Yugal Kishore Aarti:श्री युगल किशोर आरती के लाभ
Yugal Kishore Aarti:श्री युगल किशोर की आरती का गायन या सुनना भक्तों के जीवन में अनेक लाभकारी प्रभाव डालता है। माना जाता है कि श्री युगल किशोर की कृपा से भक्तों के जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और सफलता आती है।
Yugal Kishore Aarti:श्री युगल किशोर आरती के कुछ प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं:
- आध्यात्मिक उन्नति: श्री युगल किशोर की आरती करने से व्यक्ति का आध्यात्मिक विकास होता है। इससे मन शांत होता है और आत्मविश्वास बढ़ता है।
- संकटों से मुक्ति: श्री युगल किशोर को संकटमोचन भी कहा जाता है। उनकी आरती करने से जीवन में आने वाली सभी समस्याओं का समाधान होता है।
- सुख-शांति: श्री युगल किशोर को गृहस्थ जीवन की देवी माना जाता है। उनकी आरती करने से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
- समृद्धि: श्री युगल किशोर की कृपा से भक्तों के जीवन में धन-धान्य की वृद्धि होती है।
- सौंदर्य: श्री युगल किशोर को सौंदर्य की देवी भी कहा जाता है। उनकी आरती करने से व्यक्ति का व्यक्तित्व आकर्षक बनता है।
- विवाह: कुंवारे लड़के-लड़कियों के विवाह के लिए श्री युगल किशोर की पूजा की जाती है।
- संतान प्राप्ति: संतान प्राप्ति के लिए भी श्री युगल किशोर की पूजा की जाती है।
- रोग मुक्ति: श्री युगल किशोर की कृपा से रोगों से मुक्ति मिलती है।
कुल मिलाकर, श्री युगल किशोर की आरती करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं।
यहां कुछ अन्य लाभ भी हो सकते हैं
- शिक्षा में सफलता: विद्यार्थियों को शिक्षा में सफलता प्राप्त करने के लिए श्री युगल किशोर की पूजा करनी चाहिए।
- कला और संगीत: कलाकारों और संगीतकारों को अपनी कला में निपुणता प्राप्त करने के लिए श्री युगल किशोर की पूजा करनी चाहिए।
- व्यवसाय में सफलता: व्यवसायियों को अपने व्यवसाय में सफलता प्राप्त करने के लिए श्री युगल किशोर की पूजा करनी चाहिए।
ध्यान रखें कि ये लाभ व्यक्ति की आस्था और भक्ति पर निर्भर करते हैं। नियमित रूप से श्री युगल किशोर की पूजा करने से इन लाभों को प्राप्त करने की संभावना बढ़ जाती है।
Yugal Kishore Aarti:श्री युगल किशोर की कृपा से आपका जीवन सुखमय हो!
Shri Yugal Kishore Aarti:युगलकिशोर आरती
आरती युगलकिशोर की कीजै ।
तन मन धन न्योछावर कीजै ॥
गौरश्याम मुख निरखन लीजै ।
हरि का रूप नयन भरि पीजै ॥
रवि शशि कोटि बदन की शोभा ।
ताहि निरखि मेरो मन लोभा ॥
ओढ़े नील पीत पट सारी ।
कुंजबिहारी गिरिवरधारी ॥
फूलन सेज फूल की माला ।
रत्न सिंहासन बैठे नंदलाला ॥
कंचन थार कपूर की बाती ।
हरि आए निर्मल भई छाती ॥
श्री पुरुषोत्तम गिरिवरधारी ।
आरती करें सकल नर नारी ॥
नंदनंदन बृजभान किशोरी ।
परमानंद स्वामी अविचल जोरी ॥