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Satyanarayan Vrat

Satyanarayan Vrat Date 2025: सत्यनारायण भगवान का व्रत पूर्णिमा के दिन रखा जाता है। जनवरी से दिसंबर तक सत्यनारायण व्रत की तिथियां। साथ में जानेंगे कैसें करें सत्यनारायण पूजा (Satyanarayan puja)

Satyanarayan Vrat
Satyanarayan Vrat

Satyanarayan Vrat 2025: भगवान सत्यनारायण श्री हरी विष्णु का ही रूप हैं। सत्यनारयण भगवान की पूजा कभी भी और किसी भी दिन कर सकते हैं। लेकिन पूर्णिमा के दिन सत्यनारयण भगवान का पूजन करना अति शुभ माना जाता है। लक्ष्मीपति श्री हरी विष्णु का यह रूप सत्य का अवतार माना गया है। भक्त इस दिन उपवास करते हैं और प्रातः काल व संध्याकाल में Satyanarayan Vrat सत्यनारयण भगवान की पूजा करते हैं। सत्यनारायण भगवान का पूजन करने से भगवान उनके समस्त कष्ट हर लेते हैं और उनको आशीर्वाद प्रदान करते हैं। यहाँ जानेगे साल 2025 में सत्यनारयण भगवान पूजा की समस्त तिथियों के बारे में। 

सत्यनारायण की कथा क्यों की जाती है, जानिए व्रत पूजा, महत्व और मंत्र

पूर्णिमा व्रत कब है? | Purnima Vrat Puja Muhurat?

सत्यनारायण व्रत कब है? – मंगलवार, 10 जून 2025 | ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा 
पूर्णिमा प्रारंभ – 10 जून 2025 11:35 AM
पूर्णिमा समाप्त – 11 जून 2025 1:13 PM
पूर्णिमा चन्द्रोदय – 6:45 PM

Satyanarayan Vrat 2025 Dates:साल 2025 में श्री सत्यनारायण पूजा की डेट

13 जनवरी 2025, सोमवार (पौष, शुक्ल पूर्णिमा)

  • पूर्णिमा प्रारम्भ -13 जनवरी, 05:03 AM
  • पूर्णिमा समाप्त – 14 जनवरी 03:56 AM

12 फरवरी 2025, बुधवार (माघ, शुक्ल पूर्णिमा)

  • पूर्णिमा प्रारम्भ – 11 फरवरी 06:55 PM
  • पूर्णिमा समाप्त – 12 फरवरी 07:22 PM

13 मार्च 2025, बृहस्पतिवार (फाल्गुन, शुक्ल पूर्णिमा)

  • पूर्णिमा प्रारम्भ – 13 मार्च 10:35 AM
  • पूर्णिमा समाप्त – 14 मार्च 12:23 PM

12 अप्रैल 2025, शनिवार (चैत्र, शुक्ल पूर्णिमा)

  • पूर्णिमा प्रारम्भ – 12 अप्रैल, 03:21 AM
  • पूर्णिमा समाप्त – 13 अप्रैल, 05:51 AM

12 मई 2025, सोमवार (वैशाख, शुक्ल पूर्णिमा)

  • पूर्णिमा प्रारम्भ -11 मई 08:01 PM
  • पूर्णिमा समाप्त – 12 मई 10:25 PM

10 जून 2025, मंगलवार (ज्येष्ठ, शुक्ल पूर्णिमा)

  • पूर्णिमा प्रारम्भ – 10 जून, 11:35 AM
  • पूर्णिमा समाप्त – 11 जून 01:13 PM

10 जुलाई 2025, बृहस्पतिवार (आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा)

  • पूर्णिमा प्रारम्भ – 10 जुलाई 01:36 AM
  • पूर्णिमा समाप्त – 11 जुलाई 02:06 AM

09 अगस्त 2025, शनिवार (श्रावण, शुक्ल पूर्णिमा)

  • पूर्णिमा प्रारम्भ -08 अगस्त, 02:12 PM
  • पूर्णिमा समाप्त – 09 अगस्त, 01:24 PM

07 सितम्बर 2025, रविवार (भाद्रपद, शुक्ल पूर्णिमा)

  • पूर्णिमा प्रारम्भ – 07 सितम्बर, 01:41 AM
  • पूर्णिमा समाप्त – 07 सितम्बर, 11:38 PM

06 अक्टूबर 2025, सोमवार (आश्विन, शुक्ल पूर्णिमा)

  • पूर्णिमा प्रारम्भ – 06 अक्टूबर, 12:23 PM
  • पूर्णिमा समाप्त – 07 अक्टूबर, 09:16 AM

05 नवम्बर 2025, बुधवार (कार्तिक, शुक्ल पूर्णिमा)

  • पूर्णिमा प्रारम्भ – 04 नवम्बर, 10:36 PM
  • पूर्णिमा समाप्त – 05 नवम्बर 06:48 PM

04 दिसम्बर 2025, बृहस्पतिवार (मार्गशीर्ष, शुक्ल पूर्णिमा)

  • पूर्णिमा प्रारम्भ – 04 दिसम्बर, 08:37 AM
  • पूर्णिमा समाप्त – 05 दिसम्बर, 04:43 AM

सत्यनारायण पूजा और व्रत का महत्व Importance of Satyanarayan Puja and fasting

सत्यनारायण पूजा और व्रत का महत्व

वैदिक ज्योतिष के अनुसार सत्यनारायण व्रत रखने से Satyanarayan Vrat भगवान विष्णु को स्वास्थ्य, समृद्धि, धन और वैभव की प्राप्ति होती है। साथ ही यह भी माना जाता है कि इस दिन व्रत करने और पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ सत्यनारायण कथा का पाठ करने से सभी संकट दूर हो जाते हैं।

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सत्यनारायण व्रत की पूजा विधि Satyanarayan Puja Vidhi

Satyanarayan Vrat शास्त्रों के अनुसार इस व्रत को करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है Satyanarayan Vrat ऐसा माना जाता है। पूजा सुबह के साथ-साथ शाम को भी की जा सकती है और शाम को सत्यनारायण पूजा करना अधिक उपयुक्त माना जाता है।

इस दिन सुबह जल्दी उठकर जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए।
इसके बाद सत्यनारायण की मूर्ति को स्थापित करें और उसके चारों ओर केले के पत्ते बांध दें।
पंचामृतम (दूध, शहद, घी/मक्खन, दही और चीनी का मिश्रण) का उपयोग देवता को साफ करने के लिए किया जाता है, Satyanarayan Vrat आमतौर पर शालिग्राम, जो महा विष्णु का दिव्य पत्थर है।
चौकी पर जल से भरा कलश रखें और देसी घी का दीपक जलाएं।
अब सत्यनारायण की पूजा और कथा करें।
भुने हुए आटे में शक्कर मिलाकर भगवान को अर्पित करें।
प्रसाद में तुलसी जरूर डालें।
पूजा के बाद प्रसाद बांटें।

पूजा एक आरती के साथ समाप्त होती है, जिसमें भगवान की छवि या देवता के चारों ओर कपूर से जलाई गई एक छोटी सी आग की परिक्रमा होती है। आरती के बाद व्रतियों को पंचामृत और प्रसाद ग्रहण करना होता है। Satyanarayan Vrat व्रती पंचामृत से व्रत तोड़ने के बाद प्रसाद ग्रहण कर सकते हैं।

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