Rani Sati Dadi Ji Arti:श्री राणी सती दादी जी की आरती के लाभ
Rani Sati Dadi Ji Arti:श्री राणी सती दादी जी की आरती का गायन मात्र ही मन को शांति और आत्मविश्वास प्रदान करता है। यह माना जाता है कि उनकी कृपा से भक्तों के सभी संकट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
आइए जानते हैं Rani Sati Dadi Ji Arti आरती के कुछ प्रमुख लाभ:
- सकारात्मक ऊर्जा का संचार: आरती के दौरान सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है, जो मन को शांत और प्रसन्न रखता है।
- संकटों का निवारण: माना जाता है कि दादी जी की कृपा से भक्तों के सभी संकट दूर होते हैं और जीवन में सुख-शांति आती है।
- मनोकामनाओं की पूर्ति: दादी जी की भक्ति करने से मनोकामनाएं पूरी होने की मान्यता है।
- आत्मविश्वास में वृद्धि: दादी जी की कृपा से भक्तों में आत्मविश्वास बढ़ता है और वे जीवन की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होते हैं।
- पारिवारिक सुख-शांति: दादी जी की कृपा से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
- आध्यात्मिक विकास: दादी जी की भक्ति आध्यात्मिक विकास में सहायक होती है और भक्तों को ईश्वर के करीब लाती है।
Shri Rani Sati Dadi Ji Arti:कब करें आरती:
- प्रतिदिन सुबह या शाम को
- किसी विशेष अवसर पर
- संकट के समय
कैसे करें आरती:
- एक साफ स्थान पर दीपक जलाकर आरती करें।
- मन में दादी जी का ध्यान करें।
- आरती के दौरान उनकी स्तुति करें।
- शुद्ध भाव से आरती करें।
ध्यान रखें:
- आरती करते समय मन को शांत रखें।
- किसी भी प्रकार की नकारात्मक भावना से दूर रहें।
- नियमित रूप से आरती करने से अधिक लाभ मिलता है।
अन्य लाभ:
- कुछ लोग मानते हैं कि दादी जी की आरती करने से रोग दूर होते हैं।
- कुछ लोग मानते हैं कि दादी जी की आरती करने से व्यापार में वृद्धि होती है।
निष्कर्ष:
Shri Rani Sati Dadi Ji Arti:श्री राणी सती दादी जी की आरती का गायन एक पवित्र अनुष्ठान है जो भक्तों को शांति, आत्मविश्वास और आध्यात्मिक विकास प्रदान करता है।
Shri Rani Sati Dadi Ji Arti:श्री राणी सती दादी जी
ॐ जय श्री राणी सती माता,
मैया जय राणी सती माता ।
अपने भक्त जनन की,
दूर करन विपत्ती ॥
ॐ जय श्री राणी सती माता,
मैया जय राणी सती माता ॥
अवनि अननंतर ज्योति अखंडीत,
मंडितचहुँक कुंभा ।
दुर्जन दलन खडग की,
विद्युतसम प्रतिभा ॥
ॐ जय श्री राणी सती माता,
मैया जय राणी सती माता ॥
मरकत मणि मंदिर अतिमंजुल,
शोभा लखि न पडे ।
ललित ध्वजा चहुँ ओरे,
कंचन कलश धरे ॥
ॐ जय श्री राणी सती माता,
मैया जय राणी सती माता ॥
घंटा घनन घडावल बाजे,
शंख मृदुग घूरे ।
किन्नर गायन करते,
वेद ध्वनि उचरे ॥
ॐ जय श्री राणी सती माता,
मैया जय राणी सती माता ॥
सप्त मात्रिका करे आरती,
सुरगण ध्यान धरे ।
विविध प्रकार के व्यजंन,
श्रीफल भेट धरे ॥
ॐ जय श्री राणी सती माता,
मैया जय राणी सती माता ॥
संकट विकट विदारनि,
नाशनि हो कुमति ।
सेवक जन ह्रदय पटले,
मृदूल करन सुमति ॥
ॐ जय श्री राणी सती माता,
मैया जय राणी सती माता ॥
अमल कमल दल लोचनी,
मोचनी त्रय तापा ।
त्रिलोक चंद्र मैया तेरी,
शरण गहुँ माता ॥
ॐ जय श्री राणी सती माता,
मैया जय राणी सती माता ॥
या मैया जी की आरती,
प्रतिदिन जो कोई गाता ।
सदन सिद्ध नव निध फल,
मनवांछित पावे ॥
ॐ जय श्री राणी सती माता,
मैया जय राणी सती माता ।
अपने भक्त जनन की,
दूर करन विपत्ती ॥