Rohini Vrat:रोहिणी व्रत 2025 में: तिथियाँ, पूजा विधि और महत्व
Rohini Vrat:रोहिणी व्रत तिथियाँ 2025
Rohini Vrat:रोहिणी व्रत मुख्य रूप से भगवान श्रीकृष्ण और माता रोहिणी को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है, जो ज्येष्ठाओं के अनुसार समृद्धि, सुख और स्वास्थ्य के लिए किया जाता है। यह व्रत चंद्रमा की रोहिणी नक्षत्र में पड़ने वाली तिथियों पर किया जाता है। आइए जानते हैं 2025 में रोहिणी व्रत की तिथियाँ
- 13 जनवरी 2025 (सोमवार)
- 10 फरवरी 2025 (सोमवार)
- 10 मार्च 2025 (सोमवार)
- 7 अप्रैल 2025 (सोमवार)
- 4 मई 2025 (रविवार)
- 1 जून 2025 (रविवार)
- 28 जून 2025 (शनिवार)
- 25 जुलाई 2025 (शुक्रवार)
- 21 अगस्त 2025 (गुरुवार)
- 18 सितंबर 2025 (बुधवार)
- 16 अक्टूबर 2025 (गुरुवार)
- 12 नवंबर 2025 (बुधवार)
- 10 दिसंबर 2025 (बुधवार)
Rohini Vrat:रोहिणी व्रत का महत्व
रोहिणी व्रत का महत्व खासकर महिलाओं के लिए अधिक होता है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से पति की आयु लंबी होती है, दांपत्य जीवन में सुख-शांति बनी रहती है और घर में समृद्धि आती है। इस व्रत का पालन मुख्य रूप से जैन धर्म की महिलाओं द्वारा किया जाता है, लेकिन हिंदू धर्म में भी इसका काफी महत्व है।
कथा के अनुसार, जब भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ, तो रोहिणी नक्षत्र का विशेष महत्व था। इसलिए इसे भगवान श्रीकृष्ण के पूजन से भी जोड़ा जाता है। यह व्रत विशेष रूप से माताओं द्वारा अपने पुत्रों की लंबी आयु और परिवार की सुख-शांति के लिए किया जाता है।
Rohini Vrat:रोहिणी व्रत पूजा विधि
- स्नान और संकल्प: व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें और भगवान श्रीकृष्ण तथा माता रोहिणी की पूजा करने का निश्चय करें।
- पूजा सामग्री: पूजा के लिए भगवान श्रीकृष्ण और माता रोहिणी की प्रतिमा या चित्र, पुष्प, चंदन, धूप, दीप, अक्षत (चावल), फल, पंचामृत और प्रसाद की आवश्यकता होती है।
- पूजन विधि
- सबसे पहले पूजा स्थल को साफ करें और भगवान श्रीकृष्ण तथा माता रोहिणी की प्रतिमा या चित्र को वहां रखें।
- दीपक जलाकर पूजा की शुरुआत करें।
- भगवान श्रीकृष्ण और माता रोहिणी को गंध, पुष्प और अक्षत अर्पित करें।
- धूप और दीप जलाकर उनकी आरती करें।
- पंचामृत से भगवान को स्नान कराएं और उन्हें मिष्ठान्न अर्पित करें।
- अंत में भगवान श्रीकृष्ण की कथा पढ़ें या सुनें।
- व्रत की समाप्ति पर ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान दें।
- व्रत का समापन Rohini Vrat
- व्रत के दिन पूरे दिन निराहार रहें और केवल जल ग्रहण करें।
- दिन के अंत में व्रत की समाप्ति पर एक विशेष कथा का पाठ किया जाता है, जिसमें रोहिणी व्रत की महिमा और भगवान श्रीकृष्ण की स्तुति की जाती है।
- शाम को पूजा के बाद व्रत का पारण करें और सात्विक भोजन करें।
Rohini Vrat:रोहिणी व्रत की कथा
प्राचीन कथा के अनुसार, एक समय की बात है जब एक राजा अपनी प्रजा को सुखी और समृद्ध बनाने के लिए अनेक धार्मिक कृत्य करता था। एक दिन राजा को ज्ञात हुआ कि उसकी प्रजा में एक महिला को निरंतर कष्टों का सामना करना पड़ रहा है। राजा ने उस महिला को बुलाकर उसका दुःख पूछा। महिला ने बताया कि उसने कई व्रत किए, पर उसका जीवन अभी भी कठिनाइयों से भरा है।
तब राजा ने अपने गुरु से सलाह ली, जिन्होंने रोहिणी व्रत का पालन करने की सलाह दी। महिला ने श्रद्धापूर्वक रोहिणी व्रत किया, और कुछ समय बाद उसका जीवन सुख-समृद्धि से भर गया। उसी समय से रोहिणी व्रत को स्त्रियाँ परिवार के कल्याण, समृद्धि और सुख की प्राप्ति के लिए करती हैं।
Rohini Vrat:रोहिणी व्रत के लाभ
- दीर्घायु का आशीर्वाद: इस व्रत को करने से पति की लंबी आयु होती है। यह व्रत उन महिलाओं के लिए विशेष रूप से लाभकारी है जो अपने परिवार की दीर्घायु और समृद्धि की कामना करती हैं।
- पारिवारिक सुख: इस व्रत को करने से दांपत्य जीवन में प्रेम और शांति बनी रहती है। घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है।
- धार्मिक महत्व: रोहिणी व्रत का पालन करने से व्यक्ति के जीवन में धार्मिकता का विकास होता है और आध्यात्मिक प्रगति भी होती है।
- स्वास्थ्य और समृद्धि: इस व्रत को करने से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं दूर होती हैं और व्यक्ति के जीवन में आर्थिक समृद्धि आती है।
निष्कर्ष
रोहिणी व्रत धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह व्रत न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ प्रदान करता है, बल्कि पारिवारिक और सामाजिक जीवन को भी संतुलित और समृद्ध बनाता है। व्रत का पालन श्रद्धा और नियमों के साथ करना आवश्यक है ताकि इसका पूरा लाभ प्राप्त हो सके।
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