Rishi Panchami Katha PDF Download: हिंदू धर्म में व्रत और त्योहारों का विशेष महत्व है। इन्हीं में से एक है ऋषि पंचमी व्रत, जो सप्तऋषियों को समर्पित होता है। यह व्रत विशेषकर महिलाओं के लिए अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से न केवल वर्तमान जन्म बल्कि पिछले जन्म के पाप भी समाप्त हो जाते हैं। इस बार ऋषि पंचमी 28 अगस्त 2025 को मनाई जाएगी। पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11:05 एएम से 01:39 पीएम तक रहेगा।
ऋषि पंचमी का महत्व
Rishi Panchami Vrat महिलाओं द्वारा विशेष रूप से किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को करने और कथा पढ़ने से महिला को ऋतुकाल में हुई भूलों और अज्ञानता से हुए दोषों से मुक्ति मिल जाती है। इस दिन सप्तऋषियों की पूजा कर उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख, सौभाग्य और समृद्धि प्राप्त होती है।
ऋषि पंचमी कथा (Rishi Panchami Katha Pdf)
प्राचीन समय में विदर्भ देश में उत्तक नाम का एक सदाचारी ब्राह्मण निवास किया करता थे। जिसकी पत्नी बड़ी पतिव्रता थी और उन दोनों की दो संतानें थीं एक पुत्र और एक पुत्री। उसके पुत्र सुविभूषण ने वेदों का सांगोपांग अध्ययन किया और कन्या का समयानुसार एक सामान्य कुल में विवाह कर दिया गया लेकिन कुछ ही दिनों में कन्या विधवा हो गई। जिसके बाद वह अपने मायके में रहने लगी।
एक दिन कन्या अपने माता-पिता की सेवा करके एक शिलाखण्ड पर शयन कर रही थी कि तभी रात भर में उसके शरीर में कीड़े पड़ गए। सुबह के समय कुछ शिष्यों ने उस कन्या को इस हालत में देखा तो उन्होंने उसकी जानकारी उसकी माता सुशीला को दी। अपनी पुत्री की यह दशा देख के माता विलाप करने लगी और पुत्री को उठाकर ब्राह्मण के पास लाई। ब्राह्मणी ने हाथ जोड़कर कहा- महाराज! यह क्या कारण है कि मेरी पुत्री के सारे शरीर में कीड़े पड़ गए हैं?
तब ब्राह्मण ने ध्यान धरके देखा तो पता चला कि उसकी पुत्री ने सात जन्म पहिले अजस्वला होते हुए भी घर के तमाम बर्तन, भोजन, सामग्री को छू लिया था और ऋषि पंचमी व्रत का भी अनादर किया था उसी दोष के कारण इस पुत्री के शरीर में कीड़े पड़ गए क्योंकि रजस्वला वाली स्त्री का पहला दिन चांडालिनी के बराबर, दूसरा दिन ब्रह्मघातिनी के समान, तीसरा दिन धोबिन के समान होता है। ब्राह्मण ने बताया कि कन्या ने ऋषि पंचमी व्रत के दर्शन अपमान के साथ किये जिससे उसके शरीर में कीड़े पड़ गए हैं ।
ऋषि पंचमी व्रत विधि (Rishi Panchami Vrat Vidhi)
- इस व्रत को भाद्रपद शुक्ल पंचमी को किया जाता है।
- प्रातःकाल पवित्र नदी में स्नान करें।
- भूमि को गोबर से शुद्ध करके अष्टदल कमल बनाएं।
- महर्षि कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि और वशिष्ठ – इन सप्तऋषियों की स्थापना करें।
- षोडशोपचार से पूजा करें – आचमन, स्नान, चंदन, फूल, धूप-दीप, नैवेद्य आदि।
- रात्रि में कथा का श्रवण करें।
- अगले दिन ब्राह्मण को भोजन और दक्षिणा देकर व्रत पूर्ण करें।
इस प्रकार व्रत करने से स्त्रियां सुंदरता, सौभाग्य, धन और संतान सुख प्राप्त करती हैं और पापों से मुक्ति पाकर उत्तम लोक को प्राप्त होती हैं।
ऋषि पंचमी व्रत विधि (Rishi Panchami Vrat Vidhi)
तब सुशीला ने कहा- महाराज! ऐसे उत्तम व्रत को आप विधि के साथ वर्णन कीजिए, जिससे सभी प्राणी इस व्रत से लाभ उठा सकें। ब्राह्मण बोले- यह व्रत भादो मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को धारण किया जाता है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान कर व्रत धारण करके सायंकाल सप्तऋषियों का पूजन करना चाहिए, भूमि को शुद्ध गौ के गोबर से लीपने के बाद उस पर अष्ट कमल दल बनाकर नीचे लिखे सप्तऋषियों की स्थापना कर प्रार्थना करनी चाहिए।
इस पूजा में महर्षि कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि, वशिष्ठ महर्षियों की मूर्ति की स्थापना कर आचमन, स्नान, चंदन, फूल, धूप-दीप, नैवेद्य आदि पूजन कर व्रत की सफलता की कामना करनी चाहिए। इस व्रत का उद्यापन भी विधि विधान करना चाहिए। चतुर्थी के दिन एक समय भोजन करके पंचमी को व्रत आरम्भ करें। सुबह नदी में स्नान कर गोबर से लीपकर सर्वतोभद्र चक्र बनाकर उस पर कलश स्थापित करें। कलश के कण्ठ में नया वस्त्र बांधकर पूजा – सामग्री एकत्र कर अष्ट कमल दल पर सप्तऋषियों की सुवर्ण प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद षोडषोपचार से पूजन कर रात्रि को इसकी कथा का श्रवण करें फिर सुबह ब्राह्मण को भोजन दक्षिणा देकर व्रत पूर्ण करें। इस प्रकार से इस व्रत का उद्यापन करने से नारी सुन्दर रूप लावण्य को प्राप्त होकर सौभाग्यवती होकर धन व पुत्र से संतुष्ट हो उत्तम गति को प्राप्त होती है।
Rishi Panchami Katha PDF Download क्यों करें?
- पीडीएफ स्वरूप में कथा पढ़ना आसान और सुरक्षित होता है।
- आप इसे पूजा के समय उपयोग कर सकते हैं।
- इसे मोबाइल या प्रिंटआउट लेकर कहीं भी पढ़ा जा सकता है।
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