Shri Badrinath Aarti:श्री बद्रीनाथजी की आरती भगवान विष्णु के एक रूप बद्रीनारायण की स्तुति में गाई जाती है। बद्रीनाथ मंदिर उत्तराखंड के चारधामों में से एक है और यह विशेष रूप से वैष्णव भक्तों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। Shri Badrinath Aarti यहाँ बद्रीनाथजी की आरती करने से मन की शांति, समृद्धि, और धर्म में रुचि का विकास होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, बद्रीनाथजी की आराधना करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
Shri Badrinath Aarti:श्री बद्रीनाथजी की आरती के लाभ
- सर्व दुखों का नाश: Shri Badrinath Aarti बद्रीनाथजी की आरती करने से जीवन के सभी दुख, कष्ट, और संकट समाप्त हो जाते हैं और भगवान की कृपा से व्यक्ति सुख और शांति का अनुभव करता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: बद्रीनाथ भगवान की आरती से भक्त का मन और आत्मा शुद्ध होती है, जिससे उसमें आध्यात्मिक जागरूकता और प्रभु के प्रति समर्पण की भावना का विकास होता है।
- मोक्ष की प्राप्ति: भगवान बद्रीनाथ की आरती करने से भक्त को मोक्ष प्राप्ति का मार्ग मिलता है। यह पवित्र आरती भक्त को पापों से मुक्ति प्रदान करती है और जीवन में धार्मिकता को बढ़ावा देती है।
- धन और संपत्ति में वृद्धि: बद्रीनाथजी की कृपा से भक्त के जीवन में आर्थिक उन्नति होती है और परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है।
- जीवन में शांति और संतोष: बद्रीनाथजी की आरती से मन को शांति मिलती है और व्यक्ति अपने जीवन में संतोष और धैर्य का अनुभव करता है।
- पारिवारिक सौहार्द: बद्रीनाथजी की Shri Badrinath Aarti आरती करने से घर-परिवार में आपसी प्रेम और सौहार्द बना रहता है, जिससे सभी सदस्यों के बीच स्नेह और सहयोग बढ़ता है।
इस आरती का श्रद्धा और भक्ति भाव से पाठ करने से बद्रीनाथ भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है, Shri Badrinath Aarti जिससे भक्त को सभी सुख, शांति, और समृद्धि मिलती है।
श्री बद्रीनाथजी की आरती की विधि
- बद्रीनाथ भगवान की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक और धूप जलाएँ।
- फूलों और मिष्ठान्न का भोग लगाएँ।
- आरती का पाठ करें और उसके बाद बद्रीनाथजी से सुख, समृद्धि, और मोक्ष की कामना करें।
बद्रीनाथजी की आरती करने से व्यक्ति की धार्मिकता में वृद्धि होती है और उसके जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति का वास होता है।
Shri Badrinath Aarti:श्री बद्रीनाथजी की आरती
पवन मंद सुगंध शीतल,
हेम मंदिर शोभितम् ।
निकट गंगा बहत निर्मल,
श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम् ॥
शेष सुमिरन करत निशदिन,
धरत ध्यान महेश्वरम् ।
वेद ब्रह्मा करत स्तुति,
श्री बद्रीनाथ विश्वम्भरम् ॥
॥ पवन मंद सुगंध शीतल…॥
शक्ति गौरी गणेश शारद,
नारद मुनि उच्चारणम् ।
जोग ध्यान अपार लीला,
श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम् ॥
॥ पवन मंद सुगंध शीतल…॥
इंद्र चंद्र कुबेर धुनि कर,
धूप दीप प्रकाशितम् ।
सिद्ध मुनिजन करत जय जय,
बद्रीनाथ विश्व्म्भरम् ॥
॥ पवन मंद सुगंध शीतल…॥
यक्ष किन्नर करत कौतुक,
ज्ञान गंधर्व प्रकाशितम् ।
श्री लक्ष्मी कमला चंवरडोल,
श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम् ॥
॥ पवन मंद सुगंध शीतल…॥
कैलाश में एक देव निरंजन,
शैल शिखर महेश्वरम् ।
राजयुधिष्ठिर करत स्तुति,
श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम् ॥
॥ पवन मंद सुगंध शीतल…॥
श्री बद्रजी के पंच रत्न,
पढ्त पाप विनाशनम् ।
कोटि तीर्थ भवेत पुण्य,
प्राप्यते फलदायकम् ॥
॥ पवन मंद सुगंध शीतल…॥
पवन मंद सुगंध शीतल,
हेम मंदिर शोभितम् ।
निकट गंगा बहत निर्मल,
श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम् ॥