Balaji Ki Aarti:बालाजी की आरती का नियमित पाठ करने से अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। बालाजी भगवान हनुमान का एक लोकप्रिय रूप हैं और उनकी भक्ति से जीवन में कई सकारात्मक परिवर्तन आ सकते हैं। आइए जानते हैं बालाजी की आरती के कुछ प्रमुख लाभ:
- मन की शांति: बालाजी की आरती का पाठ मन को शांत करता है और तनाव को कम करता है। हनुमान जी के भक्ति में लीन होने से चिंता और बेचैनी दूर होती है।
- आध्यात्मिक उन्नति: यह आरती भक्तों को आध्यात्मिक मार्ग पर आगे बढ़ने में मदद करती है। हनुमान जी के प्रति समर्पण और भक्ति भाव बढ़ने से आध्यात्मिक जागृति होती है।
- मनोकामनाओं की पूर्ति: माना जाता है कि हनुमान जी अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। बालाजी की आरती का पाठ करने से मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती हैं।
- सकारात्मक ऊर्जा: बालाजी की आरती के दौरान सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है जो वातावरण को शुद्ध करता है Balaji Ki Aarti और व्यक्ति को भी सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है।
- कष्टों का निवारण: यह आरती विभिन्न प्रकार के कष्टों और समस्याओं से मुक्ति दिलाने में सहायक होती है।
- आत्मविश्वास में वृद्धि: बालाजी की आरती का नियमित पाठ आत्मविश्वास को बढ़ाता है और व्यक्ति को सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने में मदद करता है।
Balaji Ki Aarti:बालाजी की आरती का पाठ कैसे करें
- शुद्ध मन से: आरती का पाठ करते समय मन को शुद्ध रखना चाहिए और हनुमान जी में विश्वास रखना चाहिए।
- नियमितता: नियमित रूप से आरती का पाठ करने से अधिक लाभ मिलता है।
- भावनाओं के साथ: आरती का पाठ करते समय भावनाओं के साथ गाना चाहिए।
- ध्यान केंद्रित करके: पाठ के दौरान ध्यान केंद्रित करके हनुमान जी का ध्यान करना चाहिए।
Balaji Ki Aarti:कहां से करें आरती
Balaji Ki Aarti:आप हनुमान मंदिर में जाकर आरती में शामिल हो सकते हैं या घर पर भी आरती का पाठ कर सकते हैं।
ध्यान रखें
- आरती का पाठ केवल एक साधन है, भक्ति का सच्चा मार्ग तभी मिलता है जब हम अपने कर्मों में सुधार करें।
- किसी भी तरह की मानसिक या शारीरिक समस्या होने पर डॉक्टर की सलाह लें।
Shri Balaji Ki Aarti:श्री बालाजी आरती
श्री हनुमान जन्मोत्सव, मंगलवार व्रत, शनिवार पूजा, बूढ़े मंगलवार और अखंड रामायण के पाठ में प्रमुखता से गाये जाने वाली आरती है
ॐ जय हनुमत वीरा,
स्वामी जय हनुमत वीरा ।
संकट मोचन स्वामी,
तुम हो रनधीरा ॥
॥ ॐ जय हनुमत वीरा..॥
पवन पुत्र अंजनी सूत,
महिमा अति भारी ।
दुःख दरिद्र मिटाओ,
संकट सब हारी ॥
॥ ॐ जय हनुमत वीरा..॥
बाल समय में तुमने,
रवि को भक्ष लियो ।
देवन स्तुति किन्ही,
तुरतहिं छोड़ दियो ॥
॥ ॐ जय हनुमत वीरा..॥
कपि सुग्रीव राम संग,
मैत्री करवाई।
अभिमानी बलि मेटयो,
कीर्ति रही छाई ॥
॥ ॐ जय हनुमत वीरा..॥
जारि लंक सिय-सुधि ले आए,
वानर हर्षाये ।
कारज कठिन सुधारे,
रघुबर मन भाये ॥
॥ ॐ जय हनुमत वीरा..॥
शक्ति लगी लक्ष्मण को,
भारी सोच भयो ।
लाय संजीवन बूटी,
दुःख सब दूर कियो ॥
॥ ॐ जय हनुमत वीरा..॥
रामहि ले अहिरावण,
जब पाताल गयो ।
ताहि मारी प्रभु लाय,
जय जयकार भयो ॥
॥ ॐ जय हनुमत वीरा..॥
राजत मेहंदीपुर में,
दर्शन सुखकारी ।
मंगल और शनिश्चर,
मेला है जारी ॥
॥ ॐ जय हनुमत वीरा..॥
श्री बालाजी की आरती,
जो कोई नर गावे ।
कहत इन्द्र हर्षित,
मनवांछित फल पावे ॥
॥ ॐ जय हनुमत वीरा..॥