रक्षाबंधन हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन धूम-धाम से मनाया जाता है, जो इस बार 26 अगस्त को होगा। हर साल बहन अपने भाई की कलाई में विधि अनुसार राखी बांधती है और अपनी रक्षा का वचन मांगती है। रक्षा करने और करवाने के लिए बांधा जाने वाला पवित्र धागा Raksha Bandhan रक्षा बंधन कहलाता है। इस दिन बहनें अपने भाई की रक्षा के लिए उनके कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं और भाई बहनों को जीवन भर उनकी रक्षा का वचन देते हैं लेकिन क्या आप जानते है कि रक्षाबंधन क्यों बनाया जाता है? चलिए जानते हैं रक्षाबंधन मनाने के पीछे क्या हैं कारण।

Raksha Bandhan पहले तुलसी और नीम के पेड़ को राखी बांधी जाती थी

सदियों से चली आ रही रीति के मुताबिक, बहन भाई को राखी बांधने से पहले प्रकृति की सुरक्षा के लिए तुलसी और नीम के पेड़ को राखी बांधती है जिसे वृक्ष-रक्षाबंधन भी कहा जाता है। हालांकि आजकल इसका प्रचलन नही है। राखी सिर्फ बहन अपने भाई को ही नहीं बल्कि वो किसी खास दोस्त को भी राखी बांधती है जिसे वो अपना भाई जैसा समझती है और तो और रक्षाबंधन के दिन पत्नी अपने पति को और शिष्य अपने गुरु को भी राखी बांधते है।

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Raksha Bandhan भगवान इंद्र को रक्षाबंधन से मिली थी जीत

भविष्यपुराण में ऐसा कहा गया है कि देवाताओं और दैत्यों के बीच एक बार युद्ध छिड़ गया, बलि नाम के असुर ने भगवान इंद्र को हरा दिया और अमरावती पर अपना अधिकार जमा लिया। तब इंद्र की पत्नी सची मदद का आग्रह लेकर भगवान विष्णु के पास पहुंची। भगवान विष्णु ने सची को सूती धागे से एक हाथ में पहने जाने वाला वयल बना कर दिया। भगवान विष्णु ने सची से कहा कि इसे इंद्र की कलाई में बांध देना। सची ने ऐसा ही किया, उन्होंने इंद्र की कलाई में वयल बांध दिया और सुरक्षा व सफलता की कामना की। इसके बाद भगवान इंद्र ने बलि को हरा कर अमरावती पर अपना अधिकार कर लिया।

Raksha Bandhan रक्षाबंधन: भाई-बहन के अटूट प्रेम का त्यौहार

Raksha Bandhan रक्षाबंधन, भाई-बहन के बीच प्रेम और स्नेह का पवित्र त्यौहार, श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन, बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र (राखी) बांधकर उनके रक्षा का वचन लेती हैं और भाई बदले में अपनी बहन की रक्षा का वचन देते हैं।

रक्षाबंधन मनाने के पीछे कई धार्मिक और पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं:

Draupadi and Krishna: महाभारत में, जब द्रौपदी को दुर्योधन और उसके भाइयों ने सभा में अपमानित किया, तब भगवान कृष्ण ने उनकी रक्षा का वचन दिया था। इस घटना के प्रतीक के रूप में, द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक टुकड़ा कृष्ण की कलाई पर बांध दिया था।

Kunti and Indra: एक कथा के अनुसार, देवी कुंती ने अपने पुत्रों की रक्षा के लिए इंद्रदेव से रक्षाबंधन प्राप्त किया था।

Yama and Yamuna: यमराज, मृत्यु के देवता, अपनी बहन यमुना से बहुत प्रेम करते थे। यमुना ने उन्हें रक्षाबंधन मनाने और भाई-बहन के प्रेम का त्यौहार मनाने के लिए राजी किया।

रक्षाबंधन का महत्व:

भाई-बहन का प्रेम: रक्षाबंधन भाई-बहन के बीच अटूट प्रेम और स्नेह का प्रतीक है।

सुरक्षा का वचन: भाई अपनी बहन की रक्षा का वचन देते हैं, चाहे इसके लिए उन्हें कितना भी बलिदान देना पड़े।

सामाजिक बंधन: रक्षाबंधन केवल भाई-बहन तक ही सीमित नहीं है, यह दोस्तों, गुरुओं और शिष्यों के बीच भी मनाया जाता है।

बुराई पर अच्छाई की जीत: रक्षाबंधन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक भी है।

रक्षाबंधन कैसे मनाया जाता है:

रक्षा सूत्र बांधना: इस दिन, बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र (राखी) बांधती हैं।

मिठाई खिलाना: बहनें अपने भाई को मिठाई खिलाती हैं और उनसे आशीर्वाद लेती हैं।

भाई द्वारा उपहार: भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं।

भोजन: परिवार के सदस्य एक साथ मिलकर भोजन करते हैं।

निष्कर्ष:

रक्षाबंधन भाई-बहन के बीच प्रेम, स्नेह और बलिदान का त्यौहार है। यह एक ऐसा अवसर है जब भाई-बहन अपने रिश्ते को मजबूत करते हैं और एक दूसरे के प्रति अपना समर्थन और प्यार व्यक्त करते हैं।

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