजह से उनका समय आ गया था. Vat Savitri 2025 in UP तुम वापस घर चली जाओ. पृथ्वी पर लौट जाओ. लेकिन सावित्री नहीं मानीं. उनके पतिव्रता धर्म से खुश होकर यमराज ने सत्यवान के प्राण लौटा दिए, जिससे सत्यवान फिर से जीवित हो उठे. ज्येष्ठ अमावस्य तिथि को यह घटनाक्रम हुआ था और अपने पतिव्रता धर्म के लिए देवी सावित्री प्रसिद्ध हो गईं.
उसके बाद से ज्येष्ठ अमावस्य को ज्येष्ठ देवी सावित्री की पूजा की जाने लगी. वट वृक्ष में त्रिदेव का वास होता है और सत्यवान को वट वृक्ष के नीचे ही जीवनदान मिला था. इस वजह से इस व्रत में वट वृक्ष, सत्यवान और देवी सावित्री की पूजा करते हैं.