Sheetla Mata Ki Aarti;शीतला माता की आरती के लाभ
Sheetla Mata Ki Aarti:शीतला माता की आरती का पाठ करने से अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। माता शीतला को रोगों की देवी माना जाता है और उनकी पूजा करने से रोगों से मुक्ति मिलती है। आइए जानते हैं शीतला माता की आरती के कुछ प्रमुख लाभ
- रोगों से मुक्ति: शीतला माता की आरती करने से चेचक, चिकनगुनिया, बुखार आदि जैसे रोगों से मुक्ति मिलती है।
- स्वास्थ्य लाभ: माता शीतला की कृपा से व्यक्ति स्वस्थ रहता है और रोगों से बचा रहता है।
- शांति और शीतलता: शीतला माता की आरती करने से मन को शांति मिलती है और वातावरण में Sheetla Mata Ki Aarti शीतलता का अनुभव होता है।
- कुदरती आपदाओं से रक्षा: माता शीतला को प्रसन्न करने से कुदरती आपदाओं जैसे सूखा, अकाल आदि से बचा जा सकता है।
- मनोकामनाओं की पूर्ति: माता शीतला भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करने के लिए जानी जाती हैं। उनकी आरती करने से मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती हैं।
- सकारात्मक ऊर्जा: माता शीतला की आरती करने से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- कष्टों का निवारण: माता शीतला की कृपा से विभिन्न प्रकार के कष्टों और समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
Sheetla Mata Ki Aarti:शीतला माता की आरती का पाठ कैसे करें
- शुद्ध मन से: आरती का पाठ करते समय मन को शुद्ध रखना चाहिए और माता शीतला में विश्वास रखना चाहिए।
- नियमितता: नियमित रूप से आरती का पाठ करने से अधिक लाभ मिलता है।
- भावनाओं के साथ: आरती का पाठ करते समय भावनाओं के साथ गाना चाहिए।
- ध्यान केंद्रित करके: पाठ के दौरान ध्यान केंद्रित करके माता शीतला का ध्यान करना चाहिए।
Sheetla Mata Ki Aarti:कहां से करें आरती
Sheetla Mata Ki Aarti:आप शीतला माता के मंदिर में जाकर आरती में शामिल हो सकते हैं या घर पर भी आरती का पाठ कर सकते हैं।
ध्यान रखें
- आरती का पाठ केवल एक साधन है, भक्ति का सच्चा मार्ग तभी मिलता है जब हम अपने कर्मों में सुधार करें।
- किसी भी तरह की मानसिक या शारीरिक समस्या होने पर डॉक्टर की सलाह लें।
शीतला माता की आरती (Sheetla Mata Ki Aarti)
जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
आदि ज्योति महारानी,
सब फल की दाता ॥
ॐ जय शीतला माता..॥
रतन सिंहासन शोभित,
श्वेत छत्र भाता ।
ऋद्धि-सिद्धि चँवर ढुलावें,
जगमग छवि छाता ॥
ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
विष्णु सेवत ठाढ़े,
सेवें शिव धाता ।
वेद पुराण वरणत,
पार नहीं पाता ॥
ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
इन्द्र मृदङ्ग बजावत,
चन्द्र वीणा हाथा ।
सूरज ताल बजावै,
नारद मुनि गाता ॥
ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
घण्टा शङ्ख शहनाई,
बाजै मन भाता ।
करै भक्तजन आरती,
लखि लखि हर्षाता ॥
ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
ब्रह्म रूप वरदानी,
तुही तीन काल ज्ञाता ।
भक्तन को सुख देती,
मातु पिता भ्राता ॥
ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
जो जन ध्यान लगावे,
प्रेम शक्ति पाता ।
सकल मनोरथ पावे,
भवनिधि तर जाता ॥
ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
रोगों से जो पीड़ित कोई,
शरण तेरी आता ।
कोढ़ी पावे निर्मल काया,
अन्ध नेत्र पाता ॥
ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
बांझ पुत्र को पावे,
दारिद्र कट जाता ।
ताको भजै जो नाहीं,
सिर धुनि पछताता ॥
ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
शीतल करती जननी,
तू ही है जग त्राता ।
उत्पत्ति व्याधि बिनाशन,
तू सब की घाता ॥
ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
दास विचित्र कर जोड़े,
सुन मेरी माता ।
भक्ति आपनी दीजै,
और न कुछ भाता ॥
जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
आदि ज्योति महारानी,
सब फल की दाता ॥
ॐ जय शीतला माता..॥