Ganesh Shendur Laal Chadhayo Aarti:श्री गणेश – शेंदुर लाल चढ़ायो आरती के फायदे
Ganesh Shendur Laal Chadhayo Aarti:श्री गणेश की आरती विशेषकर “शेंदुर लाल चढ़ायो” वाला मंत्र बहुत ही प्रसिद्ध और भक्तों द्वारा प्रिय है। इस आरती के गायन से व्यक्ति को कई तरह के लाभ प्राप्त होते हैं।
यहां कुछ प्रमुख लाभ दिए गए हैं
- विघ्नहर्ता का आशीर्वाद: Ganesh Shendur Laal Chadhayo Aarti श्री गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है। उनकी आरती करने से जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर होती हैं और कार्य में सफलता मिलती है।
- मन की शांति: गणेश जी की आरती करने से मन शांत होता है और तनाव कम होता है।
- बुद्धि का विकास: गणेश जी बुद्धि के देवता हैं। उनकी आरती करने से बुद्धि का विकास होता है और ज्ञान प्राप्त होता है।
- सकारात्मक ऊर्जा: गणेश जी की उपासना से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
- धन लाभ: गणेश जी को धन का देवता भी माना जाता है। उनकी आरती करने से धन लाभ होता है और आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
- सुख-समृद्धि: गणेश जी की कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
- आत्मविश्वास: गणेश जी की उपासना करने से आत्मविश्वास बढ़ता है और व्यक्ति अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम होता है।
“शेंदुर लाल चढ़ायो” मंत्र का विशेष महत्व
- शेंदुर: शेंदुर को शुभ माना जाता है और इसे गणेश जी को प्रिय है। शेंदुर चढ़ाने से गणेश जी प्रसन्न होते हैं।
- लाल रंग: लाल रंग भी गणेश जी को प्रिय है। यह रंग उत्साह और ऊर्जा का प्रतीक है।
कैसे करें आरती
- शुद्ध मन से: आरती करते समय मन को शुद्ध रखें और भगवान में विश्वास रखें।
- नियमितता: नियमित रूप से आरती करने से अधिक लाभ मिलता है।
- समूह में: परिवार या मित्रों के साथ मिलकर आरती करने से और भी अधिक आनंद मिलता है।
निष्कर्ष
श्री गणेश की आरती, विशेषकर “शेंदुर लाल चढ़ायो” वाला मंत्र, भक्तों के लिए एक शक्तिशाली साधन है। यह न केवल आध्यात्मिक लाभ प्रदान करता है बल्कि व्यक्ति के जीवन में समृद्धि और सफलता लाने में भी मदद करता है।
क्या आप गणेश जी के बारे में और जानना चाहते हैं?
यहां कुछ अन्य प्रश्न पूछे जा सकते हैं:
- गणेश चतुर्थी का महत्व क्या है?
- गणेश जी के विभिन्न रूप कौन-कौन से हैं?
- गणेश मंत्र कौन-कौन से हैं?
Shri Ganesh Shendur Laal Chadhayo Aarti:श्री गणेश – शेंदुर लाल चढ़ायो आरती
शेंदुर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुखको ।
दोंदिल लाल बिराजे सुत गौरिहरको ।
हाथ लिए गुडलद्दु सांई सुरवरको ।
महिमा कहे न जाय लागत हूं पादको ॥
जय देव जय देव..
जय देव जय देव,
जय जय श्री गणराज
विद्या सुखदाता
धन्य तुम्हारा दर्शन
मेरा मन रमता,
जय देव जय देव ॥
अष्टौ सिद्धि दासी संकटको बैरि ।
विघ्नविनाशन मंगल मूरत अधिकारी ।
कोटीसूरजप्रकाश ऐबी छबि तेरी ।
गंडस्थलमदमस्तक झूले शशिबिहारि ॥
जय देव जय देव..
जय देव जय देव,
जय जय श्री गणराज
विद्या सुखदाता
धन्य तुम्हारा दर्शन
मेरा मन रमता,
जय देव जय देव ॥
भावभगत से कोई शरणागत आवे ।
संतत संपत सबही भरपूर पावे ।
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे ।
गोसावीनंदन निशिदिन गुन गावे ॥
जय देव जय देव,
जय जय श्री गणराज
विद्या सुखदाता
धन्य तुम्हारा दर्शन
मेरा मन रमता,
जय देव जय देव ॥